साथियों पिछले दो लेखो मे हमने म्युचल फंड की प्राथमिक जानकारी और म्युचल फंड की कुछ योजनाओं के बारे मे बात की थी। आइए वहीं से आगे शुरु करते है। मैने कोशिश की है कि अंग्रेजी शब्दों का कम से कम प्रयोग हो, लेकिन जैसा कि आपको पता ही है, कुछ तकनीकी और प्रचलित शब्दों के हिन्दीकरण करने से लेख का प्रभाव कम हो जाएगा। आशा है आप इस सम्बंध मे मेरे विचारों से सहमत होंगे। आइए म्युचल फंड के फंडे को आगे बढते है।
म्युचुअल फंड कितने प्रकार के होते है?
म्युचल फंड कई प्रकार के होते है। आइए म्युचल फंड के वर्गीकरण पर कुछ बात करते है।
इक्विटी फंड (Equity Funds)
इस तरह के म्युचल फंड मुख्यत: वे फंड होते है, जिनका शत प्रतिशत निवेश, कई शेयरों मे होता है। इनमे डाइवर्सीफाइड इक्विटी सबसे अधिक प्रचलित है। शेयरों के अनुसार ही इन म्युचल फंडो का लघु वर्गीकरण किया जाता है। जैसे डाइवर्सीफाइड इक्विटी फंड, एग्रेसिव इक्विटी फंड, मिडकैप फंड, इंडैक्स फंड, ग्रोथ फंड और विशेष इंडस्ट्री फंड (इंफ़्रास्ट्रकचर, पावर, फार्मा, तकनीक और अन्य)। इन सभी फंडों का निवेश शेयर बाजार मे ही होता है। लेकिन इन सभी फंडो मे जोखिम शेयर बाजार की तुलना मे कम होता है। इस प्रकार के फंडो मे रिटर्न, जोखिम के समानुपाती होता है।
हाइब्रिड फंड (Hybrid Funds)
हाइब्रिड फंडो मे मुख्यत: बैलेंस फंड होते है। इन म्युचल फंडो की पूँजी का निवेश का कुछ हिस्सा शेयर बाजार मे होता है और कुछ हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों मे। उदाहरण के लिए कुछ बैलेंस फंड अपनी पूँजी का 40% प्रतिशत शेयर बाजार मे, शेष सरकारी और अन्य प्रतिभूतियों मे लगाते है। इस तरह से म्युचल फंड के निवेशकों पर शेयर बाजार के उतार चढावों का असर 40% तक ही सीमित रह जाता है। किसी भी निवेशक को अपने पोर्टफोलियों का कुछ हिस्सा इस तरह के बैलेंस फंड मे जरुर रखना चाहिए।
आय फंड
इस तरह के म्युचल फंडो का निवेश सुरक्षित सरकारी प्रतिभूतियों मे होता है। इस निवेश मे रिटर्न अधिक नही होता, लेकिन पूँजी सुरक्षित अवश्य रहती है। इसमे मासिक आय स्कीमें काफी प्रचलित है।
अन्य तरह के फंड
इस तरह के फंड विशेष परिस्थिति, कमोडिटी अथवा विशिष्ट व्यवसाय/उद्योग मे पैसा लगाते है। जैसे इंफ़्रास्ट्रकचर, रियल स्टेट, पावर, फार्मा, तकनीक और अन्य। कुछ फंड विशेष कमोडिटी मे भी पैसा लगाते है। कुछ फंड एक अलग तरह का विचार रखते है, वे किसी शेयर पर पैसा ना लगाकर, सिर्फ़ म्युचल फंडो पर ही पैसा लगाते है, इनको फंड ऑफ फंड कहा जाता है। कुछ फंड विश्व के अन्य बाजारों/अर्थव्यवस्थाओं मे पैसा लगाते है इनमे ब्रिक फंड (B razil, R ussia, I ndia, C hina and K orea ) प्रमुख है। कुछ फंड विशेष परिस्थिति जैसे नए शेयरों मे, बाजार के उलट (Contra) अथवा कम्पनियों के अधिग्रहण, विलय इत्यादि करने वाली कम्पनियों मे पैसा लगाते है। इन सभी फंडो का उद्देश्य, विशिष्ट परिस्थिति मे होने वाले निवेश के लाभों को निवेशकों तक पहुँचाना होता है।
किस तरह के फंड मे निवेश करें?
यह सवाल जितना सरल है, जवाब उतना ही कठिन। प्रत्येक निवेशक की निवेश परिस्थितियां, निवेश स्तर, जोखिम उठाने की क्षमता अलग अलग होती है। इसलिए इसका जवाब भी अलग अलग तरह के निवेशकों के लिए अलग अलग हो सकता है। लेकिन सामान्य तौर पर मै निवेशकों को अपने निवेश को तीन हिस्सों मे बाँटने की सलाह दूंगा।
50% इक्विटी फंड मे (जिसमे एग्रेसिव और मिडकैप/स्मालकैप का अनुपात आपकी जोखिम क्षमता के अनुसार हो)
20% विशेष स्थिति/इंडस्ट्री फंड मे ( अपार सम्भावनाओं वाले उद्योगों पर विशेष ध्यान दें)
25% हाइब्रिड फंडो (बैलेंस फंड मे)
शेष आप आय फंड मे निवेश कर सकते है।लेकिन जैसा कि मैने पहले भी बताया कि प्रत्येक निवेशक को अपनी परिस्थितियों और अपने जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन जरुर करना चाहिए और उसी के अनुसार निवेश करना चाहिए।
एक निवेशको को म्यूचल फंड मे निवेश करते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
- म्युचल फंड के खर्चे किस प्रकार के होते है?
- म्युचल फंड की किसी भी स्कीम का चुनाव कैसे करें?
इस बारे मे अगले लेख मे बात करेंगे। आपको यह लेख कैसा लगा, अपनी राय से अवगत कराना मत भूलिएगा।
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