साथियों,
पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बनाने वाले पर्वतपुरुष दशरथ मांझी का शनिवार १८ अगस्त २००७ को दिल्ली मे निधन हो गया। उनका अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान मे कैंसर का इलाज चल रहा था। मै अपनी और हिन्दी चिट्ठाकारों की तरफ़ से दशरथ मांझी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। भले ही दशरथ मांझी जी हमारे बीच नही रहे, लेकिन उनका हौसला और असम्भव को भी सम्भव कराने का जज़्बा सदैव हम सभी को मार्गदर्शन करता रहेगा।
आप सभी को याद होगा कि स्वर्गीय दशरथ मांझी जी ने गया जिले में तीस फीट ऊँची और बीस फीट चौड़ी तथा करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी गहलौर पहाड़ी को अकेले अपने दम पर काटकर रास्ता बनाया था। इस बारे मे विस्तृत लेख यहाँ पर देखा जा सकता है।
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