एल्लो, अब एक नयी स्टडी सामने आ गयी। ये तो आपके हाथ मे आपका मोबाइल है ना, वो ना.. वो ना आपको पापा नही बनने देगा। इसका क्या मतलब हुआ… मतलब ये हुआ कि ये आपके शुक्राणु हर लेगा, मतलब चोरी कर लेगा। मिर्जा पूछते है, ये शुक्राणु हरकर, किस मोबाइलनी के पास जाएगा? अरे भई जब अन्टी मे इत्ते शुक्राणु होंगे तो मोबाइलनी तो चाहिए ही होगी ना। इसका मतलब है कि मोबाइल आवारा हो गया, घर की स्त्रियों को इससे दूर रखना पड़ेगा ना?
ये तो रही मजाक की बात, असल मे इस विषय पर काफी समय से शोध चल रहा था, काफी समय पहले अमेरिका के वैज्ञानिक ने एक रिपोर्ट भी पेश की थी, लेकिन उसे गम्भीरता से नही लिया गया। अब फिर से एक और रिपोर्ट आयी है। अब मुम्बई मे भी डाक्टरों ने कुछ साझा शोध किया है। वैसे भी हम भारतीय से डरा धमका कर कुछ भी करा लो, बिना डराए, धमकाए हम भगवान को भी नही पूछते। इधर टीवी वालों को तो समझो जैसे मसाला मिल गया, लगा ली चौपाल। एक दो भुले बिसरे डाक्टर को पकड़ा, एक सेक्सोलाजी एक्सपर्ट (काहे का एक्सपर्ट, साले के के कन्सलटिंग आफिस मे मक्खियां भी नही आती) और साथ मे खूबसूरत सी, लटके झटके वाली न्यूज रीडर, चटका मारकर मैसेज पढने वाली। लो जी खुल गयी लाइने, मिलाओ जी भर के। भई हमे तो इस रिपोर्ट से ज्यादा टीवी पर लोगों के आए फोन सुनने मे बहुत मजा आया। लीजिए आप भी मौज लीजिए, कुछ असली है, कुछ मनगढंत।
कानपुर से कल्लू पहलवान का फोन है पूछते है हमारी छत पर मोबाइल कम्पनी का एंटिना लगा है। हमारी शादी हो पाँच साल हो गया, कौनो इशू नाही हुआ। हम दो साल पहले अपना शुक्राणु परीक्षण कराए था, तब शुक्राणु बहुत कम थे। लेकिन फिर भी इस साल हम बाप बन गया हूँ, कंही हमारे शुक्राणु निल होने मे, बाप बनने मे और मोबाइल के एंटीने मे कोई सम्बंध है का? लो जी, दो अब जवाब? डाक्टर टांय बोल गए, बोले गन्दा सवाल है। लेकिन हमारे मिर्जा साहब टांय नही बोले, कहते है इसका जवाब देना जरुरी है, नही तो कल्लू की आत्मा को कष्ट होगा। हमने सवाल किया, जवाब देकर ज्यादा कष्ट होगा। मिर्जा ने हमको अनुसुना करके इस सवाल का जवाब ठोंक दिया, बोले
अबे कल्लू, सीधा सीधा सम्बंध है। तुम रोशनी (पहलवान की बीबी) पर नजर रखो, मोबाइल कम्पनी के एंटीना ठीक करने आने वाले इंजीनियर्स और टेक्नीशियन कंही तुम्हारे घर की समस्या तो नही सुलझा रहे? जरा चैक करो, फिर फोन करना।
लेकिन अभी भी बहुत सारे प्रश्न अनुत्तरित रह गए है, आप जवाब दीजिए ना:
रामपुर से लल्लू का फोन था, हम अभी तीन महीने से मोबाइल लिया हूँ, बाऊजी कहते है जब भी मै कुछ नया करता हूँ तो फ़ड्डा हो जाता है, कंही ये लफड़ा मेरे मोबाइल रखने से तो नही हुआ?
बलिया से रामगोसाई पूछते है, हम मोबाइल पैंट की जेब मे रखूं कि, शर्ट की पाकेट मे या फिर कमर मे लटकाऊं? किससे कम खतरा होगा?
गया बिहार से विशम्भर नाथ पूछते है, हम तो धोती पहनता हूँ, कहाँ पर रखना सेफ़ होगा?
मुम्बई से मिस गुलज़ान पूछती है, क्या इससे पुरुषो की अहमियत घटने और मोबाइल की अहमियत बढने की सम्भावना होगी?
इस खबर पर लेटेस्ट रिएक्शन
दिल्ली से नेताजी ने नया नारा दिया है, “मोबाइल या बच्चा, च्वाइस आपकी”। इधर समाज कल्याण मंत्रालय, जो कन्डोम बाँटते बाँटते थक गया है अब मोबाइल बाँटने की सोच रहा है।
Leave a Reply