और पकड़ो मछली! अब झेलो

सबसे पहले तो अपने पाठकों से माफी चाहता हूँ कि काफी दिनो से लिख नही सका। अब हुआ यूं कि दफ़्तर मे काम का बोझ कुछ ज्यादा था, इसलिए ज्यादा पढ नही सका, अब पढूंगा नही तो लिखूंगा कैसे? इसलिए लेखन मे कुछ दिनो का अंतराल आ गया। अब कोशिश करूंगा कि कम से कम हफ़्ते मे एक या दो पोस्ट तो जरुर लिखूं, अब देखिए कहाँ तक सफ़ल होता हूँ। खैर….ये सब तो चलता ही रहेगा। आइए नज़र डालें कुछ खबरों पर। आस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के प्रबंधन ने एंड्रूयू साइमंड्स को बांग्लादेश के दौरे से वापस बुलवा लिया है। कौन एंड्र्यू साइमंड्स? अरे वही जो भज्जी से भिड़ गया था। वैसे दोनो ही बड़े एंठू खिलाड़ी है, अक्सर हर किसी से भिड़ जाते है। इस बार एंड्र्य़ू साइमंड्स किसी से भिड़े नही, बल्कि मछली पकड़ने चले गए थे। आप कहेंगे मछली पकड़ने की सजा, टीम से बाहर का रास्ता, हाँ भाई, टीम ने एक बैठक बुलवायी थी, साइमंड्स ने बैठक को नजरअंदाज  करते हुए मछली पकड़ना ज्यादा उचित समझा। इसलिए आस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड ने उनको वापस आस्ट्रेलिया बुलवा भेजा कि चलो बेटा यहाँ आकर मछली पकड़ो। इसे कहते है टीम प्रबंधन। अपने यहाँ कभी बीसीसीआई ऐसा कर सकता है भला? शरद पंवार आप सुन रहे है क्या?

अब पिछले दिनो पाकिस्तान मे मियां मुशर्रफ़ को चलता किया गया। बेचारे काफी जहीन इंसान थे, थे नही है भई। इनके पास कश्मीर समस्या का फार्मूला था। लेकिन कोई इनकी सुनता तब ना। आगरा आए तो अटल ने इनकी सुनी, लेकिन आडवानी नही माने, नतीजा बैरंग वापस लौटे। फार्मूला होने से कुछ नही होता, फार्मूला तो ये परमाणु बम का भी सम्भाल कर नही रख सके। इनके वैज्ञानिक गली गली इस फार्मूले को बेचते पकड़े गए। इधर मुशर्रफ़ क्या गए, सत्ता की बंदरबाट मे नवाज और जरदारी भिड़ गए। अब नवाज भी सरकार से बाहर है, कारण? अरे वही सुप्रीम कोर्ट के जजो की बर्खास्तगी। जरदारी कभी नही चाहते कि चौधरी साहब वापस चीफ़ जस्टिस बने, नही तो इनके सारे केस दोबारा खुल जाएंगे, अब बेचारे जरदारी उमर के इस पड़ाव मे जेल तो नही ही जाना चाहेंगे। ये तो राष्ट्रपति की कुर्सी का लालच ना होता तो ये मुशर्रफ़ को भी ना हटाते। बेचारे मुशर्रफ़, जरदारी के राष्ट्रपति पद के मोह मे चलता किए गए। कुछ भी हो, मुशर्रफ़ को याद रखा जाएगा। अब पाकिस्तान फिर से पतन की राह पर अग्रसर होगा, इसके आसार दिखने भी लगे है। थोड़ा समय और इंतजार करिए..देखते जाइए होता है क्या।

अब जहाँ इन्तजार की बात है, वो तो भारत ने भी काफी किया, ओलम्पिक मे तीन तीन पदक पाने का। इत्ते सालों बाद ओलम्पिक मे भारत को तीन पदक एक साथ मिले। वो भी सरकारी तंत्र के होते हुए। सरकार खेलो को प्रोत्साहन देने का भले ही कितना भी नाटक करे, लेकिन असल बढावा तो इन सरकारी खेल संस्थाओं मे बैठे आला अफसरों के पेटों का होता है। इत्ता पैसा खा जाते है, डकार भी नही लेते, नतीजा वही….हर चार साल मे ओलम्पिक मे हम लोग सर झुका कर वापस आते है, अगले साल अच्छा करने का प्रण लेकर। हर बार यही होता आया है।

अब जहाँ तक प्रण की बात है, प्रण तो अमरीकी सरकार ने भी किया हुआ कि परमाणु करार को NSG से मंजूर करवाने का। भारत भी पहले पहले तो अड़ा रहा कि हम मसौदे मे कोई बदलाव नही करेंगे वगैरहा वगैरहा। लेकिन जहाँ तक मेरा विचार है कि आखिरकार थोड़ा बहुत शब्दों की बाजीगरी होगी और ये करार NSG से मंजूर हो जाएगा। उसके बाद अमरीका आफिशयली पाकिस्तान को टा टा बाय बाय करेगा और भारत के साथ खुलकर आएगा।

टा टा बाय बाय करने की बार रतन टाटा की भी थी। वो भी थक गए थे, ममता बनर्जी के रोजमर्रा के धरने से। अब सिंगूर प्लांट मे काम बन्द पड़ा है, बुद्ददेव भट्टाचार्या की रातो की नींद हराम होने की बारी आ गयी। क्योंकि अगर ये प्लांट पश्चिम बंगाल के बाहर चला गया तो बुद्ददेव बाबू तो गए काम से। ममता बनर्जी इसको अपनी नैतिक जीत बताएंगी और टाटा कोर्ट मे खींच लेंगे। बेचारे बंगाली बाबू, बुरे फंसे है।

चलते चलते : मिर्जा का कहना है कि हमे आस्ट्रेलिया चलना चाहिए, काहे? वहाँ पर औरते ज्यादा है मर्द कम।मिर्जा के मुताबिक वहाँ पर मौजां ही मौजां होगी, आपका क्या कहना है इस बारे में।

6 responses to “और पकड़ो मछली! अब झेलो”

  1. दीपक भारतदीप Avatar

    बहुत बढि़या लेख है आपका। आपने सभी ज्वलंत मुद्दे एक साथ उठाये और ब्लाग पर रखा। बधाई। हां, आप लिखते रहा करिये। आप नहीं लिखते तो यहां लोग टैग छैग के मामले उठाकर हड़काने लगते हैं। अब सभी तो किलो भर का लिख नहीं सकते। बिचारे जो छटांक भर लिखते हैं उनकी मुश्किल हो जाती है। आप लिखते रहकर अपनी उपस्थिति का आभास कराते रहे ताकि हम छटांक भर लिखने वाले थोड़ा साहस कर सकें। आपके इस ब्लाग को मैं अपने वर्डप्रेस के ब्लाग पर लिंक करने जा रहा हूं। आशा है आप प्रसन्न होंगे।
    दीपक भारतदीप

  2. Gyan Dutt Pandey Avatar

    यह दीपक जी आपको हिन्दी ब्लॉगजगत को ठीक ही विषय दिलाऊ चिठेरा मान रहे हैं। बधाई।

    यह पोस्ट कहां से लिख रहे हैं – आस्ट्रेलिया से! 🙂

  3. Amit Avatar

    यह पोस्ट कहां से लिख रहे हैं – आस्ट्रेलिया से!

    ज्ञान जी, यह पोस्ट जीतू भाई ने अवश्य ही भाभी जी के डर के मारे बाथरूम में छुप के लिखी होगी! 😉 😀 😀

  4. RC Mishra Avatar

    चौधरी जी ने जब लिन्क थमाया तब हम “ऊस्टेन्डे बीच” के लिये निकल रहे थे इसलिये आराम से पढ़कर बाद मे टिप्पणी करेंगे।

  5. संजय बेंगाणी Avatar

    बहुत दिनो से संजोये विषयों पर एक साथ ठेली है. नियमीत लिखन की आशा है.

    मुशर्रफ से भारत को फायदा था, उनकी कार्यशैली एक समझ बनी थी. अब तेरह लोग आपस में कुश्ती लड़ रहे है, किस किस को समझें?

  6. Atul Avatar

    Nice to see you in same flavor! Lage raho jitu bhai