मै हिन्दी फ़िल्मों मे कामेडी फ़िल्मे देखना ज्यादा पसन्द करता हूँ। एक दिन बैठे बैठे ख्याल आया कि क्यों ना हिन्दी की अच्छी कामेडी फ़िल्मो को फ़िर से देखा जाय। अब देखने की बारी तो बाद मे आती, जब पहले उन सभी की लिस्ट बनाते तो जनाब, आजकल कागज पेन का जमाना तो रहा नही, इसलिये ब्लाग पर ही लिखकर आप सभी से सलाह ले लेता हूँ। उस से दो फ़ायदे होंगे एक तो लिस्ट परफ़ेक्ट बनेगी,कंही कोई भूल चूक नही होगी और दूसरा आप लोगों की राय भी पता चल जायेगी। तो जनाब शुरु करते है हिन्दी फ़िल्मों की अच्छी कामेडी फ़िल्में
१.चलती का नाम गाड़ी (१९५८)
अशोक,किशोर और अनूप कुमार द्वारा अभिनीत यह शानदार फ़िल्म,सबकी अच्छी अदाकारी और जोरदार म्यूजिक के लिये भी जानी जाती है।
२.हाफ़ टिकट(१९६२)
ये फ़िल्म भी अच्छी थी, स्टोरी मुझे कुछ याद नही, क्या आपको याद है?
३.प्यार किये जा(१९६६)
कौन भूल सकता है? वो महमूद का ओमप्रकाश को फ़िल्म की स्टोरी सुनना,या फ़िर किशोर कुमार की जबरद्स्त परफ़ोर्मेन्स। रही बात शशि कपूर, उन्हे हिरोइन के साथ पेड़ो के चक्कर लगाने से फ़ुर्सत ही नही थी। लेकिन फ़िल्म बहुत शानदार थी।
४.पडोसन(१९६८)
फ़िर आयी पडोसन, आल टाइम क्लासिक कामेडी फ़िल्म, आज भी देखता हूँ तो पेट पकड़ कर हँसता हूँ। सुनील द्त्त, किशोर और महमूद को कौन भूल सकता है?
५.बाम्बे टू गोवा(१९७२)
एक नया प्रयोग था, फ़िल्म अच्छी बन पड़ी थी,अमिताभ बच्चन का इसमे मेन लीड रोल था।
६.चुपके चुपके (१९७५)
जबरद्स्त फ़िल्म,शानदार स्टोरी,जानदार स्क्रीन प्ले,गुनगुनाने लायक संगीत और कामेडी के अच्छे सीन। उत्पल द्त्त,धर्मेन्द्र और अमिताभ की एक्टिंग भुलाये नही भूलती।सबसे बडी बात ॠषिकेश मुखर्जी के बेमिसाल डायरेक्शन ने इस फ़िल्म को अमर बना दिया।
७.छोटी सी बात(१९७५)
बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म मे अमोल पालेकर और अशोक कुमार ने बहुत अच्छा अभिनय किया था।
८.खट्टा मीठा(१९७८)
बासू दा की एक और अच्छी कामेडी फ़िल्म। अशोक कुमार और पर्ल पदमसी का बेमिसाल अभिनय।
९.गोलमाल (१९७९)
उस समय कामेडी फ़िल्मों का ही दौर था। गोलमाल,अमोल पालेकर डबल रोल मे, और उत्पल द्त्त एक शानदार रोल में। हिन्दी कामेडी की एक नायाब फ़िल्म।
१०.चश्मे बद्दूर (१९८१)
फ़ारुख शेख,दीप्ति नवल,रवि वासवानी और राकेश बेदी। कमाल कर दिया था इन सबने मिलकर। सई परांजपे का सधा हुआ निर्देशन देखने लायक था।
११.अंगूर(१९८२)
कामेडी फ़िल्म बनाने मे गुलजार साहब भी क्यों पीछे रहते। संजीव कुमार और देवेन वर्मा के डबल रोल के साथ हाजिर हो गये। हरि भाई की एक यादगार फ़िल्म।
१२.जाने भी तो यारों(१९८३)
कुन्दन शाह भी कमाल के डायरेक्टर है, एक छोटे से विषय पर एक शानदार कामेडी फ़िल्म बना डाली। नसीरूद्दीन शाह,रवि वासवानी,सतीश शाह और ओम पुरी ने अच्छी एक्टिंग की थी।
१३.आंखे(१९९२)
फ़िर लगभग दस सालों के अन्तराल के बाद एक अच्छी कामेडी फ़िल्म आयी, जिसमे डेविड धवन और गोविन्दा की टीम ने जबरदस्त परफ़ार्मेन्स दी। और तो और, इसमे चन्की पान्डे भी थे, जो फ़्लाप फ़िल्मो के लिये जाने जाते है। गोविन्दा इस फ़िल्म की जान थे।आज भी ये फ़िल्म देखो तो मजा आता है।
१४.अन्दाज अपना अपना(१९९४)
आमिर खान और सलमान द्वारा अभिनीत इस फ़िल्म मे परेश रावल और शक्ति कपूर ने अच्छी एक्टिंग की थी। राजकुमार संतोषी ने अच्छा डायरेक्शन किया था।
१५.चाची ४२०(१९९७)
कमल हसन द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म मे कमल हसन ने लीड रोल किया था, अमरीश पुरी,परेश रावल और ओम पुरी ने खास भूमिकाये निभाई थी।
१६.हेरा फ़ेरी(२०००)
प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म मे मेरे फ़ेवरिट परेश रावल थे। अच्छी कामेडी बन पड़ी थी।
वैसे लिस्ट तो बहुत लम्बी है, फ़िर भी इन्हे अच्छी फ़िल्मे कहा जा सकता है। अब समस्या ये है कि इनमे से टाप टैन कैसे सिलेक्ट करूँ? क्या आप मदद कर सकते है? या फ़िर कोई और फ़िल्म मै अगर भूल रहा हूँ तो उसे भी शामिल करवा दीजिये।
Leave a Reply to lalit kumar nagar Cancel reply