लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा

अब जब बात लखनऊ की चल रही है, तो एक दिलचस्प किस्सा भी सुनाते चलें।

लखनऊ, जिसे नवाबों का शहर कहा जाता है, अपनी भव्यता, सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक इमारतों के लिए मशहूर है। इन्हीं धरोहरों में एक अनमोल रत्न है “बड़ा इमामबाड़ा”। यह सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि नवाबों के दिल और दिमाग का आईना है, जहां वास्तुकला, इतिहास और नवाबी शान का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण 1784 में नवाब आसफ़-उद-दौला ने करवाया था। इसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। उस समय अवध में भयानक अकाल पड़ा था, जिसने लाखों लोगों को भूख और बेरोजगारी की चपेट में ले लिया था। नवाब ने अपनी जनता की पीड़ा को समझा और एक ऐसा कदम उठाया, जो अद्वितीय था। उन्होंने जनता को दान देने की बजाय, उन्हें काम पर लगाया।

उन्होंने इस इमामबाड़े का निर्माण शुरू करवाया ताकि लोग रोजगार पा सकें और उनकी आजीविका चल सके। कहा जाता है कि सुबह से शाम तक इमारत बनाई जाती, लोगों को मजदूरी दी जाती और रात की पाली वाले आकर इमारत को तोड़ देते। उनका भी सुबह सवेरे भुगतान होता। इस तरह नवाब ने इंसानियत की मिसाल कायम की। कुछ-कुछ मनरेगा की तरह, शायद सरकार को वहीं से प्रेरणा मिली। अकाल 11 साल चला और इमामबाड़े का निर्माण भी उतने ही समय तक चला।

निर्माण की विशेषताएँ:
बड़ा इमामबाड़ा अपने निर्माण और स्थापत्य कला के कारण विश्वभर में चर्चित है। इसे बिना किसी लकड़ी या लोहे की बीम के सहारे बनाया गया है, जो अपने आप में एक अद्भुत करिश्मा है। इसके विशाल हॉल की छत बिना किसी सपोर्ट के खड़ी है, जो वास्तुकला की उत्कृष्टता का बेहतरीन नमूना है। यह इमारत किसी भी प्रकार की आधुनिक तकनीकी सहायता के बिना बनी थी, और आज भी उतनी ही मजबूती से खड़ी है जितनी तब थी।

भूलभुलैया:
बड़ा इमामबाड़ा की सबसे दिलचस्प और रोमांचक विशेषता है इसकी भूलभुलैया। यह भूलभुलैया इमारत के अंदर बनी हुई है, और इसमें घुसने के बाद अगर आप रास्ता भूल जाएं, तो बाहर आना मुश्किल हो सकता है। इसके अंदर की गलियाँ और छोटे-छोटे रास्ते इस इमारत को और भी रोमांचक बनाते हैं। यहां की हर गली आपको एक नई दिशा में ले जाती है, और यहां घूमते हुए आप खुद को खोया हुआ महसूस कर सकते हैं।

नवाब आसफ़-उद-दौला की मानवता और कला का प्रतीक, बड़ा इमामबाड़ा इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला का संगम है। यह लखनऊ की पहचान है। अगर आप लखनऊ आ रहे हैं, तो बड़ा इमामबाड़ा देखने से न चूकें।
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