आज बहुत दिनों बाद अपने भाई प्रेम पीयूष गूगल चैट पर अवतरित हुए, वैसे तो आजकल ब्लॉगिंग से एकदम किनारा किए हुए है, वजह अमां वही नून तेल और लकड़ी। आजकल बैंगलौर मे डेरा है इनका। भले ही हिन्दी ब्लॉगिंग ना कर पाते हो, लेकिन इनका हिन्दी प्रेम बरकरार है।बाकायदा हिन्दी की अलख जगाने मे लगे हुए है। इन्होने हिन्दी चिट्ठाकारों से मदद मांगी है, वो ये कि जिस किसी भाई ने हिन्दी टूल पर काम किया हो या कोई लेख लिखा हो तो उसका लिंक उन्हे बता दे या फिर सर्वज्ञ मे डाल दें। ताकि सभी को एकीकृत लिंक दिया जा सके जिससे बहुत सारे हिन्दी सीखने वाले भाइयों का कुछ भला हो सके।
प्रेम भाई, लगे रहो, हम तुम्हारे साथ हैं।
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