मोहल्ले का क्रिकेट बुखार

बहुत दिनो से हम मोहल्ला पुराण को एक किनारे रखकर, अपनी दुनिया मे मशगूल हो गए थे। आज धोनी के धुरन्धरों को देखा तो अपने पुराने दिन फिर से याद आ गए। वैसे जिन लोगो ने हमारा मोहल्ला पुराण ना पढा हो, उनसे निवेदन है कि इस लिंक के द्वारा सारे लेख पढ लें, ताकि आपको इस लेख मे भी मजा आए।

तो जनाब बात कुछ यूं है कि बचपन मे हमारे प्रेम कंचे खेलने से शुरु हुआ, फिर गिल्ली डंडा से होते हुए, क्रिकेट पर जाकर समाप्त हुआ। जब क्रिकेट को पाया तो यूं लगा जैसे मीरा को राम मिल गए। दिन रात क्रिकेट की बातें, कमेन्ट्री ना समझ मे आते हुए भी कान से ट्रांजिस्टर लगाए रखना, सारे क्रिकेट हीरों के (लाइब्रेरी की मैगजीन से फाड़े हुए चित्र) अपने कमरे की दीवारों मे यहाँ वहाँ चिपकाए गए। यानि क्रिकेट की सारी दीवानगी का प्रदर्शन किया गया। अब दीवानगी अकेले के बस की बात नही, इसलिए मोहल्ले की बाकी वानर सेना को तैयार किया गया। धीरु इसमे सबसे आगे था। नए पाठक धीरु के लिंक को क्लिक करके मिल सकते है। अब पंगा ये था कि क्रिकेट की किट बहुत महंगी होती थी, उसका जुगाड़ कैसे किया जाए, हमारे पास माडल प्लान तैयार था, वही चन्दे वाला, लेकिन उससे भी काम नही बनना था। क्योंकि किट के पैसों का जुगाड़ तब भी नही हो पाता। घरवालों ने और पैसे देने से मना कर दिया था। अब हम कोई सचिन,सहवाग,धोनी तो थे नही कि कम्पनियां हमे प्रायोजित करती। फिर भी हमने हार नही मानी। एक प्लान तैयार हुआ कि हम लोग पहले सड़क पर खेलेंगे। उसमे बस एक क्रिकेट बैट और एक बॉल चाहिए थी। विकेट तो किसी भी दीवार पर लाइनें खींचकर बना ली जाती। हाइजीन का पूरा पूरा ख्याल था, बॉल नाली मे जाएगी उसको उठाने के लिए हमने पिछली गली की बस्ती के दो चार बन्दो को टीम मे शामिल कर लिया। उनका काम इतना ही था कि वे सिर्फ़ नाली से बॉल उठाकर, नल के पानी से धोकर हमे दे देंगे, बदले मे उनको बैटिंग मिलेगी। बीच का कौआ टाइप की। क्या कहा..बीच का कौआ नही जानते? अमां ये सब फुरसतिया से पूछो, वो बताएंगे। खैर जनाब प्लान इस प्रकार था कि पहले हम गली मोहल्ले मे खेलेंगे, लोगो के घरो/दुकानों की खिड़कियां तोड़ेंगे, तंग आकर लोग हमे पार्क जाने को कहेंगे, हम लोग तड़ाक से चंदा मांग लेंगे। इस प्लान के सफ़ल होने की उम्मीद बहुत कम थी, लेकिन फिर भी हिम्मते मर्दा मददे खुदा

प्लान के अनुसार हम लोगों ने वर्माजी, शर्मा जी और दीक्षित प्रिंटिंग प्रेस की खिड़कियों को टारगेट बनाया गया। निशाना सटीक बैठा, एक दो बार लोगों ने इग्नोर किया, फिर बहुत डांट पड़ी, कि सड़क पर काहे खेलते हो, लोगो के घर की खिड़कियां काहे तोड़ते हो। क्रिकेट खेलना है तो जाकर पार्क मे जाकर खेलो। हम लोगो ने मोहल्ले वालो के सामने एक सीजफायर ऑफर रखा, अगर खिड़किया बचानी है तो चन्दा दो, किट लेंगे, फिर पार्क मे जाकर खेलेंगे। फिर जैसा कि अक्सर होता है, आधे लोग चंदे का नाम सुनकर कट लिए, एक दो लोग आगे आए, पैसे देने नही, झापड़ मारने। इस तरह से ये वाला मॉडल फेल हुआ, अलबत्ता एक दो लोगो ने कन्स्ट्रक्टिव सजेशन यानि कि उपयोगी सुझाव दिए। सुझाव के अनुसार हमे तीसरी गली के बड़े लड़कों की टीम के साथ संलग्न कर दिया गया। वो लड़के सब उमर मे हम सभी से बड़े थे, लेकिन उनको भी हमारी जरुरत थी, बाउंड्री वॉल के पास बॉल लाने कौन जाए, हम सभी को खड़ा कर देते थे, बालिंग मिलने के चान्सेस तो थे नही अलबत्ता बैटिंग जरुर कराते थे, लेकिन वो भी अगर किसी की बालिंग मे गलती से शाट मार दिया तो बॉलर गुस्से मे बॉडी लाइन वाली बॉलिंग कर देता था। हम लोग अपने सूजे हुए गाल/सर/ठोड़ी लेकर वापस आते थे। हमको पता था कि ये ज्यादा दिन नही चलने वाला था, लेकिन करते तो क्या करते। बड़े लड़को के साथ खेलते खेलते हम लोगं उनकी कई बॉल्स और बैटिंग ग्लब्स (Batting Clubs) तो पार कर आए, आप इसे चोरी कहेंगे? नही जी ये तो मेहनताना था, ये लोग बहुत पदाते थे यार। खैर अब जुगाड़ करना था एक अच्छे बैट का। उस टीम का बड़ा लेकिन थोड़ा भोंदू टाइप का लड़का एक नया नवेला बैट लेकर आया। उस बैट पर हमने नज़र गड़ा ली। प्लान के अनुसार हम सभी लड़कों ने उस बैट की सिलसिलेवार बुराई शुरु कर दी। रोज रोज उस बैट की बुराई सुनकर उसको भी लगने लगा कि बैट मे कुछ खराबी अवश्य है।हफ़्ते भर की बुराई बुराई के बाद हमने एक दिन उससे उसके क्रिकेट बैट का औने पौने दामों मे सौदा कर लिया, बाकी के पैसों से विकेट और पैड वगैरहा आ गए। कुल मिलाकर हमे बड़े लड़कों की टीम मे चाकरी से मुक्ति मिली।

अब टीम बनाने की बारी थी। टीम बनाने के लिए चंदा बेस्ड भर्ती शुरु हुई, सिलेक्शन क्राइटिरिया भी कुल मिलाकर बीसीसीआई टाइप का था, अगर शर्मा जी अपने बेटे की रिकमेन्डेशन भेजते तो ना करते नही बनता, काहे? शर्मा जी चंदा जो दिए थे। अब हमने एक और पैंतरा चला। कि टीम मे शामिल होना है तो क्रिकेट का कोई सामान खरीदो, तब खेलने आओ। इस तरह से बाकी के सामानों का भी भरपूर इन्तजाम हो गया, लेकिन परेशानी ये थी कि टीम मे 35 लोग शामिल हो चुके थे। टीम तो बन गयी, सामान का इन्तज़ाम भी हो गया, लेकिन समस्या आती थी, टीम के फाइनल सिलेक्शन मे। हम लोग पहले तो आपस मे ही टीम बनाकर खेलते थे, एकदम सही चल रहा था। लेकिन धीरे धीरे मजा खत्म होता गया। अब लगा कि किसी दूसरी टीम के साथ खेला जाए। पिछली गली की गोपाली की टीम बहुत स्ट्रांग थी, गोपाली हमसे पहले से ही खार खाए था क्योंकि हम उसकी पतंगो पर अक्सर लंगड़ लगाया करते थे। गोपाली सिर्फ़ भुनभुनाने और बाद मे देख लेने की धमकी के अलावा और कुछ नही कर पाता था। काहे? अरे हम भागते ही इतना तेज थे कि कोई पकड़ ना सके, फिर गोपाली की क्या औकात। क्रिकेट खेलने के बहाने, गोपाली को भी अपनी भड़ास निकालने का मौका मिल गया।

अब गोपाली हमारी धुनाई करने मे कामयाब हुआ कि नही, क्रिकेट मैच मे क्या क्या लफ़ड़े हुए, इन सभी लफ़ड़ो और फड्डो मे हमारा क्या रोल रहा, इस बारे मे जानेंगे, इस लेख के अगले भाग मे। आपको ये सब कैसा लगा, बताना मत भूलिएगा। पढते रहिए, आप सभी का पन्ना।

7 responses to “मोहल्ले का क्रिकेट बुखार”

  1. kakesh Avatar

    जब क्रिकेट को पाया तो यूं लगा जैसे मीरा को राम मिल गए।

    बांकी तो ठीक है पर मीरा को राम ??

  2. सागर चन्द नाहर Avatar

    बचपन में हमारा भी यही हाल था, जब क्रिकेट का क भी नहीं जानते थे, कमेंट्री सुनते समय देखा देखी में इस तरह दिखावा करते थे मानों क्रिकेट के बहुत बड़े एक्सपर्ट हों। उसमें कई बार लोचा भी मार देते थे, शानदार शॉट के बारे में कह देते थे वाह क्या अट्ठा मारा है। 🙂 🙂
    रन रेट के बारे में हमारे महान विचार थे यह तो बहुत बुरी बात है बेचारे भारत वालों को एक ओवर खेलने के लिये मात्र 4.63 रुपये ही मिलते हैं। ( यह नहीं पता था कि भारत की टीम को जीतने के लिये एक ओवर में 4.63 रन बनाने हैं)

  3. श्रीश शर्मा Avatar

    रुचिकर, अगले भाग का इंतजार है।

  4. समीर लाल Avatar

    मीरा को राम कि मीरा को श्याम?? महाराज, २० २० की अभी तक खुमारी चल रही है क्या?
    🙂
    -सही है. इन्तजार है अगली कड़ी का.

  5. अंतर्मन Avatar

    मस्त है! आगे की कथा का इंतज़ार है!

  6. अनूप शुक्ल Avatar

    अच्छा है कि इतना छाप दिया। 🙂

  7. Isht Deo Sankrityaayan Avatar

    आप पढ़ाते रहें. हम पढते रहेंगे.
    राष्ट्रीय खेल गुल्ली-डंडे की जगह
    क्रिकेट की लोकप्रियता पर कुढ़ते रहेंगे.

Leave a Reply to श्रीश शर्मा Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Social Media

Advertisement