इमान चीज़ क्या थी कई जान से गए
मैं तो छुपा हुआ था हज़ारों नक़ाब में
लेकिन अकेले देख के पहचान से गए
वो शमा बन के ख़ुद ही अकेले जला किया
परवाने कल की रात परेशान से गए
आया तेरा सलाम न आया है ख़त कोई
हम आख़िरी सफ़र के भी सामान से गए
‘राही’ जिन्हें ख़ुदा भी न समझा सका कभी
बैठे बिठाए देख लो अब मान से गए
-सईद राही
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