किसी भी म्युचुअल फंड के निवेशक के लिए सबसे बड़ा सवाल होता है कौन से फंड का चुनाव करें। मान लीजिए आपने अपनी जोखिम क्षमताओं का आंकलन करते हुए फंड स्कीम का चुनाव कर लिया। अब दूसरा सबसे बड़ा सवाल उठता है कि निवेश कैसे करें ? एकमुश्त निवेश किया जाए अथवा किसी एसआईपी के द्वारा निवेश किया जाए। इस बारे मे विस्तार से चर्चा करने से पहले आइए जान लेते है कि म्युचुअल फंड मे निवेश के दोनों तरीको मे क्या फर्क है।
एक मुश्त निवेश: इसमें निवेशक अपनी सुविधा अनुसार, एक साथ एक बड़ी रकम, अपने मनपसन्द म्युचुअल फंड में, निवेशित करता है। यह एक सामान्य तरीका है, जिसमें निवेशक अपनी सुविधानुसार अपने निवेश का समय और निवेश की जाने वाली रकम का निर्णय लेता है। इस तरह से वह बार बार निवेश करने के झंझट से बच जाता है। अब चूंकि निवेश करने का समय, निवेशक की सुविधा अनुसार होता है, इसलिए वह उचित मौके की तलाश करके (जब बाजार अपने निचले स्तर पर हो) अपना पैसा निवेश करता है। इस तरह निवेशक बाजार के उतार चढ़ाव का भरपूर फायदा उठाकर, उचित मौके की तलाश करके ही अपने पैसे का निवेश करता है। लेकिन बाजार का निचला स्तर कौन सा हो, इसका निर्णय लेना बहुत कठिन है।
सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान: चूंकि सभी निवेशक बड़े नहीं होते और उनके पास संसाधन भी सीमित होते है, इसलिए म्युचुअल फंड कंपनियों ने निवेशको के लिए एसआईपी प्लान बनाए है, जिसमे आप निश्चित अवधि तक, अनुशासित तरीके से, हर महीने (अथवा त्रैमासिक अथवा किसी भी आवृति मे) अपने मनपसन्द म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते है। इस तरह के निवेश में बाजार के उतार चढ़ाव और जोखिमों से बच जाते है। आम निवेशक का निवेश छोटी रकम का होता है इसलिए एक लंबे समय के अंतराल में आपका निवेश एक बाजार के उतार चढ़ाव को समायोजित करता रहता है। यह निवेश का एक काफी पुराना और आजमाया हुआ तरीका है। इस तरह के निवेश मे आपकी जेब पर कोई बड़ा बोझ नही पड़ता, जिस तरह हर महीने आपके दूसरे खर्चे होते है, उस तरह से निवेश भी अपने आप होता रहता है।
लेकिन सवाल फिर वही खड़ा हो जाता है, एकमुश्त अथवा सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट ? मान लीजिए आपके पास 60 हजार रुपए है जिनको आप म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहते है। आप एक साथ पूरा पैसा अपने मनपसन्द म्युचुअल फंड में लगा दें अथवा प्रतिमाह पांच हजार रुपए की एसआईपी लगा दें ? इस सवाल का जवाब सीधा साधा नही है। इसके लिए काफी चीजों का ध्यान देना होता है, जैसे:
बाजार की स्थिति: यदि शेयर बाजार अपने निचले स्तरों पर है, तो एकमुश्त निवेश हमेशा ही फायदेमंद होता है। चूंकि आपके आंकलन के अनुसार बाजार अपने निचले स्तर पर है और आपको उसके बेहतर होने की उम्मीद है, इसलिए एसआईपी लगाने में आपको एनएवी हमेशा पिछली एनएवी से बढ़ी हुई मिलेगी। इसलिए बढ़ते हुए बाजार में एसआईपी में निवेश करना कोई समझदारी नहीं कही जाएगी। उसके उलट यदि बाजार लगातार गिरता जा रहा है, उस समय आप एकमुश्त रकम यदि निवेशित करते है तो आपका निवेश आपको नुकसान ही देगा, उस स्थिति में आपके लिए सही विकल्प एसआईपी ही रहेगा। लेकिन परेशानी यही आती है, कि बाजार अपने निचले स्तरों पर है अथवा नही, ये निवेशक समझने में भूल-चूक कर सकता है।
निवेश की अवधि: आपके निवेश की अवधि महत्वपूर्ण रोल अदा करती है। यदि आपके सामने अगले पांच साल मे कोई बड़ा खर्चा जैसे, बच्चे की पढ़ाई, घर की खरीद अथवा कोई अन्य कार्य नहीं है, उस स्थिति में एक मुशत निवेश करने में ही ज्यादा समझदारी होगी। आपका निवेश बाजार के किस स्तर पर हुआ है, इसका कोई अधिक मायने नहीं रखता, क्योंकि एसआईपी में बढ़ते/घटते बाजार में एवरेज करते हुए निवेश करते है। मेरे विचार में एसआईपी के निवेशक को दीर्घकालीन सोचना चाहिए, तभी म्युचुअल फंड के निवेश से अच्छा फायदा उठा सकेंगे।
निवेशक की मनोदशा: अक्सर देखा गया है कि एकमुश्त निवेश की तरफ़दारी करने वाले, सही मौके के आने पर भी म्युचुअल फंड में निवेश करने में भूल-चूक कर जाते है या फिर उस समय कोई बड़ा खर्चा सामने आ जाता है। इसका सीधा सीधा मतलब है कि निवेशक अनुशासित निवेशक की श्रेणी में नही आता। उस स्थिति में एसआईपी का निवेश उचित रहता है।
निवेशित किए गए फंड का प्रकार: कुछ फंड बाजार के ठीक विपरीत चलते है। मतलब की बाजार की उठापटक से उन पर कोई विशेष प्रतिकूल फर्क नही पड़ता, इस तरह के म्युचल फंड में सही समय पर एकमुश्त निवेश करना ही लाभकारी होता है।
निवेश की उपलब्धता: निवेशक को सबसे पहले अपनी जेब को देखना चाहिए। यदि आप एक साथ बड़ी रकम का निवेश नहीं कर सकते, तो फिर एसआईपी का रुट ही आपके लिए श्रेष्ट है।
संक्षेप में कहा जाए, तो एसआईपी का निवेश छोटे निवेशक के लिए, लंबी अवधि में लाभ का सौदा है। यदि बाजार लगातार हिचकोले खा रहा है उस अवस्था में भी एसआईपी में निवेश अच्छा रहता है। आपकी म्युचुअल फंड से सम्बंधित यदि कोई सवाल/जिज्ञासा है तो उसे जरुर पूछें। अगली बार हम बात करेंगे कि म्युचुअल फंड के किस तरह के प्लान (ग्रोथ प्लान अथवा लाभांश (Dividend) प्लान) में निवेश करें ?
सूचना: मेरा यह लेख तोल मोल पत्रिका मे पूर्व प्रकाशित हो चुका है।
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