नींद ना आने की बीमारी

एल्लो! अब करुणानिधि को भी नींद ना आने की बीमारी शुरु हो गयी। करुणानिधि जी बोलते है, जब मै श्रीलंका के तमिलो के बारे मे सोचता हूँ तो मुझे रातो को नींद नही आती। श्रींलंका के तमिल? कोई कन्फ़्यूजन तो नही हो गया। अरे नही भई, पक्का यही बोले। ना मानो तो आप खुद ही पढ लो। वैसे भी जब वे बोलते है तो बगल मे बैठा नही समझ पाता। लोग अंदाजे लगा लगाकर स्टेटमेंट बना देते है। अब करुणानिधि जी को चिंता है कि श्रीलंका की सेना तमिल विद्रोहियों (एलटीटीई) का पूरा सफाया ना कर दे। करुणानिधि जी बोलते है, भारत को श्रीलंका को समझाना चाहिए कि उसे ऐसा नही करना चाहिए। करुणानिधि जी, आप दोहरे मापदंड काहे अपनाते हो, यदि भारत श्रीलंका को तमिल विद्रोहियों के खिलाफ अभियान चलाने से रोके तो वो सही, पड़ोसी का फर्ज। उसी जगह यदि पाकिस्तान हमे कश्मीर मे आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाने रोके अथवा मानवाधिकार की बात करे तो गलत। ये कैसी राजनीति है भई? तमिल विद्रोही, अपने बोए हुए को ही काट रहे है, भारत को किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप नही करना चाहिए। रही बात नींद ना आने की, करुणानिधि जी मेरे इस लेख को पढ लें (नींद आने की शर्तिया गारंटी), आप भी पढिएगा, लेकिन इस लेख को पढने के बाद, अगर आप सो गए तो बाकी का लेख कौन पढेगा?

उधर नींद ना आने की बीमारी जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को भी हुई। पहले तो उनकी कम्पनी ने 1900 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया। बताया गया कि घाटे से बचाने के लिए यह कदम जरुरी था। विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल भी बोले, कि ये जेट का आंतरिक मामला है, हम काहे बीच मे बोले। फिर वामपंथी बिदक गए, बोले कि ये गैर जरुरी कदम था , बकिया लोग भी बोले कि ये गलत है। फिर दूसरे लोगो ने भी हल्ला मचाया, फिर ऊपर से चुनावी साल है, ऐसा कैसे चलेगा। आनन फानन मे सरकारी मशीनरी एक्शन मे आयी। नरेश गोयल जो बेचारे, तेल कम्पनियों का करोड़ो डकार कर , चैन से सोए हुए थे, उनको नींद से उठाया गया। जबरन स्टेटमेंट दिलवाया गया और सभी बर्खास्त कर्मचारियों को वापस काम पर लिया गया।

नरेश गोयल बोले, “मैने जब इन कर्मचारियों का रोना-धोना टीवी पर देखा, तो मै ठीक ढंग से सो नही सका।”  नरेश जी सही कह रहे थे, जब सोने गए तो प्रफुल्ल पटेल का फोन आया, फिर वे नही सो सके। फिर जब पूछा गया कि इतने कर्मचारियों को एक साथ काहे निकाला गया, तो वे बोले, मुझसे पूछा तक नही गया। भई बात कुछ हजम नही हुई, इतना बड़ा डिसीजन, वो भी कम्पनी के मालिक से नही पूछा गया। हमारे विचार मे या तो इनकी कम्पनी के मैनेजर इनको कोई भाव नही देते या फिर गोयल साहब को भूलने की बीमारी हो गयी है। एकदम से पलटी मार गए, सारे बर्खास्त कर्मचारियों को वापस काम पर ले लिया गया।

अब देखिए, हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा, इस बर्खास्ती के फरमान की वापसी को अपनी जीत बता रहा है। प्रफुल्ल पटेल भी, जो पहले कह रहे थे कि ये उनका आंतरिक मामला है, बोले मैने भी फोन किया था। राज ठाकरे, जो आजकल हर मामले मे घुस्सम घुस्सी किए रहते है, बोले कि हमारे दबाव के कारण ऐसा हुआ। शिवसेना( जहाँ राज वहाँ शिवसेना वाले) वाले काहे पीछे रहते, बोले हमारे कारण ऐसा हुआ। वामपंथी तो बाकायदा अपने एक एक स्टेटमेंट का हवाला देते हुए पाए गए, ये अलग बात है कि उनको सुनने वाले नही मिले। मजा तो तब आया, जब नरेश गोयल कसमे खा खा कर बोले, हमारे पास किसी का फोन नही आया, हम किसी के दबाव मे नही है। सारे एक से बढकर नौटंकीबाज है, ये सारे लोग इधर आ गए, इसलिए यूपी मे नौटंकी मृतप्राय पड़ी है

अब पलटी केवल नरेश गोयल मारे, ये बाकी किसी को गवारा हो चाहे ना हो, बहन जी (मायावती) से कतई गवारा नही हुआ। कुछ दिन पहले बैठे बिठाए, बिना कारण, उन्होने रायबरेली मे प्रस्तावित रेल कोच फैक्ट्री की जमीन का आवंटन रद्द कर दिया। कारण? किसकी हिम्मत जो कारण पूछे। जानकार सूत्र कहते है कि वे कांग्रेस को टटोल रही थी, इसलिए पंगे लेकर थोड़ा माहौल बना रही थी। लेकिन आज फिर से पिछले फैसले को पर यू टर्न लेते हुए, आवंटन को हरी झंडी दे दी गयी है। अब काहे? अरे यार बोला तो, मायावती के राज मे किसी की हिम्मत नही जो पूछ सके कि फैक्ट्री के लिए आवंटन रद्द, और मूर्तिया लगाने के सैकड़ो एकड़ की जमीन का अधिग्रहण। मायावती को तो, अपने उत्तराधिकारियो पर भी भरोसा नही, इसलिए अपनी मूर्ति का शिलान्यास भी इन्होने खुद ही किया हुआ है। सारे एक से बढकर नौटकीबाज है, तभी तो भारतीय राजनीति इतनी मनोरंजक दिखती है।

आपका क्या कहना है इस बारे में?

2 responses to “नींद ना आने की बीमारी”

  1. Gyan Dutt Pandey Avatar

    १. जेट के कर्मचारियों के लिये हमने भी प्रार्थना की थी। भगवान ने सुन ली।
    २. आपकी नींद आने की शर्तिया गारंटी वाले लिंक पर तो चोट हो गयी। तनिक नींद न आयी!

  2. Neeraj Avatar

    हमारे देश के राजनीतिकों की एक से एक ऐसी उलझी हुई जिंदगी है, कि मैं उनके बारे में चवन्नी टाइप भी चर्चा नहीं करना चाहता हूँ. वो वैसे ही बहुत कन्फयूज हैं, अब मैं उनकी उमर और उनके देश प्रेम और देश सेवा की भावना का आदर करते हुए किसी तरह का कष्ट नहीं देना चाहता हूँ.

    वो लोग कब क्या कहते हैं, और कब क्या कहेंगे.. ये वो भी तो नहीं जानते हैं. बस मैंने तो उनके द्बारा लिखी और कही बातों को पढ़ना लिखना बहुत पहले बंद कर दिया है. जीतू भाई, आप भी इन लोगों के बारे में न तो पढिये और न ही सुनिए…

    आपकी प्रेम चर्चा – आपके रामलीला और न जाने कितने ही रस भरे टोपिक हैं, बस उन्हीं को पकडे रहिये…

    ये लोग तो यही चाहते हैं, कि लोग उनकी इन हरकतों की चर्चा करें. लीजिये मैं भी फँस गया और …. उन्ही के बारे में लिखने लगा.

    वैसे एक बात कहूँ, नींद से जगाने का आपका ये सही प्रयास है…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Social Media

Advertisement