आई भी दीवाली और गयी भी दीवाली, लेकिन छोड़ गयी आपके पास ढेर सारे तोहफ़े। जो आपको अपने दोस्तो यारों और रिश्तेदारों ने दिये होंगे। क्योंकि दीपावली त्योहार ही खुशियां बाँटने का है।लेकिन पता नही क्यों लोग खुशिया गिफ़्ट मे लपेटकर दे जाते है।ये तोहफ़े कई बार खुशियां देने के साथ साथ बहुत सारी तकलीफ़ दे जाते है, अक्सर दिये जाने वाले तोहफ़ों मे मिठाई, चाकलेट,लैम्प, कैन्डिल स्टैन्ड या इसी तरह के आइटम होते है, जिनका रियूज करना बहुत जरुरी होता है। तो आइये जानते है हमारे ज्ञानी ध्यानी मिर्जा साहब से इस बारे में। मिर्जा साहब हिन्दुस्तान के दौरे पर गये थे फ़ुरसतिया जी के आतिथ्य मे बहुत दिन गुजारे थे, अब इन्होने ये तो नही बताया कि फ़ुरसतिया जी के द्वारा दिये गये तोहफ़ों का इन्होने क्या किया, लेकिन दीपावली के तोहफ़ों पर हुई इनसे बातचीत के कुछ संपादित अंश, संपादित क्यों, अमां गाली गलौच सुनना है क्या? अगर है मूड तो मिर्जा साहब का टेलीफ़ोन नम्बर जानने के लिये अलग से सम्पर्क करें। तो लीजिये झेलिये अब इन्टरव्यू:
मै: सलाम वालेकुम मिर्जा साहब!
मिर्जा:वालेकुम मिंया, दीपावली की बहुत बहुत मुबारकबाद। मिंया ये मुँह क्यों लटकाये हुए हो, क्या दीवाली मे दीवाला निकल गया। या फ़िर नहाने के मसले पर फ़िर भाभी जान से झगड़ा हुआ है।
मै: नही चचा! दीवाली की गिफ़्ट से एक कमरा भरा पड़ा है, समझ मे नही आता, क्या करूं?
मिर्जा: चचा किसे कह रहे हो बे! क्रिकेट स्वामी होगा तेरा चचा। चाहो तो इस नामुराद छुट्टन को चचा बना लो। खबरदार जो मेरे को चचा बोला तो।अभी तो मै जवान हूँ। ये चचा वगैरहा का राग अलापना है तो कट लो।फ़ोकट मे चाय भी पीनी है और चचा भी कहना है, खबरदार जो दुबारा ये लफ़्ज मुँह से निकाला तो।
मै: अरे अरे! मिर्जा साहब, नाराज मत हो, अब बताओ, क्या किया जाय इन गिफ़्ट्स का?
मिर्जा: देखो भाई, सबसे पहले तो टोपियां घुमाई, यानि वर्मा ब्रदर्स की गिफ़्ट को साहनीज के यहाँ टिकाओ, अरोड़ाजी की गिफ़्ट गुप्ता के यहाँ दे दो।
मै: लेकिन यार! ये तो दीवाली और एक दो दिन बात तक ही दे सकते है ना, वो टाइम अगर निकल जाये तो?
मिर्जा: अमां क्रिसमस और न्यू इयर भी तो आ रहा है, घुमा देना टोपियां तब।
मै: लेकिन मिठाई और खाने पीने का दूसरा सामान?
मिर्जा:देखो भाई, सबसे पहले तो बात करते है, मिठाई की। मिठाई भी कई तरह की होती है, सारे मिठाईयों को दो श्रेणियों मे बाँट दो, दूध वाली और अन्य। दूध वाली मिठाइयों को कड़ाही मे डालकर वापस उनसे खोया रबड़ी बाना डालो, ज्यादा दिन चलेगा। अन्य मिठाइयों को या तो अपने साथ लन्च बाक्स मे डालकर आफ़िस ले जाओ और अपने खाऊ सहकर्मियों मे बाँटो और या फ़िर बच्चों के टिफ़िन बाक्स मे डालकर भेज दो, क्लास मे बँटवा दो, या फ़िर टीचर के लिये पैकेट बना कर भेज दो। हाँ छेने वाली मिठाई को जल्दी खत्म कर देना, नही तो बदबू मार जायेगी।
मै:और ड्राई फ़्रूट का क्या करें?
मिर्जा: अमां करो क्या? काजू,किशमिश,बादाम और पिस्ते को अलग अलग करो, सबको पहले चैक करों, कंही दुकानदार ने पिछले साल का माल तो नही पेल दिया है, फ़िर सबको अलग अलग एयर टाइट कन्टेनर मे डालकर, डीप फ़्रीज कर दो, हो गया ना साल भर का इन्तजाम?
मै: लेकिन इतने सारे केक और पेस्ट्रीज?
मिर्जा: देखो भैया, अगर ज्यादा है तो किसी वीकेन्ड बच्चों की पार्टी कर दो।बच्चे भी खुश, और केक पेस्ट्रीज भी सलट जायेगी।
मै: लेकिन मिर्जा, कैन्डिल स्टैन्ड और इतने सारे फ़ोटो फ़्रेम का क्या करें?
मिर्जा: अमां यार! तुम भी ना अहमकों वाली बात करते हो, दीवाली के बात अगला त्योहार कौन सा आता है? क्रिसमस है कि नही? बस दोबारा पैकिंग करके पिछली गली वाले माइकल जैकसन या १५ नम्बर वाले थामस अल्वा एडीसन के घर दे आना। गिफ़्ट का गिफ़्ट और मोहल्लेदारी सो अलग। लेकिन ध्यान रखना, गिफ़्ट क्रिसमस के लायक हो, नही तो वही माइकल जैकसन और थामस एडीसन तुम्हारा नाम अपनी ब्लैक लिस्ट मे लिखकर, अगली दीवाली वही गिफ़्ट दूसरे रैपर मे लपेटकर तुम्हारे सर पर मार जायेंगे।
मै: और इन गिफ़्ट हैम्पर का क्या करें। इतनी सारे जैम, चटनिया, क्रीम और पता नही क्या क्या जिसको जो सस्ता मिला टिका गया, अब का करें इसका?
मिर्जा: गिफ़्ट हैम्पर तो पिछला माल सलटाने का तरीका है, जो माल नही बिकता उसका गिफ़्ट हैम्पर बन जाता है, एक के साथ एक फ़्री। अब दुकानदार ने किसी को उल्लू बनाया तुम भी किसी को टिका दो।किसी दूर के दोस्त के जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर गिफ़्ट हैम्पर टिका देना।
मै: लेकिन इतने सारे गिफ़्ट रैपर और पैंकिग मटैरियल का क्या करें?
मिर्जा: करो क्या? उठाओ इस्त्री(IRON) और जुट जाओ, सबको प्रेस कर दो, और फ़िर रियूज कर दो।
मै: और बहुत सारी छोटी छोटी गिफ़्ट्स का क्या करें?
मिर्जा:अरे यार! अगली पिकनिक मे सबको तम्बोला(हौजी) खिलवा देना, और यही गिफ़्ट्स बाँट देना।
मै: लेकिन उसके बाद भी ढेर सारी गिफ़्टस बच जाये तो?
अब मिर्जा का चेहरा तमतमाने लगा था, बोले “अबे! सारे शहर को बुलवाया था क्या? और बुलवाने से पहले मेरे से पूछा था क्या? जाओ नही बताते, क्या उखाड़ लोगे? “
इस तरह मिर्जा साहब उखड़ गये और ढेर सारी पुलिसिया लहजे में गाली गलौच करने लगे, जिसको यहाँ लिखना मुनासिब नही होगा। इसलिये मैने कन्टी मारना बेहतर समझा। वैसे भी चाय तो खतम हो ही चुकी थी। लेकिन पाठको से निवेदन है कि मिर्जा के नुस्खें ना अपनाये। अगर आपके घर पर दीपावली की गिफ़्ट बची है और वो किसी के द्वारा इस्तेमाल के लायक है तो दिल बड़ा करके किसी अनाथ आश्रम,वृद्द आश्रम या ऐसी ही किसी और जगह पर जाकर वहाँ बाँटे।दीपावली खुशियों का त्योहार है, इसे सभी मे मिलकर बाँटे। इससे आपके मन को बहुत खुशी मिलेगी और मिलेगी ढेर सारी दुआयें और ढेर सारे आशीर्वाद।
इस लेख के लिये प्रेरणा इस लेख से मिली थी।
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