बहुत दिनों बाद आपसे मुखातिब हुआ हूँ, क्या करें मुआ ट्विटर और फेसबुक जान छोड़े तब ना। आज भी ये वाली पोस्ट मोबाइल से ही लिख रहा हूँ, लैपटॉप खोले तो जमाना हो गया।
तो भैया, हम बात कर रहे हैं नेताओं की अंतरात्मा की, मिर्जा पीछे से बड़बड़ा रहे हैं ‘जो चीज होती नही उसके बारे में बात काहे करें।’ सही कहा, इन नेताओं के पास या तो आत्मा होती नही और अगर कंही अपवाद स्वरूप होती भी है तो चुनाव आने तक सोती रहती हैं।
इसी तरह के एक नेता हैं, राम बिलास पासवान, इन्होंने आत्मा की आवाज पर दलबदल करने में पीएचडी कर रखी है, इनकी आत्मा की आवाज हर चुनाव के पहले इनको आवाज देकर कहती हैं, जा, जीतने वाले पक्ष की तरफ पालाबदल कर। आजकल मोदी की हवा देखकर ये एनडीए के पाले में है, कल कहां होंगे खुद इनको नही पता।
अब ये अकेले दलबदलू नेता हैं, एेसा नही है, अजीत सिंह, झारखंड मुक्ति मोर्चा वाले, मायावती और भी ढेर सारे नेता हैं जो आत्मा की आवाज वाली सियासत करते हैं, विचारधारा गयी तेल लेने।
मोबाइल पर ब्लॉग लिखना कठिन है, इसलिए अभी लेख समेटते हैं, मिलते रहिये और पढते रहिए मेरा पन्ना।
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