वतन से वापसी : मार्च 2007

आज ही वापस कुवैत लौटा हूँ, इस बार की भारत यात्रा बहुत ही बिजी रही। सचमुच, एक महीने की यात्रा को एक हफ़्ते मे समेटना बहुत ही मुश्किल होता है। दोस्त, यार, रिश्तेदार सभी नाराज रहे, लेकिन भाई क्या करें, नौकरी है, उसके ही हिसाब से चलना पड़ेगा। यहाँ कुवैत मे कुछ प्रोजेक्ट हमारा इंतजार कर रहे थे।

इस बार की भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य, दिसम्बर 2007 की एक सप्ताह की स्थगित यात्रा के बचे कार्यों को पूरा करना था। भोपाल वाला मकान पूरा हो चुका था, उसकी रजिस्ट्री वगैरहा करने के झमेले थे, फिर होली का मौका था, पूरे परिवार के साथ त्योहार मनाने का मजा ही अलग होता है। कुछ और भी व्यक्तिगत काम थे, जिनको करने के लिए भारतयात्रा की गयी थी। हम 19 मार्च की रात को कुवैत से निकले, 20 मार्च को दिल्ली पहुँचे, वहाँ बेचारे अमित गुप्ता को कनॉट प्लेस पर दो घंटे इंतजार करवाया, फिर भी मुलाकात सिर्फ़ पाँच मिनट की ही हो सकी। फिर दौड़ते दौड़ते राजधानी एक्सप्रेस पकड़कर कानपुर पहुँचे। वहाँ पर हमेशा की तरह पॉवर कट ने हमारा स्वागत किया यानि वैलकम टू इंडिया हुआ। अब जब इस मौसम मे ये हाल था तो भयंकर गर्मी मे क्या हाल होता होगा? खैर… अगले दिन होली वाले दिन कुछ जरुरी काम निबटाए, शुकुल को मिलने का वादा किया, लेकिन बिटिया बीमार हो गयी, इस चक्कर मे सारे मीटिंग कैंसिल करके, हम कानपुर से निकल लिए। हड़बड़ी का आलम ये रहा कि हम मिसिरा जी (इटली वाले) को अपना गलत मोबाइल नम्बर दे बैठे, वे बेचारे किसी और को ही फोन पर फोन मिलाते रहे। बाद मे हम एक दिन लापता मिसिरा जी को फोन करके, पता किए तो वे ग्वालियर स्टेशन पर ट्रेनेबल(ट्रेन मे लादने योग्य, अक्सर आपने प्लेटफार्म पर बिखरा पड़ा सामान देखा होगा, वो ट्रेनेबल होता है) अवस्था में पाए गए। इससे पहले हम उनको हड़काते, वो ही हमे हड़का दिए…खैर मिसिरा जी, भूल चूक लेनी देनी।

कानपुर के बाद हम वाया ग्वालियर होते हुए भोपाल पहुँचे। जहाँ प्रापर्टी सम्बंधित काम एक दिन मे निबटाए गए, वापस ट्रेन मे लदकर, ग्वालियर पहुँचे, जहाँ से वापस दिल्ली पहुँचकर, कुवैत वापसी की फ़्लाइट ली गयी। कुल मिलाकर हड़बड़ी वाले अंदाज मे यह यात्रा बमुश्किल पूरी की गयी, जिसमे मित्रों, ब्लॉगरों, नाते-रिश्तेदारो और सगे सम्बंधियों की नाराजगी को नजरंदाज करते हुए इस यात्रा को निबटाया गया।

शुकुल, मिसिरा और अमित गुप्ता से माफी चाहूंगा और साथ ही उन सभी दोस्तों से भी माफी चाहूंगा, जिनको फोन ना कर सका। आज ही लौटा हूँ, जल्द ही ब्लॉगिंग मे दोबारा सक्रिय होता हूँ। आप पढते रहिए, आप सभी का पन्ना।

9 responses to “वतन से वापसी : मार्च 2007”

  1. ashish maharishi Avatar

    जीतू भाई आपने अपनी भारत यात्रा की तरह इस पोस्‍ट को भी जल्‍दी निपटा दिया, वैसे भोपाल में मकान क्‍हां लिया है,

    आशीष

  2. संजय बेंगाणी Avatar

    इत्ती जल्दी वापस?

    हम तो इंताजार में बैठे थे की फोन बजेगा…की मैं अहमादाबाद आ रहा हूँ….

  3. संजय बेंगाणी Avatar

    भारत ऐसा भी है, यहाँ पावर कट नहीं होता…अराम से गर्मी झेल लेते 🙂

  4. mamta Avatar

    बाबा रे ऐसा लग रहा है की जैसे हाँफते -कांफ्ते आपने भारत यात्रा की उसी तरह हाँफते -कांफ्ते पोस्ट भी लिख दी। और पढने वाले भी उसी तरह हाँफते-कांफ्ते पढ़ रहे है। 🙂

  5. समीर लाल Avatar

    चलो, कोई बात नहीं. फिर आना!! 🙂

  6. amit gupta Avatar

    कोई नहीं, आपकी प्रतीक्षा करते-२ बरिस्ता में बैठे मैंने कई माह से लटके पड़े एक उपन्यास को निपटाया, इसलिए सानू कोई गिला नहीं!! 😉 😛

    मिलना तो फिर हो जाएगा, जून में इटली में मिल रहे हो ना? 🙂

  7. amit gupta Avatar

    वैसे मिसिरा जी तो अभी शायद इलाहाबाद में ही टिके हुए हैं। जल्दी ही दिल्ली आने को बोल रहे थे तो तब उनसे मिलने का प्रयास रहेगा, जून में तो पता नहीं मिलें न मिलें! मेरे आने की सुन जून में वो पतली गली से कटने का इरादा बनाए बैठे हैं!! 🙁

  8. RC Mishra Avatar

    जो हुआ अच्छा हुआ, अगली बार कुवैत मे…

  9. arvind mishra Avatar
    arvind mishra

    Next time please drop in at our place in Varanasi…
    regards,
    arvind

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