वॉशिंग्टन डीसी

दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश और उसकी समृद्ध राजधानी। जी हाँ, आज हम बात करते हैं वॉशिंग्टन डीसी की। मैं, आपका हमसफ़र जितेंद्र चौधरी, आज लेकर चलता हूँ आपको अमरीका की राजधानी की सैर पर।

सबसे पहले तो नाम का खुलासा किया जाए। जैसे हमारे यहाँ गांधी जी के नाम पर कई शहर हैं, अगर एक से ज्यादा होते तो फिर कैसे बुलाते? गांधी नगर गुजरात, गांधीधाम कच्छ, ठीक वैसे ही अमरीका में भी है। जॉर्ज वॉशिंगटन अमरीका के पहले राष्ट्रपति थे, खासे लोकप्रिय हुआ करते थे। उनके नाम पर वॉशिंग्टन राज्य भी है और वॉशिंग्टन शहर भी। अब इस पचड़े में न पड़ा जाए कि शहर उनके नाम पर था या वे उस शहर से आते थे। अब एक नाम के दो राज्य और शहर हैं, तो शहर के आगे उसके राज्य का नाम लिखा जाना स्वाभाविक है। तो जी, आज हम पहुँचे हैं वॉशिंग्टन डीसी (डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया)।

वॉशिंगटन डीसी कोई मामूली शहर नहीं, यहाँ से पूरी दुनिया पर हुकूमत चलती है। यहाँ की हर सड़क, हर मोड़ से इतिहास की महक आती है। शहर ज़्यादा बड़ा नहीं है लेकिन भव्य है। आइए देखते हैं कुछ मजेदार जगहें। सबसे महत्वपूर्ण जगह पहले चलते हैं, दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंसान को ज्यादा इंतज़ार कराना ठीक नहीं।

व्हाइट हाउस – यहाँ पहुँचते ही सबसे पहले आपको वही सफेद महल दिखेगा जिसे आप न्यूज़ चैनल्स पर बार-बार देख-देखकर पक चुके होंगे। हम भी। लेकिन इतनी दूर आए हैं, तो मत्था टेके बिना जायेंगे नहीं। लेकिन भाई, सच्ची बोलें, हमको तो व्हाइट हाउस से ज़्यादा उसके चौकीदार बहुत सालिड लगे—एकदम बोले तो जेम्स बॉन्ड सरीखे। मुस्तैद, सुडौल, काला चश्मा, फुल सूट और साइकिल की सवारी। साइकिल क्यों? अरे यार, गलियां इतनी छोटी-छोटी और टेढ़ी-मेढ़ी हैं कि जब तक ये लोग अपनी काली एसयूवी निकालेंगे, तब तक तो बहुत देर हो जाएगी। हमें एक मिला, मैंने पूछा, “फोटो खिंचवाते हैं?” बोला, “नहीं, तुम तो निकल लोगे, यहाँ सरकार मुझे निकाल देगी।” इसलिए तुम ही निकलो… ऐसा कहकर उसके साथ सैल्फी वाला आइडिया ड्रॉप किया गया। अगला स्टेशन है नेशनल मॉल।

नेशनल मॉल – मॉल सुनते ही लगा ना कि शॉपिंग होगी? नहीं भाई, यहाँ कोई शॉपिंग मॉल नहीं, बल्कि बहुत सारे म्युज़ियम हैं। एक तरफ भव्य लिंकन मेमोरियल में बैठा अपना लिंकन भाई सोच रहा होगा, “मैंने ऐसा देश तो नहीं सोचा था।” दूसरी ओर वॉशिंग्टन मोन्युमेंट खड़ा है, एक लंबा सा खंबा जो पूरे डीसी को तिरछी नज़र से देखता है। समझो यहाँ का CCTV। CCTV से याद आया कि पूरा शहर CCTV से भरा हुआ है—आप कब शहर के अंदर आए, किस किस से मिले, कौन से रेस्तरां में क्या क्या खाया और कौन से बाथरूम में गए, वगैरह-वगैरह। इसी चक्कर में हम सुबह से रोके हुए हैं। अगला पड़ाव स्मिथसोनियन म्यूज़ियम्स।

स्मिथसोनियन म्यूज़ियम्स – यहाँ इतने म्यूज़ियम हैं कि दो दिन भी कम लगेंगे। समझो इतने म्युजियम कि जिधर पत्थर उठाकर फेंकिए, किसी न किसी म्यूज़ियम में ही जाकर गिरेगा। लेकिन मजाल है कि आपने पत्थर उठाया भी, बताया था ना, CCTV…पत्थर उठाने से पहले, ये काले चश्में वाले आपको उठा लेंगे… आगे आपकी इज्ज़त आपके हाथ है, इसलिए पत्थर को उठाने की जिद छोड़ो, इज्ज़त हाथ में रखो। अगला पड़ाव कैपिटल हिल।

यूएस कैपिटल – ये यहाँ की संसद है, जहां पर सारे सांसद, जिन्हें यहाँ सीनेटर कहते हैं, बैठकर डिसाइड करते हैं कि आज किस देश की खबर लेनी है। 😜 मेरा बहुत मन किया, अंदर जाकर देख आऊँ, लेकिन चौकीदार बोला, “इंडिया से हो, वहाँ की संसद अंदर से देखे हो?” हम बोले, “नहीं।” जवाब मिला, “पहले वो वाली देखो, फिर ये वाली देखना।” अब इसको कौन समझाए, भारतीय संसद के अंदर जाने के लिए पहले अनपढ़, अपराधी और लास्ट-नाम वाली योग्यता चाहिए होती है। हम तो तीनों में फिसड्डी हैं। आइए अब चलते हैं जॉर्जटाउन, बहुत भूख लगी है।

जॉर्जटाउन – थोड़ी मस्ती और स्वादिष्ट खाना चाहते हो, तो जॉर्जटाउन ज़रूर जाओ। यूरोप जैसी सड़कों पर कॉफी की खुशबू और सड़क किनारे के रेस्टोरेंट्स पर सबसे बेहतरीन बर्गर और पिज़्ज़ा, जिनकी महक आपको दूर से ही खींच लेगी। आप ज़रा खाना निबटा लो, हम आते हैं, अपने जिगरी से मिलकर।

अमरीका में आते ही भाई लोगों के फोन आने शुरू हो जाते हैं। मेरे जितने दोस्त भारत में नहीं, उससे ज्यादा अमरीका में भरे पड़े हैं। ये लोग समय पर अमरीका पहुँच गए और हम मिडिल ईस्ट वाले रास्ते पर अटक कर रह गए। ऐसे ही अपने अग्रवाल साहब, अपने परिवार सहित वॉशिंग्टन की एंट्री पर ही मिल गए, बस फिर उनके साथ उनका शहर घूम रहे थे। अब जैसा कि अक्सर होता है, दिल्ली वाले कभी लाल किला देखने नहीं जाते, वैसे ही अग्रवाल साहब बोले, “हम तो कहीं जा रहे, यहीं गार्डन में डेरा डालते हैं।” एक तरफ लिंकन मेमोरियल दूसरी तरफ दोस्ती। अब 30 साल पुरानी दोस्ती के आगे भाड़ में गया म्यूज़ियम और स्मारक। दोस्त ही दुनिया है। खूब गप्पे हांकी, बहुत मज़ा आया।

तो भाई, अगली बार जब अमरीका जाओ तो वॉशिंग्टन डीसी ज़रूर जाना, जाओगे कैसे नहीं, पत्नी और परिवारवाले आपके नाक में दम कर देंगे। और हाँ, वॉशिंग्टन डीसी में अगर आपको कहीं कोई सीक्रेट सर्विस वाला, काले चश्मे में , एसयूवी लिए शख्स दिखे, तो घबराओ मत, एकदम नहीं घबराने का। डीसी में ये नज़ारे एकदम आम हैं। अपने यहाँ जैसे गली-मोहल्ले के नुक्कड़ पर गोलगप्पे वाले होते हैं ना, ठीक वैसे ही। अब लेख यहीं समाप्त करते हैं, वो काले चश्मे वाला इधर ही आ रहा है, लेकिन घबराने का बिल्कुल नहीं….. अरे ये तो मुझे उठाकर लिए जा रहे हैं……… 😜

उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। पढ़ने के लिए धन्यवाद। मैं यात्रा से जुड़ी कोई सेवा या सामग्री नहीं बेचता, बल्कि शौकिया अपने यात्रा अनुभवों को शब्दों में पिरोने की कोशिश करता हूँ। सफर यूँ ही जारी रहेगा, मुझे फॉलो करना न भूलें। जल्द ही मिलते हैं एक नई यात्रा पर।

फोटो: वॉशिंग्टन 2016

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