बनारस के लेख को अपने पसंद किया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आज बनारस के आसपास कर किसी शानदार स्थान को देखा जाए। मैं आपका हमसफ़र जितेंद्र चौधरी, चलिए आज साथ साथ घूमते हैं सारनाथ।
जब भी इतिहास के पन्नों को पलटता हूँ, सारनाथ का नाम सुनते ही एक अद्भुत शांति का एहसास होता है। वाराणसी से महज़ कुछ किलोमीटर की दूरी पर बसा ये स्थान हमें उस सुनहरे समय में ले जाता है, जब गौतम बुद्ध ने यहाँ अपना पहला उपदेश दिया था। यहीं पर धर्मचक्र प्रवर्तन हुआ था – एक ऐसा पल जिसने पूरी दुनिया को करुणा, शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाया।
सारनाथ का धमेख स्तूप, जो बुद्ध के प्रथम उपदेश के स्थल पर बनाया गया है। इसकी ऊंचाई लगभग 42 मीटर है और बेहद शानदार है। यह बुद्ध के उपदेश का साक्षी है, जो आज भी अपनी भव्यता से लोगों को आकर्षित करता है। इसके चारों ओर बिखरी हुई प्राचीन मूर्तियाँ और अवशेष भारतीय इतिहास और बौद्ध संस्कृति का बेमिसाल प्रतीक हैं।
अशोक स्तंभ, मौर्य सम्राट अशोक द्वारा स्थापित किया गया था और इसके शीर्ष पर सिंहराज की एक सुंदर प्रतिमा है। यह स्तंभ भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। सारनाथ का संग्रहालय भी आपको बौद्ध कला और संस्कृति से संबंधित प्राचीन कलाकृतियों और मूर्तियों के ज़रिए एक समृद्ध इतिहास से रूबरू कराता है।
यहाँ का माहौल ही कुछ ऐसा है कि जब आप इन ऐतिहासिक स्थलों के बीच खड़े होते हैं, तो लगता है जैसे समय ठहर सा गया हो। हर कोने में एक कहानी है, हर पत्थर में एक स्मृति। अगर आप इतिहास, संस्कृति और शांति के चाहने वाले हैं, तो सारनाथ आकर आपको बहुत अच्छा लगेगा। तो, अगली बार बनारस की यात्रा में सारनाथ की इस पावन भूमि को ज़रूर नमन कीजिए।
लेख पढ़ने के लिए शुक्रिया, बिना कमेन्ट किए मत जाइयेगा, आपकी कमेंट ही मेरी पूँजी है। घुमक्कड़ी का सफ़र यूँ ही जारी रहेगा, मेरे हमसफ़र बनने के लिए , मुझे फॉलो करना मत भूलिएगा।आलोचना, राय, सुझाव और टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है।
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