दोस्तों, सारनाथ की आध्यात्मिक यात्रा के बाद आइए लौटते हैं, बनारस के कुछ और रंग देखते हैं। बनारस की गलियों में जो खाना मिलेगा, वो न सिर्फ आपके पेट को बल्कि आपकी आत्मा को भी तृप्त कर देगा। यहाँ का हर स्वाद आपको एक अलग स्तर पर ले जाएगा। मैं आपका हमसफ़र जितेंद्र चौधरी, आइए चलिए, बनारस की गलियों में खाने-पीने की कुछ खास जगहों की चर्चा करते हैं।
- कचौड़ी और जलेबी से भरी सुबह:
बनारस की सुबह बिना कचौड़ी-सब्जी और गरमा-गरम जलेबी के अधूरी है। गोदौलिया से दशाश्वमेध घाट की तरफ बढ़ते हुए कई छोटे-छोटे ठेले और दुकानों पर आपको सुबह-सुबह कचौड़ी-सब्जी की महक आने लगेगी। अगर असली बनारसी कचौड़ी-सब्जी का स्वाद लेना है, तो ‘राम भंडार’ की तरफ जरूर जाएं। वहाँ का बेसन-की-सब्जी और खस्ता कचौड़ी आपकी सुबह को शानदार बना देगा। और इसके बाद जलेबी की मिठास… उफ्फ! स्वाद की गंगा… - बाबा ठंडाई का जादू:
विश्वनाथ गली में स्थित ‘बाबा ठंडाई’ की ठंडाई का कोई मुकाबला नहीं है। मलाईदार ठंडाई में बादाम, केसर, और खसखस का स्वाद ऐसा घुला हुआ होता है कि आप इसे बार-बार पीना चाहेंगे। अगर आप थोड़ी साहसिक अनुभूति चाहते हैं, तो यहाँ की भांग वाली ठंडाई को एक बार जरूर ट्राई करें। सर्दियों में भी यह आपको ठंडाई से गर्माहट का एहसास कराएगा। चेतावनी : ध्यान रखें… आपका दिमाग जिस अवस्था में होगा उसी में स्थिर हो जाएगा।इसलिए पीते समय प्रसन्न रहें.. - मलइयो की मिठास:
बनारस की सर्दियों में मलइयो खाना जैसे रिवाज है। हवा में रखा यह हल्का-फुल्का मिठाई आपको ऐसा अनुभव कराएगा, जैसे आप बादलों का टुकड़ा खा रहे हों। चौक और ठठेरी बाज़ार की गलियों में सुबह-सुबह मलइयो बेचते ठेले वालों को देखना, उनकी सजावट एक शानदार एहसास होता है। यह स्वाद उतना ही पुराना है जितनी बनारस की विरासत। - काशी चाट भंडार की मसालेदार चाट:
चाट के शौकीनों के लिए बनारस स्वर्ग है। काशी चाट भंडार की चाट के बिना बनारस यात्रा अधूरी है। यहाँ की टमाटर चाट में भुने मसालों का ऐसा तड़का लगता है, जो किसी भी दूसरे शहर में मिलना मुश्किल है। यहॉं भीड़ बहुत रहती है,लेकिन स्वाद लाजवाब होता है। मसालों का ऐसा संतुलन कि बस जी ललचा उठता है। इसके साथ बनारसी लस्सी के घूँट भरते हुए शाम का मज़ा दोगुना हो जाता है। - संकटमोचन के लड्डू और मिठाईयाँ:
अगर आप बनारस में हैं और संकटमोचन मंदिर नहीं गए, तो क्या किया? यहाँ के लड्डू और बूंदी के प्रसाद का स्वाद इतना बेहतरीन है कि लोग इसे घर ले जाने के लिए भी खरीदते हैं। यहाँ की मिठाइयाँ सिर्फ मिठास नहीं, श्रद्धा का प्रतीक हैं। - पानी के बताशे और गोलगप्पे:
राजा की मंडी और लंका की गलियों में आपको ठेले वाले गोलगप्पे वाले मिलेंगे, जो पानी के बताशे को नए आयाम देते हैं। यहाँ की पुदीने वाली पानी के बताशे की चटपटी मिठास और तीखापन दिल को खुश कर देती है। - मशहूर बनारसी पान:
बनारस और पान का रिश्ता सदियों पुराना है। ‘काशी का पान’ तो हर जगह मशहूर है। हर खाने के बाद यहाँ के लोग पान खाना नहीं भूलते। गोदौलिया से लेकर चौक की गलियों तक हर कोने पर आपको पान की दुकानें मिलेंगी। बनारसी पान में गुलकंद, सौंफ, और चूने का मेल जब मुंह में जाता है, तो उसकी मिठास और ताजगी दिन भर के थकान को मिटा देती है। - गंगा किनारे चाय की चुस्की:
और जब बनारस की गलियों में घूमते हुए थक जाएं, तो गंगा घाट पर बैठकर मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीना एक अलग ही अनुभव है। अस्सी घाट की वो ‘पप्पू की चाय’ से लेकर राजेंद्र घाट के छोटे-छोटे चाय वाले आपको एहसास कराते हैं कि बनारस की चाय भी यहाँ की हवा जितनी ही खास है
बनारस में हर नुक्कड़ पर एक अलग स्वाद, एक अलग अनुभव मिलता है। यहाँ के लोग, यहाँ की सादगी, और यहाँ के खाने का प्यार – सब मिलकर आपको यहाँ बार-बार बुलाते हैं। अगली बनारस की यात्रा में ये खाने के ठिकाने जरूर आजमाएं और हमे अपना अनुभव बताएं।
जाते जाते
अक्सर मुझसे पूछा जाता है, “आप तो कनपुरिया हो, फिर हर शहर के बारे में इतनी गहराई और सहजता से कैसे लिख लेते हो, मानो वहीं पैदा हुए, पले-बढ़े हो?”
मेरा जवाब हमेशा एक सा होता है – हम कनपुरिया हैं। हमारे भीतर हर शहर और उसकी कहानी को आत्मसात करने की अद्भुत क्षमता है। नजर हमारी सिर्फ सतह पर नहीं ठहरती, हम हर शहर के लोगों, उसके इतिहास, उसकी गलियों, उसके लहज़े, उसकी खुशबू और वहां के अनकहे किस्सों को बेहद करीब से महसूस करते हैं। जहां भी नज़र घुमाओ, बिखरी कहानियां और जज़्बात दिख जाते हैं। हम तो बस उन अनदेखी कहानियों को अपने शब्दों के धागों से बुनकर कागज पर उतार देते हैं।
लेख पढ़ने के लिए शुक्रिया, बिना कमेन्ट किए मत जाइयेगा, आपकी कमेंट ही मेरी पूँजी है। घुमक्कड़ी का सफ़र यूँ ही जारी रहेगा, मेरे हमसफ़र बनने के लिए , मुझे फॉलो करना मत भूलिएगा।आलोचना, राय, सुझाव और टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है।
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