हाँ जी, कुछ ऐसा ही सोच रहा था, भारत के अखबारों मे आजकल होड़ लगी हुई है कौन किस से बढकर, गरमागरम तस्वीरो का प्रदर्शन करता है. कोई भी अखबार उठाकर देख लीजिये, आप हर तरफ यही सब पायेंगे. चाहे हिन्दी का अखबार हो या अंग्रेजी का. अगर पहले पन्ने पर नही होगा तो बीच मे कंही होगा, नही तो किसी विशेषांक मे जरूर होगा. कुछ ऐसा ही हाल समाचारपत्रों की वैबसाइट का भी है. शायद कुछ इन्ही कारणो और बहुत सारे विज्ञापनो को झेलने के डर से मैने इन्डियाटाइम्स वगैरहा जैसी साइटों को खोलना छोड़ दिया है.
शायद मेरे विचारों से सहमत होकर, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को लताड़ लगायी है और पूछा है “ये सब क्या चल रहा है भई?”
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