Ladakh : Hinder desert

Ladakh Day #4 : 2nd Half
अगर आप सोचते हैं कि भारत में रेगिस्तान सिर्फ राजस्थान में होते हैं, तो नुब्रा घाटी का हंडर रेगिस्तान आपकी सोच को पूरी तरह से बदलने वाला है। लद्दाख की बर्फीली चोटियों के बीच बसा ये अनोखा ठंडा रेगिस्तान अपने आप में एक अजूबा है। आइए आपको रूबरू कराते हैं 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस अनोखे रेगिस्तान से। मैं आपका हमसफ़र जितेंद्र, हाजिर हूँ, एक और अनोखे सफ़र पर।

जब बात लद्दाख की आती है, तो हम सबके दिमाग में बर्फ से ढकी चोटियां और नदियां ही आती हैं। जब हम नुब्रा घाटी की तरफ बढ़ते हैं तो सबसे पहले हमारा स्वागत करता है हंडर रेगिस्तान। जी हां, हंडर रेगिस्तान, जो नुब्रा घाटी का हिस्सा है, एक ऐसा ठंडा रेगिस्तान है जो हर यात्री के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है।

इतिहास की दिलचस्प कहानी

हंडर का इतिहास सिल्क रूट के दौर से जुड़ा हुआ है। पुराने समय में यही रास्ता व्यापारियों का मुख्य मार्ग था, जो चीन और मध्य एशिया से अपने सामान लादकर यहां से गुज़रते थे। हंडर का ये इलाका उन ऊंटों के कारवां का पड़ाव हुआ करता था जो बहुमूल्य रेशम, मसाले और अन्य व्यापारिक वस्तुएं ढोते थे। सिल्क रूट के अवशेष आज भी यहां की संस्कृति में देखे जा सकते हैं, जो इस जगह को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद खास बनाते हैं।

सरल, खुश मिजाज़ और गर्मजोश लोग

नुब्रा घाटी के लोग अपने दिलों में बसी गर्मजोशी और मेहमाननवाज़ी के लिए जाने जाते हैं। यहां के गांवों में जाकर आपको सच्चे लद्दाखी जीवन का अनुभव मिलेगा। स्थानीय लोग अपने पारंपरिक घरों में सरल और शांत जीवन बिताते हैं। यहां की बौद्ध संस्कृति और त्योहारों की धूम-धाम आपको उनके जीवन का हिस्सा महसूस कराती है। चाहे आप किसी के घर जाएं या किसी दुकान पर रुकें, हर जगह आपको एक खास अपनापन महसूस होगा।

हंडर के अनोखे ऊंट

अब बात करते हैं इस रेगिस्तान की सबसे खास बात की – डबल हंप्ड बैक्ट्रियन ऊंट। ये दो कूबड़ वाले ऊंट कहीं और देखने को नहीं मिलते और इन्हें सिल्क रूट के दिनों की विरासत माना जाता है। ये ऊंट ठंडे रेगिस्तानों में जीने के लिए जाने जाते हैं और यहां की अनूठी भौगोलिक क्षेत्र के अनुकूल हैं। हंडर के रेगिस्तान में इन ऊंटों की सवारी एक रोमांचक अनुभव है, जो आपको इस रेगिस्तानी इलाके की वास्तविकता से रूबरू कराता है। उनकी धीमी चाल और शांत स्वभाव आपको इस रेगिस्तान की शांति और अनूठेपन का अहसास दिलाते हैं।

हंडर रेगिस्तान के कुछ रोचक तथ्य

ये रेगिस्तान ‘ठंडा रेगिस्तान’ कहलाता है, क्योंकि यहां दिन के समय तापमान गर्म होता है, जबकि रात होते ही ठंडी हवाएं चलने लगती हैं। ऐसी वैसी नहीं, हड्डियों को कंपकंपाने वाली हवाएं।

हंडर का इलाका समुद्र तल से करीब 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां रेत के टीले और बर्फीली चोटियां एक साथ नज़र आते हैं।

यह स्थान नुब्रा और श्योक नदियों के संगम पर बसा है, जो इसे अद्भुत भू-आकृति और जलवायु प्रदान करता है। हर तरफ देखने पर आपको प्राकृतिक कलाकृतियां नजर आती है।

दिन में ये इलाक़ा जितना खूबसूरत दिखता है, रात में उतना ही बियाबान और भयानक लगता है। लेकिन अगर आप रात में कैपिंग कर चुके हैं तो आप इस माहौल के अभ्यस्त हो चुके होंगे।

सर्दियों में ये इलाक़ा बर्फ़ से ढका होता है, काफ़ी बर्फबारी होती है, रास्ते भी काफी बंद होते हैं और पर्यटक गतिविधियां लगभग बंद रहती है। लेकिन मई से जो लोगों के आने का सैलाब शुरू होता है, वो सितंबर तक नहीं थमता। सबसे अच्छा समय जून जुलाई होता है।

अनुभव जो शब्दों से परे है

हंडर रेगिस्तान में होने का अनुभव एक साथ कई भावनाओं को जन्म देता है – एक तरफ बर्फीली चोटियों की ठंडी हवाएं, तो दूसरी तरफ रेत के ऊंचे टीले। रेगिस्तान में रात के समय तारों भरा आसमान और ऊंट की सवारी आपका दिल जीत लेंगे। ये वो जगह है, जहां आपको प्रकृति की विविधता और उसके अनोखे रूपों का गहरा अहसास होगा।

तो जब भी आप लद्दाख की यात्रा करें, हंडर के इस रेगिस्तान को अपने सफर का हिस्सा जरूर बनाएं। यहां की रेत में छिपी कहानियां और ऊंटों के साथ बिताए गए पल आपको हमेशा याद रहेंगे।

Photo : Nubra Valley 2012

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