शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में.

आठवी अनुगूँजः शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में
Akshargram Anugunj

शिक्षा का प्रथम उद्देश्य बच्चों को एक परिपक्व इन्सान बनाना होता है, ताकि वो कल्पनाशील,वैचारिक रूप से स्वतन्त्र और देश का भावी कर्णधार बन सकें. किन्तु भारतीय शिक्षा पद्दति अपने इस उद्देश्य मे पूर्ण सफलता नही प्राप्त कर सकी है, कारण…बहुत सारे है. सबसे पहला तो यही कि अंगूठाछाप लोग डिसाइड करते है कि बच्चों को क्या पढना चाहिये, जो कुछ शिक्षाविद है वो अपने दायरे और विचारधाराओं से बन्धे है, और उनसे निकलने या कुछ नया सोचने से डरते है, ऊपर से राजनीतिज्ञों का अपना एजेन्डा होता है, कुल मिलाकर शिक्षा पद्दति की ऐसी तैसी करने के लिये सभी लोग चारो तरफ से आक्रमण कर रहे है, और ऊपर से तुर्रा ये कि ये सभी लोग समझते है कि सिर्फ वे ही शिक्षा का सही मार्गदर्शन कर रहे है. जबकि दरअसल ये ही लोग उसकी मा बहन कर रहे है.मै किसी एक पर दोषारोपण नही करना चाहता, शिक्षा पद्दति की रूपरेखा बनाने वालों को खुद अपने अन्दर झांकना चाहिये और सोचना चाहिये, कि क्या उसमे मूलभूत परिवर्तन की जरूरत है.आज हम रट्टामार छात्र को पैदा कर रहे है, लेकिन वैचारिक रूप से स्वतन्त्र और परिपक्व छात्र नही, क्या यही हमारा एक मात्र उद्देश्य है? आज जब धीरे धीरे सत्ता अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के हाथो मे फिसलती जा रही है, तो हम उनसे क्या क्या आशा रखें. सारी राजनैतिक पार्टियां अपने अपने तरीके से इतिहास को बदलने की कोशिश कर रही है, ये सभी कुछ इतना घटिया लग रहा है कि मेरे पास इनकी भर्तत्सना करने के लिये शब्द नही है,

पहले किसी बच्चे से पूछा जाता था कि बढे होकर तुम क्या बनोगे तो उसका जवाब डाक्टर,इन्जीनियर,पायलट या कुछ और होता था, इसके पीछे पैसा नही होता था, बल्कि देशसेवा और समाज को आगे बढाने का ज़ज्बा होता था, आजकल बच्चा बोलता है कि मै बढा होकर नेता बनना चाहता हूँ, क्योंकि इस पेशे मे ज्यादा पैसा है, क्या शिक्षा सिर्फ जीवन मे पैसे कमाने के लिये की जाती है? क्या हम बच्चों का मार्गदर्शन सही दिशा मे कर रहे है.आजकल शिक्षा के मायने ही बदल गये है, क्योंकि हम लोगो के सोचने का तरीका ही बदल गया है, या बकौल कुछ लोगो के “हम लोग कुछ ज्यादा ही व्यवहारिक और स्वार्थी हो गये है”, हर बच्चा चाहता है कि जल्द से जल्द अपनी पढाई पूरी करे और किसी जगह पर फिट हो जाये, उसने क्या पढा और कितना पढा, उससे इसको मतलब नही है, या जो पढा उसका जीवन मे कितना प्रयोग होगा, उससे भी इसको सारोकार नही है, उसको तो बस अपने शिक्षा के इन्वेस्टमेन्ट के रिटर्न से मतलब है, यानि कि शिक्षा और रोजगार, एक व्यापार हो गया है, पैसा लगाओ और और पैसा पाओ. अब बच्चों को ही क्यों दोष दे, उनके माता पिता भी तो इसी लाइन पर ही सोचते है, कि जल्दी से बच्चा पढ लिख ले तो पैसा कमाने की मशीन की तरह काम करे.क्या यही है शिक्षा का उद्देश्य? यदि यही है तो लानत है ऐसे उद्देश्यों पर.

शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जो हमारे जीवन को एक नयी विचारधारा,नया सवेरा देता है, ये हमे एक परिपक्व समाज बनाने मे मदद करता है. यदि शिक्षा के उद्देश्य सही दिशा मे हों तो ये इन्सान को नये नये प्रयोग करने के लिये उत्साहित करते है.शिक्षा और संस्कार साथ साथ चलते है, या कहा जाये तो एक दूसरे के पूरक है.शिक्षा हमे संस्कारों को समझने और बदलती सामाजिक परिस्थियों के अनुरूप उनका अनुसरण करने की समझ देता है. आज शिक्षा जिस मुकाम पर पहुँच चुकी है वहाँ उसमे आमूल परिवर्तन की गुंन्जाइश है, आज हमे मिल बैठकर सोचना चाहिये, कि यदि शिक्षा हमारे उद्देश्यों को पूरा नही करती तो ऐसी शिक्षा का कोई मतलब नही है. आज जब भगुवाधारी अपना ऐजेन्डा चला रहे है, दूसरी तरफ सो काल्ड धर्मनिरपेक्ष वाले अपना कांग्रेसी एजेन्डा और तीसरी तरफ मदरसों द्वारा शिक्षा का इस्लामीकरण किया जा रहा है तो किसी से क्या उम्मीद रखें. आप खुद ही बताइये कि भगुवाकरण,कांग्रेसीकरण और इस्लामीकरण से हम कैसे समाज का निर्माण कर रहे है, हम लोगो को लोगो से दूर कर रहे है. हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर रहे है जो अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे धर्मो से गिरा हुआ मानेगा और कभी दूसरे धर्म की बेइज्जती करने से नही चूकेगा. या फिर इस्लामी कट्टरता से बच्चा अपनी जिन्दगी को ही इस्लाम की अमानत समझने मे बिता देगा. क्या यही उद्देश्य है शिक्षा के?

अभी भी समय है, जागो, चेतो और इस बिगड़ते हुए शिक्षा के सिस्टम को बचा लो, वरना कल बहुत देर हो जायेगी.मेरे कुछ सुझाव है, जिन्हे शिक्षाविद चाहें तो अमल मे ला सकते हैः

१. शिक्षा को ना केवल किताबी ज्ञान बल्कि व्यवहारिक शास्त्र के रूप मे प्रदान करना चाहिये.
२. परीक्षा के प्रारूप और शिक्षा के स्वरूप मे आमूल परिवर्तन की गुन्जाइश है.
३. कम्पयूटर शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिये.
४. बच्चों से शिक्षा के एक्ट्ररा लोड को कम कर देना चाहिये.और उनके मानसिक,तार्किक विकास और पर्सनाल्टी डेवलपमेन्ट पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये.
५. शिक्षा के भगुवाकरण,इस्लामीकरण और कांग्रेसीकरण से बचना चाहिये.इतिहास को इतिहास ही रहने दो, पार्टी का लेबल मत लगाओ.
६. शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक ज्ञान भी दिया जाना चाहिये, एडवान्स क्लासेस मे तो यह अनिवार्य होना चाहिये.
७. छात्रों को नये खोजें करने और नये प्रयोग करने उत्साहित करना चाहिये.
८. अंगूठाछाप लोगो को सिर्फ राजनीति तक ही सीमित रखना चाहिये.शिक्षा की सलाहकार समितियों से इन लोगो का पत्ता साफ कर देना चाहिये.
९. भारतीय संस्कृति और संस्कार की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिये.
१०. स्टूडेन्ट एक्सचेन्ज प्रोग्राम को ज्यादा बढावा दिया जाना चाहिये, ताकि छात्रो दूसरे देशों के छात्रो से ज्यादा कुछ सीख सकें.
११. ग्रामीण शिक्षा के स्तर को सुधारा जाना आवश्यक है. इपर अभी बहुत ज्यादा काम किया जाना बाकी है.
१२. सेक्स एजुकेशन अनिवार्य कर दी जानी चहिये.
१३. प्रोढ शिक्षा के लिये स्वयं सेवी संगठनो को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन एवं सहायता दी जानी चाहिये.

8 responses to “शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में.”

  1. Prem Avatar

    जीतूजी,
    सही कहा है किसी ने कि इंतजार का फल मीठा होता है । विश्लेषण सराहनीय है , मुझे आपके सुझाव काफी सुंदर लगे ।

  2. पंकज नरुला Avatar

    लगता है स्वामी जी की अंदर लगी आग अब फैलती जा रही है। जरा जीतू जी के इस वाक्य पर गौर दीजिए

    “अभी भी समय है, जागो, चेतो और इस बिगड़ते हुए शिक्षा के सिस्टम को बचा लो,”

    मजाक अपार्ट जीतू जी ऐसे दो चार लेख लिख डालिए।

    पंकज

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  6. arpana Avatar
    arpana

    i am agree with your view, aajkal to shiksha ka majak banane me pura shikshatantra lag gaya hai mp board ki to dhajiya hi udai ja rahi hai board apna name bachane ke liye paper hi net par dal raha hai ye to hui shiksha ki bat…. aur shikshak paisa kamane ke jariye….
    EN DO PATO KE BEECH STUDENTS KO BACHANE WALA KON HAI??????????

  7. Arun Kumar Jha Avatar

    जितु जी आपके लेख “शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में.”को मै अपनी पत्रिका दृष्टिपात मे शिक्षा विशेषाँक मे प्रकाशित करना चाह्ता हू, आपकी अनुमति चाहिये .
    मेरा मेल आई डी है- wgmrak@gmail.com
    Drishtipat Hindi monthly
    http://www.drihtipatpatrika.blogspot.com

  8. chandra shekhar sharma Avatar
    chandra shekhar sharma

    aapne katu satya likha hai

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