लीजिए जनाब, मेरे हिन्दी ब्लॉग मेरा पन्ना के इसी सप्ताह पाँच साल पूरे हो गए। ये पाँच साल कब गुजर गए पता ही नही चला। पाँच साल के जीवन काल मे मै ब्लॉगिंग के विभिन्न चरणो से गुजरा। नव ब्लॉगर से उत्साही ब्लॉगर, उत्साही ब्लॉगर से स्थापित ब्लॉगर, अच्छी कमाई करने वाला ब्लॉगर होते होते, मेरे को हिन्दी ब्लॉगिंग का नारदमुनि बनाने मे मित्रों ने देर नही की। हिन्दी ब्लॉगिंग का परिवार भी एक छोटा मगर काफी सक्रिय परिवार है। इस परिवार मे आकर पाँच साल कैसे बीते पता ही नही चला।
ब्लॉगिंग से ही ढेर सारे साथियों से मुलाकात हुई, जिनसे घर के जैसे रिश्ते बनते चले गए। ब्लॉगिंग ने मुझे काफी कुछ दिया है। परदेस मे रहकर भी मै देश से जुड़ा हुआ हूँ, अपने देश, अपनी सभ्यता, संस्कृति और भाषा से जुड़ना किसे नही अच्छा लगता। मुझे कभी भी नही लगा कि मै अपने देश से दूर हूँ, बल्कि मै तो पूरी तरह से जुड़ाव महसूस करता हूँ।
मेरे ब्लॉगिंग के सफर मे शुरु के तीन साल मै पूरी तरह से सक्रिय रहा। हिन्दी ब्लॉगिंग से जुड़े किसी भी प्रोजेक्ट मे बराबर का भागीदार रहा। भागीदार क्या, केंद्र मे रहा। ढेर सारे तकनीकी लोगों को इकट्ठा किया और अपनी तकनीकी मार्केटिंग,पीपल मैनेजमेंट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के ज्ञान को सहकारी प्रोजेक्ट मे प्रयोग किया। इसमे कई बार ढेर सारी सफलताएं मिली, शाबासी मिली, अनबन हुई, आलोचनाए हुई, कई बार असफलताओं का भी मुँह देखना पड़ा। लेकिन प्रत्येक असफलता ने दोबारा जोश से काम करने की प्रेरणा दी। प्रत्येक अनबन से लोगों को समझने का मौका मिला, रिश्ते और प्रगाढ होते गए। आलोचनाओं से समस्याओं को देखने का दूसरा नजरिया मिला, आत्मचिंतन और आत्ममनन करने का मौका मिला। कुल मिलाकर बहुत अच्छा अनुभव रहा। अक्सर लोग पूछते है, मै इतना सब करने के लिए समय कैसे निकाल पाता हूँ, इसका श्रेय मे देना चाहूंगा हिन्दी ब्लॉगिंग जगत के दोस्तों के प्यार और विश्वास को, जिनके कारण मुझे इतना काम करने की प्रेरणा मिली। साथ ही मै अपने परिवार का भी धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होने मुझे इस कार्य मे पूरा पूरा सहयोग किया।

चित्र सौजन्य : बैंगानी बंधु
पिछले दो सालों से मै कुछ ज्यादा सक्रिय नही रह सका, इस साल तो लगभग ना के बराबर ब्लॉगिंग की, इसी कारण शुकुल बोलते है, तुम्हारे ना होने से कितनी शांति है इधर। सक्रिय ना रहने के कारण? कई है, अव्वल तो ऑफिस मे कुछ काम ज्यादा बढ गया है, नौकरी भी बचानी है, मैनेजमेंट बदल गया है, इसलिए मुझे भी नए मैनेजमेंट के साथ तालमेल बिठाने और अपनी कार्यकुशलता दिखाने कुछ समय लगेगा। इसलिए ब्लॉगिंग कुछ समय के लिए बैक बर्नर पर चली गयी है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नही कि मै ब्लॉगिंग से विरक्त हो गया हूँ, ब्लॉगिंग कभी नही छूट सकती। अलबत्ता कुछ समय के लिए अवकाश जरुर ले सकता हूँ। उम्मीद है आप सभी पाठकों का सहयोग मिलता रहेगा।
कई बार लोगों ने पूछा है आप हिन्दी ब्लॉगिंग से कमाई कैसे कर लेते है? मै कहूँगा ईश्वर की कृपा है और पाठकों का प्यार। हर महीने गूगल एडसेंस से आने वाले चैक इस बात के गवाह है। अब कितने के चैक आते है, इसका खुलासा मै यहाँ नही कर सकता क्योंकि गूगल एडसेंस इस बात की इजाजत नही देता। लेकिन इतना जरुर कह सकता हूँ कि जितने पैसे भी आते है, उसका आधा मै दान कर देता हूँ, (नोट: कृपया चंदा मांगने का कष्ट ना करें।), बाकी का मै डकार जाता हूँ।
इंटरनैट पर हिन्दी का बढता प्रसार देखकर मै काफी खुश हूँ, विशेषकर पिछले तीन सालों से इंटरनैट पर हिन्दी की काफी वैबसाइट आयी है, विकी पर भी लोगों का सहयोग बढ रहा है। लेकिन अभी भी जितनी उम्मीद थी, उतना नही है, लेकिन फिर भी संतोषजनक है। आशा है आने वाले वर्षों मे यह प्रसार बढता चला जाएगा।
मेरा पन्ना के पाठकों से मेरा निवेदन है कि मेरे पाँच साल से लिखे लेखों को पढे, टिप्पणियां करे। पुराने लेख जो कई साल पहले लिखे गए है, आज भी प्रासंगिक है। मनोरंजन प्रधान पाठकों को कहूँगा कि वे मोहल्ला पुराण पढे, मिर्जा साहब के मुरीदों के लिए मिर्जा उवाच भी हाजिर है। तकनीकी लेख मैने ज्यादा नही लिखे है, लेकिन जो भी लिखे है वे पठनीय है। अलबत्ता अर्थव्यवस्था वाले लेख मुझे भी काफी पसन्द है, जो अब काफी सारी वैबसाइट पर भी उपलब्ध है। शायद अगले कुछ समय मे अर्थव्यवस्था वाले लेखों पर ध्यान दूं, क्योंकि बिजिनिस वैबसाइट मुझसे पूरे साल का करार करने की इच्छुक है, इसलिए लिखना ही पढेगा। खैर आप आते रहिए और पढते रहिए।
देखिए बातों बातों मे लेख बहुत लम्बा होता चला गया। बेतरतीब बातें करने मे ऐसा हो ही जाता है। अब लेख को यही समेटते है, नही तो शुकुल गरिआएगा, कि हमारे तीन पन्ने के लेख को लम्बा बोलते हो और अपने ढाई पन्ने वाले लेख को छोटा। आप सभी लोगों के प्यार,सम्मान, प्रोत्साहन, आलोचनाओ और टिप्पणियों का ढेर सारा धन्यवाद, आशा है आप ये अपना प्यार आने वाले वर्षों मे भी प्रदान करते रहेंगे, इसी विश्वास के साथ।
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