सबसे पहले तो मै अपने पाठकों से माफ़ी चाहता हूँ, मै आजकल नियमित रुप से नही लिख पा रहा हूँ। कुछ कार्य सम्बंधित और निजी व्यस्तता के चलते ही ऐसा हो रहा है। लेकिन आप चिन्ता मत करें, जब लौटूंगा तो सारी कसर पूरी करूंगा। तो जनाब आज बात करते है योग की।
भारत ने दुनिया को शून्य से परिचित कराया और भारत ने ही दुनिया को योग से भी परिचित कराया। आजकल की दौड़ भाग भरी जिन्दगी मे हमारे पास अपने बारे मे सोचने का समय ही कहाँ है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है, सुबह का थोड़ा समय देकर, सुबह की शुरुआत अगर योग से हो तो यकीनन दिन भर चेहरे में तेज और शरीर में स्फ़ूर्ति रहेगी। योग में अलग-अलग आसन हैं जिनका एक अपना ही महत्व है। हम इस योग चर्चा मे समझेंगे कि योगाभ्यास किस प्रकार हमारे शरीर को चुस्त और दुरुस्त रखने मे हमारी मदद कर सकता है। योग शारीरिक संतुलन को बरकरार रखने की एक ऐसी विद्या है जिसने पौराणिक काल मे ऋषि-मुनियों से लेकर आज की युवा पीढ़ी को चुस्त-दुरुस्त बने रहने का नुस्खा दिया है।
सूर्य नमस्कार हो या पद्मासन सबमें शरीर के अंगों का ऐसा इस्तेमाल होता है कि दिल-दिमाग दोनों को खुराक मिलती है। मग़र नई पीढ़ी में अपने पुरखों की इस अनमोल विरासत को संजोकर रखने को लेकर कुछ ज्यादा ज़्यादा संजीदगी नज़र नहीं आती। उधर दूसरी तरफ़ पश्चिमी दुनिया के लोग, योग की तरफ़ बहुत तेजी से रुख कर रहे है। क्योंकि योग है बड़ी लाजवाब चीज़। थोड़ा सा वक़्त दीजिए और ज़िंदगी को अपनी मुट्ठी में कर लीजिए। न मोटापे की चिंता और न वजन बढ़ने का डर। तनाव और थकान जैसे रोगों के लिए तो ये विद्या अचूक इलाज है।तो जनाब आज हम बात करते है सूर्य नमस्कार की। सूर्य नमस्कार मतलब सूर्य देवता को हमारा प्रथम प्रणाम। सूर्य नमस्कार मे १२ मुद्राये होती है जो सूर्य देवता के १२ नामों को समर्पित होती है।देखिये ऊपर वाला ग्राफ़िक्स:
सूर्य नमस्कार को सही तरीके से करने के लिये साथ वाला एनीमेशन भी देखें। सूर्य नमस्कार करते समय सांसो को विशेष रुप से नियन्त्रित किया जाता है अधिक जानकारी के लिये यहाँ पर जरुर देखें।अगली बार हम बात करने कुछ और योग मुद्राओं की और चर्चा करेंगे योग द्वारा विभिन्न रोगों के उपचार की।मुझे बताना मत भूलियेगा कि आपको इस विषय पर चर्चा करना कैसा लगा।
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