आज फिर से मैं आपको ले चलता हूँ अमेरिका के एक अजूबे की सैर पर – क्या करें, अमरीका है ही इतना नायाब। मैं आपका हमसफ़र जितेंद्र चौधरी, आइए चलते हैं कुछ मजेदार बातों के साथ अमरीका के हूवर डैम की सैर पर।
तो जनाब! बात हो रही है हूवर डैम की। ये कोई मामूली डैम नहीं है, ये तो इंजीनियरिंग का ताज महल है। ये अमरीका के नेवादा और एरिजोना स्टेट के बार्डर पर विशाल कोलोराडो नदी पर बना है। आइए पहले इसके इतिहास में थोड़ा गोता लगाएँ। 1931 में जब इसका निर्माण शुरू हुआ, तब अमेरिका में चारों तरफ़ मंदी का माहौल था। साथ ही इस रेगिस्तानी इलाके में बिजली की भारी किल्लत। ऐसे में इस प्रोजेक्ट ने हज़ारों लोगों को रोज़गार दिया। सोचिए, एक तीर से दो निशाने – बिजली भी और नौकरियाँ भी।
अब ज़रा कल्पना कीजिए – 21,000 मज़दूर, दिन-रात एक करके काम में जुटे हुए। कोलोराडो नदी की धारा को रोकना कोई बच्चों का खेल तो था नहीं। इतना बड़ा काम था कि कई मज़दूरों ने तो वहीं पास में ‘बोल्डर सिटी’ नाम का एक पूरा का पूरा शहर ही बसा दिया।
अब एक दिलचस्प किस्सा जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा। डैम के निर्माण में कुल 112 लोगों की जान गई। पहला शख्स था जॉर्ज जॉनसन, जो 1931 में एक सर्वेक्षण के दौरान दुर्घटना का शिकार हुआ। और आखिरी? वो भी जॉर्ज जॉनसन ही था, पहले वाले का बेटा, जो 1935 में डैम के पूरा होने के कुछ महीने पहले शहीद हुआ। ये कैसा अजीब संयोग है, है ना?
और हाँ, नाम की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। पहले इसे ‘बोल्डर डैम’ कहा जाता था। लेकिन 1947 में कांग्रेस ने इसका नाम बदलकर ‘हूवर डैम’ कर दिया, अमेरिका के 31वें राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर के सम्मान में। मज़े की बात ये है कि हूवर खुद नहीं चाहते थे कि उनका नाम डैम को दिया जाए! लेकिन क्या करें, जनता का प्यार था।
अब कुछ तकनीकी बातें भी कर लें। डैम इतना विशाल है कि इसमें इस्तेमाल हुए कंक्रीट से 3,000 मील लंबी सड़क बन सकती है! और सुना है कंक्रीट को ठंडा करने के लिए लगाए गए पाइपों की लंबाई? पूरी धरती का एक चक्कर, बाप रे बाप!
तो दोस्तों, अगली बार जब लास वेगास जाएँ, तो याद रखिएगा – वहाँ सिर्फ़ कैसीनो और शो ही नहीं, बल्कि पास में ही इंजीनियरिंग का ये अजूबा भी है। हूवर डैम की सैर करके देखिए, इतिहास के पन्नों से उतरकर ये इमारत आपके सामने खड़ी हो जाएगी!
जल्द मिलते हैं किसी जाने अनजाने सफ़र पर। तब तक के लिए अलविदा।
Photo : Hoover Dam 2016
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