आज फिर बीजेपी मे बवाल मचा हुआ है। आडवानी के बाद, जसवंत सिंह ने भी कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। बीजेपी जिसका वोटबैंक हिन्दू वोट है, तुरत फुरत मुद्दे की लीपा पोती करने मे लग गयी है। लेकिन क्या बात है, जो बीजेपी नेता घूम फिर कर जिन्ना की तारीफ़ करने लगते है, या फिर उनको धर्मनिरपेक्ष मानने लगते है। इसके लिए आपको इतिहास की परतें खोलनी होगी। लीजिए पेश है मेरा चार साल पुराना (जून 2005) लेख का लिंक : क्या वाकई जिन्ना धर्मनिरपेक्ष थे?
आप स्वयं पढिए, ये लेख उस समय भी प्रासंगिक था, आज भी उतना ही प्रासंगिक है। आप पढिए और अपने विचार व्यक्त करिए।
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