बीबीसी पर छपी एक खबर के अनुसार स्कन्डनेवियन देशों जैसे डेनमार्क और आइसलैन्ड मे आजकल पिता अपने दफ्तर से छुट्टियाँ लेकर अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिता रहे है, ताकि रिश्ते की डोर ज्यादा मजबूत हो सके.अच्छी बात है भई, जरूर मजबूत करिये.
अब मेरी फैमिली तो भारत यात्रा पर है, यहाँ हम छड़े का जीवन व्यतीत कर रहे है, इसलिये इस खबर से प्रेरित होकर, हमने भी दफ्तर से छुट्टी लेकर भारत यात्रा पर जाने का मन बना लिया है. इसलिये जुलाई का महीना तो अब स्वदेश मे ही बीतेगा.
इसका मतलब “शुक्लाजी”, जैसे महानुभावों को हिन्दी ब्लागजगत में सन्नाटा खलेगा, नही भई, शुक्लाजी को इतना परेशान होने की जरूरत नही है, हम पूरे महीने का इन्ज़ाम करके जा रहा हूँ( सौजन्य सेःवर्डप्रेस की फ्यूचर पोस्ट फैसिलिटी), विश्वास ना आये तो कल से झेलियेगा, पूरे महीने, पोस्ट ही पोस्ट.
अब तो लौट कर ही मुलाकात होगी, कोशिश करूंगा कि भारत से भी कुछ लिख सकूँ, तो भइया तब एक महीने के लिये आज्ञा दीजिये. आपने मुझे इतने प्यार से पढा और झेला, इसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
तो फिर मुलाकात होती है, अगस्त में.
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