लद्दाख Day #4 : खारदुंगला पास – दुनिया की छत का सफर
आज सुबह हल्का नाश्ता करने के बाद, हम नुब्रा वैली की ओर रवाना हुए। रास्ते में पड़ता है दुनिया का सबसे ऊँचा मोटरेबल रोड, खारदुंगला दर्रा। आइए, आज आपको, दुनिया की छत के नायाब सफर के किस्से सुनाते हैं।
लेह से निकलते ही पहाड़ों की श्रृंखला आपका स्वागत करती है—एक पहाड़ से उतरते ही दूसरे पर चढ़ना होता है। चूँकि परिवार साथ था, इसलिए जगह-जगह सेल्फियों का दौर चलता रहा। इस रास्ते पर सेना की गाड़ियों का आना-जाना लगा रहता है, इसलिए सड़क पर बेवजह रुकने की अनुमति नहीं होती, पर परिवार देखकर सैनिक भी कुछ नहीं कहते थे। बार-बार रुकने की वजह से बच्चों की सारी एनर्जी खारदुंगला दर्रे से पहले ही खत्म हो चुकी थी।
लद्दाख की यात्रा का ज़िक्र होते ही 18,380 फीट की ऊंचाई पर स्थित खारदुंगला पास का नाम सबसे पहले आता है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास है, जहां पहुंचने पर लगता है जैसे आप सचमुच दुनिया की छत पर खड़े हैं।
बादलों के बीच से गुजरते हुए इस ऊंचाई तक पहुंचना ऐसा महसूस कराता है जैसे कोई किला फतह किया हो। यहाँ ऑक्सीजन का स्तर समुद्र तल की तुलना में 50% तक कम होता है, जिससे साँस लेने में थोड़ी तकलीफ होती है। लेकिन इस कठिनाई के बाद जो दृश्य सामने आता है, वह अद्वितीय होता है। एक ओर काराकोरम पर्वत श्रृंखला की बर्फीली चोटियाँ, और दूसरी ओर नुब्रा घाटी का मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य—यह नजारा जीवन भर आपकी यादों में बसा रहेगा।
वो कहते हैं न, पहाड़ों का मौसम और मुंबई की लड़कियों के मूड का कोई भरोसा नहीं 😊। खारदुंगला में मौसम भी पल-पल बदलता है। एक पल धूप खिली होती है, तो अगले ही पल बर्फबारी शुरू हो सकती है। इसलिए सुरक्षा के साथ ही बाहर निकलें, चाहे मौसम कितना ही अच्छा क्यों न लगे।
इतिहास
खारदुंगला पास का नाम पास के पास स्थित खारदोंग गाँव से लिया गया है। यह दर्रा सिल्क रूट का हिस्सा था, जहाँ से तिब्बत, चीन और भारत के बीच व्यापार होता था। याक और घोड़ों के काफिले यहाँ से गुजरा करते थे। यह मार्ग सियाचिन ग्लेशियर तक पहुंचने का मुख्य रास्ता भी है, जिसे भारत का सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।
दिलचस्प बातें
- दुनिया का सबसे ऊँचा मोटरेबल पास: खारदुंगला दुनिया के रोमांच प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, हालांकि इसकी ऊंचाई को लेकर कई बहसें होती रहती हैं।
- सियाचिन का प्रवेश द्वार: यह भारतीय सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण रास्ता है, जो सियाचिन ग्लेशियर तक पहुँचने का मुख्य मार्ग है।
- चुनौतीपूर्ण मौसम: यहाँ का मौसम काफी कठोर होता है। सर्दियों में तापमान -40°C तक गिर जाता है, और ऑक्सीजन की कमी के कारण यात्री हाई एल्टीट्यूड सिकनेस के शिकार हो सकते हैं।
- सड़कों का निर्माण: खारदुंगला की सड़कों का निर्माण 1988 में भारतीय सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा किया गया था। इसे मेंटेन करना बेहद चुनौतीपूर्ण है।
- यात्रियों का अनुभव: खारदुंगला का सफर आसान नहीं है, पर हिमालय की चोटियों के नजारे सारी थकान मिटा देते हैं।
ध्यान रखने योग्य बातें
- ऊंचाई के कारण ऑक्सीजन कम होती है, इसलिए धीरे-धीरे सफर करें।
- गर्म कपड़े, दस्ताने और स्कार्फ साथ रखें।
- बारिश के मौसम में खारदुंगला की यात्रा से बचें।
अंत में :
लद्दाख का असली रोमांच तब महसूस होता है जब आप खारदुंगला पास की ऊंचाई पर खड़े होकर हिमालय की चोटियों को निहारते हैं। यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि जीवन का एक अनूठा अनुभव है।
तो अगली बार लद्दाख की ओर रुख करें, तो खारदुंगला पास पर जरूर जाएं और इस अद्वितीय अनुभव का आनंद लें। आज की किस्से गोई यहीं तक, जल्द ही मिलते हैं किसी जाने अनजाने सफ़र पर।
Photo : Ladakh 2012
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