क्या वाकई जिन्ना धर्मनिरपेक्ष थे?

आज फिर बीजेपी मे बवाल मचा हुआ है। आडवानी के बाद, जसवंत सिंह ने भी कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। बीजेपी जिसका वोटबैंक हिन्दू वोट है, तुरत फुरत मुद्दे की लीपा पोती करने मे लग गयी है। लेकिन क्या बात है, जो बीजेपी नेता घूम फिर कर जिन्ना की तारीफ़ करने लगते है, या फिर उनको धर्मनिरपेक्ष मानने लगते है। इसके लिए आपको इतिहास की परतें खोलनी होगी। लीजिए पेश है मेरा चार साल पुराना (जून 2005) लेख का लिंक : क्या वाकई जिन्ना धर्मनिरपेक्ष थे?

आप स्वयं पढिए, ये लेख उस समय भी प्रासंगिक था, आज भी उतना ही प्रासंगिक है। आप पढिए और अपने विचार व्यक्त करिए।

3 responses to “क्या वाकई जिन्ना धर्मनिरपेक्ष थे?”

  1. संजय बेंगाणी Avatar

    भाईजी, आजादी का सारा श्रेय कॉंग्रेस लेती रही है और विभाजन का खलनायक ज़िन्ना को बनाती रही है. जिन्ना ने इकबाल (सारे जहाँ से अच्छा…फैम) के पाकिस्तान के विचार को उठा कर कॉंग्रेस पर दबाव बनाया था, फिर शेर की सवारी करने वाले जैसा हाल हुआ. देश टूट गया. सत्ता का प्रेम देश पर भारी पड़ा. विरोध करने वाले कट्टरपंथी हिन्दु कहलाए.

  2. amit Avatar

    क्या फर्क पड़ जाएगा यदि जिन्ना को धर्मनिर्पेक्ष बता भी लिया तो? कांग्रेस की थोड़ी बहुत किरकिरी और हो जाएगी, जैसा कि पिछले साठ सालों में तो हुई न होगी? लेकिन जो मूर्ख अनपढ़ बद्‌दिमाग आम आदमी शेखचिल्ली के सपने देख कांग्रेस को वोट देता है उसको अक्ल आएगी क्या? या अपने को पढ़ा-लिखा समझने वाले उन लाट साहबों को अक्ल आएगी जो यह कह वोट देने नहीं जाते कि सभी पार्टियाँ चोर हैं इसलिए वोट काहे दें? दोनों ही प्रकार के लोग होपलैस हैं, पहली प्रकार के पास अक्ल नहीं और दूसरी प्रकार को अपने पास अक्ल होने की गलतफहमी है, और जिन्ना के सेक्यूलर साबित होने से दोनों ही प्रकार को कोई फर्क नहीं पड़ता और मानो या ना मानो लेकिन सरकार बनाने में इन्हीं दोनो का बहुत बड़ा हाथ होता है!! पहली प्रकार वाले गलत आदमी को वोट देकर जिताने का प्रयास करते हैं और दूसरी प्रकार वाले वोट न देकर यह सुनिश्चित करते हैं कि गलत बंदा ही जीते!!
    .-= amit´s last blog ..इंडिया गेट….. =-.

  3. rajan Avatar
    rajan

    जिन्नाह सेकुलर हो या न हो,
    जसवंत सिंह तो निकल दिए गए ३० साल की बीजेपी सेवा उनकी व्यर्थ चली गयी
    ऐसा निश्चित ही संघ के दबाव के कारन हुआ है
    ऐसा न करते तो हिन्दू मतदाता भी उन्हें वोट न देते और मुस्लिम तो उन्हें वोट देने से रहे
    भैया ये राजनीती जो न कराये वो कम है
    सच ही कहा था गिरिराज जी ने, राजनीती शब्द को बदल कर निराजनिति कर देना चाहिए क्योकि राजनीती तो केवल राज काज से ही जुडी है निति शब्द तो इसमें केवल सुन्दरता बदने के लिए लगा दिया गया है !!!!!!

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