कितने हसीन थे वो दिन, जब भाई अपनी खुजली मिटाने के लिए लम्बे लम्बे ब्लॉग लिखा करते, तुरत फुरत उसे पब्लिश करते, फिर चैट पर बैठकर, हर दूसरे बन्दे को लिंक टिकाते। बात यहीं तक सीमित नही रहती, बल्कि लिंक टिकाने के एक घंटे बाद चैट पर तगादा करते, कि पोस्ट समझ मे आई? (असली मतलब था, अबे कमेंट तो कर)।
अब पाठक सोचते है, एक तो जबरन पढवाए है, फिर जबरन टिप्पणी करवा रहे है, ये तो वही बात हुई कि पहले भाई-कम-शायर ने कट्टा(रिवाल्वर) लगाकर शेर सुनाए फिर वाह! वाह! ना कहने पर धमकाया। इसी टिप्पणी के तगादे के चक्कर मे, ब्लॉगर्स के दोस्तो यारों ने चैट पर नज़र आना ही कम कर दिया है। खैर पाठक क्या जाने, एक ब्लॉगर ही टिप्पणी के महत्व को जानता है।
लेकिन अब कहाँ रहे वो दिन। अब तो सभी ब्लॉगर दुनिया की भीड़ मे खो गए है लगता है। इनको ब्लॉगिंग से दूर करने मे ट्विटर का भी भरपूर हाथ है। ट्विटर के बारे मे आप सभी जानते ही है। नही जानते तो ये वाला लेख झेलिए। ट्विटर की महिमा अपरम्पार है। इस माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफार्म का प्रयोग लोग बाग अपना स्टेटस बताने मे किया करते थे।
स्टेटस बताना तो ट्विटर का सिर्फ़ एक प्रयोग था, असल ब्लॉगर्स को लम्बी लम्बी पोस्ट छोटी छोटी (140 अक्षर अंग्रेजी के) वाली पोस्ट पर उतारना था। लगभग वही मामला था, जैसे इमेल आने से चिट्ठी पत्री गायब सी हो गयी है। ऊपर से एसएमएस आने के बाद तो लगता है इमेल के दिन भी गिने चुने है। खैर हम बात कर रहे थे ट्विटर की। ट्विटर की महिमा अपरम्पार है, ट्विटर ने बड़े बड़े गुल खिलाए है। बड़े बड़े तानाशाहों के तख्ता पलट करवा दिए है। अब ट्विटर पर एक और इल्जाम लगा है, ब्लॉगिंग बन्द करवाने का। एक स्टडी एक अनुसार ट्विटर पर लिखने वाले काफी लोगों ब्लॉगिंग की दुनिया को अलविदा कह दिया है। जिन्होने अलविदा नही कहा है, उन लोगों ने ब्लॉगिंग काफी कम कर दी है। अब दूसरों की बात क्या करें, हम खुद इसकी एक ताजा मिसाल है। पिछले दो सालों से ब्लॉगिंग इतनी कम कर दी है कि पूछो मत। बहाने तो हम कई गिना सकते है, लेकिन सच पूछो तो ट्विटर पर चहकना इतना सहज है, झट से दिल की बात कह दो, ब्लॉगिंग मे थोड़ी प्रस्तावना, ढेर सारा मसाला और थोड़ा उपसंहार करना पड़ता है। अब भई जहाँ सहजता होगी वहाँ दुनिया भागेगी ही। लेकिन मै नही मानता कि ब्लॉगिंग कभी मरेगी। अभी ब्लॉगिंग को काफी नयी ऊचाईयां हासिल करनी है।
आप क्या सोचते है इस बारे में?
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