साफ़्ट्वेयर डेवलपमेन्ट का जीवनचक्र
ये किसी भी साफ़्ट्वेयर डेवलपमेन्ट कम्पनी मे जीवन्त रुप मे देखी जा सकती है
- प्रोग्रामर ने कोड को बनाया जो उसकी नजर मे बग फ़्री है.
- कोड टेस्टिंग करने वालो ने उसमे २० बग ढूंढे.
- प्रोग्रामर ने १० बग को फ़िक्स किया और टेस्टिंग करने वालो को समझाया कि बाकी के दस बग नही है
- टेस्टिंग करने वालो ने पाया कि फ़िक्स किये गये दस बग मे से पाँच नही चल रहे, और उन्होने १५ नये बग ढूंढे
- नम्बर तीन पर वापस जायें
- नम्बर चार पर वापस जायें
- नम्बर पाँच पर वापस जायें
- नम्बर छ: पर वापस जायें
- नम्बर सात पर वापस जायें
- नम्बर आठ पर वापस जायें
- मार्केटिंग डिपार्टमेन्ट के डन्डे की वजह से और प्रेस मे पहले से दिये गये आशावादी डिलीवरी शैड्यूल की वजह से इस अधपके और गलतियो वाले कोड को बाजार मे रिलीज कर दिया जाता है
- प्रयोकता(यूजर) इस प्रोग्राम को प्रयोग करके दसियो गालियाँ निकालता है और प्रोग्राम मे १३७ बग ढूंढ निकालता है.
- मूल प्रोग्रामर जिसने ये कोड लिखा था, अपनी दुकान समेटकर चम्पत हो चुका होता है, और किसी और कम्पनी मे यही प्रक्रिया दोहरा रहा होता है
- नव गठित टीम प्रोग्राम की १३७ गलतियाँ तो सुधार लेती है, लेकिन ४५६ नयी गलतियाँ कर देती है
- मूल प्रोग्रामर टिम्बकटू से इमेल लिखता है और अपने ब्लाग मे प्रोजेक्ट की और गलतियो को ऊल्लेख करता है, ये ब्लाग पढकर सारा टेस्टिंग विभाग निकाल दिया जाता है.
- इस कम्पनी को प्रतियोगी कम्पनी, अपने नये प्रोडक्ट के लाभ से टेक ओवर कर लेती है, नया प्रोडक्ट, जिसमे ७८३ गलतिया है.
- नया सीईओ, पुरानी कम्पनी की बागडोर सम्भालता है और मूल प्रोग्रामर को बुलावा भेजता है.
- अब तक टेक्नोलोजी बदल चुकी है, लिहाजा मुल प्रोग्रामर, कोड को नयी प्रोग्रामिंग लेन्गूएज मे लिखता है
- प्रोग्रामर ने कोड को बनाया जो उसकी नजर मे बग फ़्री है……
और ये प्रक्रिया जारी रहती है अनवरत….
इस लेख का अंग्रेजी पाठ यहाँ देखें
Leave a Reply