गुजरात चुनाव के मायने

आपने गुजरात चुनाव के तो बहुत सारे विश्लेषण पढे/देखे होंगे। आजकल टीवी मे वैसे भी यही सब ही चल रहा है। अगर कुछ टीवी चैनलों की माने, जैसे एनडीटीवी (यहाँ नाम विशेष उल्लेख सिर्फ़ जानकारी के लिए किया गया है।) वगैरहा वे सभी ऐसे ऐसे आंकड़े लेकर आ रहे है देखकर मजा आता है। ये लोग सबसे पहले डिसीजन ले चुके है कि गुजरात मे मोदी हारने वाले है, उसके बाद ही ये लोग बाकी के विश्लेषण तैयार करते है, जनता से राय ली जाती है और आनन फानन मे रिपोर्ट बनाकर दिखा दी जाती है। ना भैये, अगर मीडिया ने ही डिसाइड करना होता तो अभी तक के सारे चुनाव के सर्वेक्षण जो कई चैनलो ने कई कई बार दिखाए है गलत साबित ना होते। लेकिन ये भी बेचारे क्या करें, अपनी अपनी विचारधारा है उसको थोड़े ही कोई छोड़ सकता है। खैर…सबका अपना अपना धंधा है, करें हमारी बला से।
gujrat
लेकिन ये मानना कि नरेन्द्र मोदी के लिए राह आसान है, यह कहना गलत होगा। नरेन्द्र मोदी की राह मे सबसे बड़े कांटे है उनके अपने पार्टी के विद्रोही लोग, दूसरा संघ भी इस बार मुँह फुलाए बैठा है, फिर जीते हुए लोगों को टिकट देना, भी एक बड़ी समस्या को जन्म देगा। कई जगह लोग अपने प्रतिनिधियों से नाराज भी है। शहरों मे तो मोदी को अच्छी जीत मिलने के चांसेस है, लेकिन गाँव देहात मे अभी भी काफी मुश्किलें है, वहाँ पर जाति, धर्म और स्थानीय मुद्दो पर ही वोट मिलते है, इस बार भी वही होगा। मोदी इस खतरे को जानते है, इसी को भांपते हुए उन्होने फिर से हिन्दुत्व का कार्ड खेला है। लेकिन मजेदार बात ये हुई की कांग्रेस भी मोदी के इस जाल मे फंस गयी और आनन फानन मे जवाबी बयानबाजी की। बस यहीं पर कांग्रेस मोदी के हाथों मे खेलती नज़र आयी। इन सभी के बीच विकास का मुद्दा कंही पीछे छूट गया है, अब लोग तो बस बयानबाजी ही देख-सुन रहे है।

इस बार गुजरात मे चुनाव प्रचार भी अलग तरीके से हो रहा है, चुनाव आयोग एक एक बात पर नजर रख रहा है, इसी के मद्देनजर लोग मौत का सौदागर या इन्काउंटर वाली बात से मुकर गए है। मोदी सोहराबुद्दीन की बात करने के मुद्दे पर काफी परेशानी मे भी दिखे, खुद बीजेपी को भी इस पर बचाव करते हुए काफी मुशकिलें आयीं। लेकिन कांग्रेस को भी चुनाव आयोग का नोटिस मिलने पर बीजेपी अब खुश है। ये तो वही बात हुई, क्लास मे हमे अकेले डाँट नही पड़ी। कांग्रेस मे भी कई कई सुर है, कोई एक स्टैंड ही नही। सोनिया ने मोदी को मौत का सौदागर कहा , आफिशयल प्रवक्ता ने कंफ़र्म भी किया और कहा, कि हाँ हमने मोदी को ही मौत का सौदागर कहा, लेकिन चुनाव आयोग के सामने कांग्रेस फिर से भीगी बिल्ली बन गया बोला कि नही जी हमने किसी का नाम ही नही लिया था।

जब ये पोस्ट आप पढ रहे होंगे तो हो सकता है कि पहले चरण का मतदान पूरा हो चुका हूँ, इस चरण मे लगभग काफी सीटे मोदी के विरोधियों के गढ मे है, इसलिए हो सकता है शाम तक कुछ मीडिया वाले फिर से वही राग अलापें, लेकिन अगले चरण के मतदान में मोदी को काफी सचेत रहना होगा, क्योंकि वही मोदी का भविष्य तय करेगा। इन चुनावों के नतीजों से काफी कुछ तय होना है। यदि मोदी इस बार चुनाव (जो कि अपने बलबूते पर लड़ रहे है) ज्यादा सीटों से जीतते है, तो इनका अगला निशाना बीजेपी अध्यक्ष का पद होगा। बीजेपी इस बात को जानती है तभी घबराहट मे उन्होने लालकृष्ण आडवानी को अगला प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया वैसे भी घोषित करने मे उनके पल्ले से क्या जाना था। कांग्रेस के लिए भी ये चुनाव अहम है, राहुल बाबा यूपी मे फेल हो चुके है, इधर भी इनको चुनाव प्रचार में उतारा गया, देखते है कि क्या बनता है इनका। यदि कांग्रेस को इन चुनाव मे सम्मानजनक सीटें भी मिलती है तो कांग्रेस का सीना चौड़ा हो जाएगा और फिर सारे कांग्रेसी राहुल बाबा का गुणगान करेंगे, अलबत्ता हारने पर वही होगा जो हमेशा से होता आया है, कमेटी, रिपोर्ट, नयी कमेटी और फिर सब भूल जाना। यदि गुजरात चुनाव कांग्रेस के पक्ष मे जाता है, तो देश को मध्यावर्ती चुनाव के लिए तैयार हो जाना चाहिए। क्योंकि गुजरात चुनाव जीतते ही, सरकार लेफ़्ट को आंखे दिखाती हुई, परमाणु करार पर आगे बढेगी। नतीजतन बेचारे लेफ़्ट को अपना समर्थन वापस लेना होगा, जो हमे मध्यावर्ती चुनाव की तरफ़ ले जाएगा। अब ऊंट किस करवट बैठता है, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात जरुर तय है, देश का भविष्य गुजरात के चुनावों के नतीजों से जुड़ा है।

5 responses to “गुजरात चुनाव के मायने”

  1. संजय बेंगाणी Avatar

    देखते हैं क्या होता है, इतना तो तय है की आप काम के बल पर चुनाव नहीं जीत सकते. अपने हाथ में तो वोट देना है जो हमेशा की तरह दे आयेंगे.

  2. सत्येंद्र प्रसाद श्रीवास्तव Avatar
    सत्येंद्र प्रसाद श्रीवास्तव

    सोहराबुद्दीन को लेकर मोदी बिल्कुल परेशानी में नहीं हैं। बहुत सोच समझकर ही उन्होंने तुरूप का ये पत्ता खेला है।

  3. ghughutibasuti Avatar

    यदि एक क्षण को दंगों की बात ना करें तो गुजरात शायद भारत का सबसे सुरक्षित राज्य है, विशेकर महिलाओं के लिये । चुनाव बहुत ही कम विकास के मुद्दे पर जीते जाते हैं ।
    घुघूती बासूती

  4. अनूप शुक्ल Avatar

    काहे नहीं टीवी पर राजनीति के विषेशज्ञ बन् जाते?

  5. Anunad Singh Avatar

    गुजरात इ-शासन(eGovernance) में भी सबसे आगे है। ये पढ़िये:

    Gujarat wins the award for best e-governed state

    http://www.i4donline.net/news/news-details.asp?catid=6&newsid=12587

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