भारत का विकास उसके गाँवो के विकास मे छिपा है। हमारे गाँव सुखी और खुशहाल होंगे तो देश तरक्की के नए नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। हमे भारत को तरक्की की राह पर आगे ले जाने के लिए ना तो लूट-खसूट मे लगे राजनेता चाहिए जिनमे इच्छाशक्ति की कमी है और ना ही इनके इशारे पर नाचती अक्षम सरकारी मशीनरी। इस देश को आगे ले जाने के लिए हमे भारत माँ के इलेंगो जैसे सच्चे सपूत चाहिए। इलैंगो ने कूतंबाकम(तमिलनाडू) के पहले मैकेनिकल इंजीनियर होने का गौरव हासिल किया लेकिन इन्होने गाँव के विकास को अपने व्यक्तिगत हितो से ऊपर रखते हुए, अपनी सरकारी नौकरी को तिलांजलि दी और गाँव मे ही बसे रहे। गाँव की खुशहाली के लिए काम किया और पंचायत चुनावों मे खड़े हुए।
इन्होने अपनी दूरदर्शिता से, दलित बहुल इस गाँव का नक्शा ही बदल दिया। अपनी कोशिश और ग्रामीणों के सहयोग से उन्होंने गांव को विकास के पथ पर अग्रसर किया। इलिंगो ने भेदभाव की काट शिक्षा से निकाली और शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा जोर दिया। किसी भी गाँव की दुर्गति तब शुरु होती है जब वहाँ के युवा रोजगार के अभाव मे या तो अपराध की शरण मे चले जाते है अथवा शहरों की ओर पलायन कर जाते है। बेरोजगारी दूर करने के लिए इलिंगो ने लघु उद्योगों को बढावा दिया। इनके अथक प्रयासो का ही परिणाम है कि इस गाँव मे बड़े पैमाने पर उर्जा बचाने वाली लैंप, मिट्टी तेल के स्टोव और प्राथमिक सहायता पट्टियां बनाई जाती हैं। अब यहां से कोई काम की तलाश में बाहर नहीं जाना चाहता। यही नहीं इलंगो के प्रयासों से यहां सामाजिक समभाव की मिसाल पेश करते हुए सन 2000 में समतुअपुरम नाम के 100 मकान बनवाए गए। इसमें हर एक दलित मकान के साथ दूसरी जाति के लोगों को घर दिया गया।
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