अनुगूँज:माजरा क्या है?
जब अनूप भाई ने अनूगूँज के इस गम्भीर विषय पर लिखने के लिये बोला तो सबसे पहले तो मेरे छक्के छूट गये क्योंकि भई अपने देश के गम्भीर विषयों पर लिखना वो भी ऐसा लिखना कि शुक्ला जी जैसे धाकड़ लेखक के सामने टिक सके, बहुत मुश्किल था, लेकिन अब जब आदेश हो ही चुका था, और काफी दिन बीत चुके थे, आखिरी तारीख करीब भी थी, और तगादे पर तगादा हुआ जा रहा था, तो मैने कुछ शब्द लिखनें की कोशिश की है.आशा है आपको पसन्द आयेंगे.
भारत की स्थिति अजीब है, कुछ लोग कहते है कि यह विकसित देशों की श्रेणी मे आने की कग़ार पर खड़ा है, कुछ बोलते है, अभी तो विकासशील श्रेणी मे भी आखिरी पायदान पर है, कुल मिलाकर हर व्यक्ति अपने अपने हिसाब से आकलन करता है, यानि कि विचारों मे पूरा पूरा विरोधाभास है. लेकिन विरोधाभास कहाँ नही है. हमारी संस्कृति मे,हमारी जीवनशैली मे, हमारी विचारो मे, हमारी भाषा मे हर जगह. अब इसके विस्तार मे जाने के लिये आपको पूरी पूरी रामायण समझानी पड़ेगी. जाहिर है समय की कमी की वजह से वो सम्भव नही है. एक तरफ जहाँ संचार क्षेत्र मे देश ने काफी तरक्की की है, वंही आज भी हमारे किसान आत्महत्यायें कर रहे है. जहाँ हमारे शहर बिजली कटौती की मार झेल रहे है, वंही किसानों को बिजली मुफ्त दिये जाने के वादे किये जा रहे है. जहाँ शेयर मार्कैट नित नयी ऊंचाइयों पर छलांगे लगा रहा है, वही मंहगाई बढती जा रही है, और विकास दर नीचे जाती जा रही है. ये विरोधाभास नही है तो और क्या है.
एक तरफ जहाँ देश की समस्यायें मुँह फैलाये खड़ी है, वंही दूसरी तरफ देश के राजनेता और ब्यूरोक्रेट्स अभी अपने अपने मसले सुलझाने मे लगे है, अपने से फुर्सत मिले तो तब तो देश के बारे मे सोचा जाय ना भई. मामले को हल्का करने के लिये एक चुटकुला सुना जाय…
“एक बार की बात है, एक व्यक्ति अपनी पत्नी को डाक्टर के पास चैकअप कराने के लिये ले गया, डाक्टर ने पत्नी को चैकअप केबिन मे बैठाकर, उस व्यक्ति को बाहर बैठने का आदेश किया. वो व्यक्ति बेसब्री से अपनी पत्नी के चैकअप पूरा होने का इन्तजार करने लगा. डाक्टर ने नर्स को बुलाया, नर्स भागी भागी आयी, बाहर बैठे व्यक्ति को अचानक किसी इमरजेन्सी का अन्देशा हुआ, वो और भयभीत हुआ, नर्स इधर से उधर दौड़ रही थी. डाक्टर ने नर्स से पेचकस मंगवाया, नर्स पेचकस लेकर व्यक्ति के सामने से निकली, पेचकस देखकर उस व्यक्ति के होंश उड़ गये, डाक्टर ने अगली बार चाकू और फिर अगली बार हथौड़ी मंगवायी, व्यक्ति नर्स के हाथ मे चाकू,हथौड़ी देखकर और परेशान हुआ, इस बार उससे रहा नही गया, और वो नर्स से पूछ बैठा कि भई माजरा क्या है? क्या चल रहा है अन्दर, कुछ तो बताओ, कोई इमरजेन्सी तो नही हो गयी, नर्स बोली, “बतायें क्या खाक, अभी तो डाक्टर साहब का बैग ही नही खुल रहा है, वो खुले तब तो चैकअप चालू हो”
लगभग यही दशा हमारे देश की है, चैकअप के लिये बैठी स्त्री हमारा देश है, बाहर इन्तजार कर रहा व्यक्ति देश की जनता है, डाक्टर की जगह सत्तासीन राजनेता और नर्स की जगह हमारे ब्यूरोक्रेट्स. जनता परेशान है कि देश का क्या होगा, ब्यूरोक्रेट्स नेताओं के फालतू आदेशों को पूरा करने मे लगे है और नेता, उनका अपना बैग खुले यानि अपनी जरूरतें पूरी हो तब तो देश के बारे मे सोचें ……………………………..है कि नही?
हमारी ताकत – ऐसा नही है कि भविष्य अंधकारमय है, नही कम से कम मै तो ऐसा नही मानता. लेकिन उन्नति के रास्ते पर चलने के लिये सबसे पहले हमे अपनी कमजोरियों और अपनी ताकत को पहचानना होगा. हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है बढती जनसंख्या, लेकिन यदि उसको परोक्ष रूप से देखा जाये तो हमारी सबसे बड़ी ताकत भी है.हमारे पास दुनिया मे सबसे ज्यादा अंग्रेजी बोलने वाले लोग है, हम नई तकनीकों और प्रद्योगिकी के अच्छे जानकार है, हम नई नई चीजे जल्दी सीख जाते है.हमारे पास प्राकृतिक संसाधन है, उनका दोहन करने की तकनीक है, हमारी अर्थव्यवस्था काफी अच्छी है, हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र है,हमारा देश पर्यटन का एक बहुत बड़ा केंद्र है.
हमारी कमजोरियाँ – दूसरी तरफ हमारी कमजोरियाँ भी है, जैसे बढता भ्रष्टाचार, देशप्रेम की कमी…हर व्यक्ति अपने लिये सोचता है, देश के लिये नही, लोगों की लोगों से बढती दूरी, भाषाई और धार्मिक वैमनस्य, अशिक्षा, गरीबी,अंधविश्वास, जाति पाति,लिंग भेद, पड़ोसी देशों से तनावपूर्ण सम्बंध,कमजोर,भ्रष्ट और अपराधिक छवि वाले राजनीतिज्ञ, और ना जाने क्या क्या.
सुझाव – भारत ने विकास किया है, लेकिन अभी तो हम पहले पड़ाव तक ही पहुँच सके है, अभी हमे बहुत आगे जाना है.मंजिल अभी बहुत दूर है, मेरे कुछ सुझाव है, यदि सरकार के पास कुछ समय हो तो इस बारे मे सोचे.
- सूचना और प्राद्योगिकी विकास मे और तेजी लायी जानी चाहिये, कम्पयूटर शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त प्रदान की जानी चाहिये. साथ ही इन्टरनैट की सुविधा भी मुफ्त प्रदान की जानी चाहिये.
- नये क्षेत्रो मे सम्भावनाये तलाशी जानी चाहिये, जैसे बायो टेक्नोलोजी, योग एवं नैचूरल चिकित्सा, अध्यात्मिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन,क्षेत्रीय उत्पादन का हब बनना
- अभी जिन क्षेत्रो मे हमारा दुनिया मे नाम है, उन क्षेत्रों को सुविधायें दी जानी चाहिये, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा विदेशी मुद्रा कमा सकें.
- विदेशी निवेश बढाना और घाटे मे चल रहे उपक्रमों को बन्द करना
- देश मे जिस तरह संचार क्रांति आ रही है, वैसे ही दूसरे क्षेत्रों मे भी क्रांति लाने का समय आ गया है.
- देश की सड़कों का विकास अभी भी उतना अच्छा नही हो पाया है, हमारी सड़कें गाँवो तक पहुँचे ये हमारे एजेन्डे मे होना चाहिये. सड़के पहुंचेंगी तो विकास भी अपने आप पहुंचेगा.
- गाँवो की जीवनदशा सुधारना और लोगों शहर की और पलायन रोकना हमारा प्रथम उद्देश्य होना चाहिये.
- सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के क्षेत्र मे प्रगति की जानी चाहिये और लोगों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये.
- भारत के राजनीतिक ढाँचे मे भी सुधार की जरूरत है, बस दो पार्टी सिस्टम होना चाहिये, ऐसा नही कि हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा अपनी अपनी राजनैतिक पार्टी बनाकर मैदान मे कूद पड़े, या तो दोनो मे से एक पार्टी मे शामिल हो, या फिर राजनीति को बाय बाय करो
- एक आखिरी बात, विदेशी मे रह रहे अनिवासी भारतीयों को देश के विकास के लिये आगे आने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, चीन के विकास मे उसके अप्रवासी नागरिको ने बहुत अहम भूमिका निभाई है. लेकिन भारत मे अप्रवासियों को सोने का अन्डा देने वाली मुर्गी की तरह देखा जाता है. सरकार ने मंत्रालय भी खोल दिया है, लेकिन मंत्री को ये नही पता कि उन्हे करना क्या क्या है?
बाकी सारा मुद्दों पर जैसे जनसंख्या नियंत्रण,अशिक्षा, बेरोजगारी वगैरहा पर बहुत कुछ कहा जा चुका है, इसलिये मै आपका समय वेस्ट नही करूंगा.कहने को तो बहुत कुछ है, मगर कहाँ कहाँ तक लिखा जाय. बस इतना कहना चाहूँगा कि देश मे जन जागरण की जरूरत है, अगर देशवासी जाग गये, तो देश को उन्नति के रास्ते पर जाने मे कोई नही रोक सकता, राजनेता भी नही. लेकिन पहला कदम कौन रखे? इसी उधेड़बुन मे हमने इतने साल व्यर्थ मे गँवा दिये और मूकदर्शक बनकर देखते रहे. लेकिन कब तक? आखिर कब तक? ये सवाल हम सबको अपने आप से पूछना चाहिये.
शायद इसी मे देश की उन्नति का राज छिपा हो.
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