आज सुबह सुबह वर्ल्डस्पेस पर पुराने गाने सुनना शुरु किया तो बस डूबता ही चला गया। एक से बढकर पुराने गाने सुनने को मिले। सौभाग्य से आज यानि १८ अगस्त को गुलज़ार साहब का जन्मदिन भी पड़ता है। आज एक ढेर सारे गुलज़ार साहब के गीत सुनने को मिले। एक गाना, जो मेरे को बहुत पसन्द है। आपके लिए पेश है :
अबके ना सावन बरसे
अबके ना सावन बरसे
हो~~ अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना सावन बरसे
हो~~ अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना~ सावन बरसे
जाने कैसे अबके ये मौसम बीते
आ~~ आ आ आ
जाने कैसे अबके ये मौसम बीते
बीतेगी जो तेरे बिन वो कम बीते
तेरे बिना सावन सूने
तेरे बिना अब तो ये मन तरसे॥
जाने कब आये दिन, दिन ढल जाये
दिन ढल जाये~
जाने कब आये दिन, दिन ढल जाये
तेरे बिन अँखियों से रात ना जाये
तेरे बिना रात ना जाये
तेरे बिना अब तो ये दिन तरसे॥
फिल्म : किनारा (१९७७)
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : गुलज़ार साहब
गायिका :लता जी
जब इतने सारे महारथी मिलकर संगीत बनाएंगे तो इतिहास तो बनेगा ही। किनारा के गीत भी इसी इतिहास का हिस्सा हैं। वैसे किनारा के सारे गीत मेरे को पसन्द है। आप भी सुनिए यहाँ पर ।
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