धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट

आज बहुत दिनो बाद ब्लॉग लिखने बैठा हूँ, समझ मे नही आता कि क्या लिखू, हमेशा की तरह अपने व्यस्त होने का बहाना बनाऊ या फिर फेसबुक/ट्विट्टर पर अतिव्यस्त होने का रोना रोऊँ. ब्लॉग लेखन एक अलग तरह का लेखन है, जिसमे आपको टाइम देना पड़ता है. फेसबुक और ट्विट्टर फास्ट फ़ूड कि तरह है, जब मन किया ट्वीट कर लिया. जबकि  ब्लॉग लेखन एक पूरे भोजन की तरह है. आप पाठकों तक अपनी बात ठीक ढंग से पहुंचा सकते है.

आज खबर देखी कि सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं को राईट टू रिजेक्ट का विकल्प उपलब्ध करवाया है,सीधे शब्दों में, इसका मतलब है कि वोटर को लगता है कि एक भी उम्मीदवार उसके वोट के लायक नहीं है और यह बात दर्ज करवाना चाहता है ताकि बाद में बोगस वोटर उसके वोट का बेजा इस्तेमाल न कर लें. इसका मतलब है कि यदि आप चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशियों को रिजेक्ट करना चाहते है तो आप अब कर सकते है. अभी यह तय नहीं है कि इसका प्रयोग आने वाले आम चुनावों तक हो सकेगा अथवा नहीं. अभी तक यह सुविधा दुनिया के कुछ चुनींदा देशों में ही उपलब्ध थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से भारत के मतदाता भी इस नयी सुविधा  का प्रयोग कर सकेंगे.

कुछ भी हो, यह निर्णय भारत के लोकतंत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा. धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट आपके इस निर्णय का हम तहे दिल से स्वागत करते है.

आज से मैंने अपने ब्लॉग को लिखने के लिए विंडोज लाइव राइटर  और भाषा इण्डिया सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर रहा हूँ, हो सकता है इस लेख को लिखने में कुछ मात्रा वगैरह की गलतियाँ दिखे,कृपया उसे अनदेखा करियेगा. धीरे धीरे मेरा हाथ नए वाले सॉफ्टवेर पर सध जाएगा. यदि किसी को लाइव राइटर पर हिंदी शब्दकोष का पता हो तो जरूर बताये.

तो फिर आते रहिये और पढते रहिये, आपका पसंदीदा ब्लॉग मेरा पन्ना.

 

3 responses to “धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट”

  1. प्रवीण पाण्डेय Avatar

    लोकतन्त्र के लिये एक अनुपम उपहार

  2. rohit Avatar

    आपके ब्लॉग पर कितने दिन बाद आना हुआ पता नहीं….पता चला कि आप भी कई दिनों बाद आए हैं…खैर इसे बुकमार्क तो कर लिया है जैसा कि पहले पन्ने को खोलते वक्त दिखा..मैं भी आज पोस्ट अपडे़ट करने आया था..हालांकि रोजाना कई पोस्ट पढ़ता हूं ….भले ही सब पर कमेंट नहीं कर पाता..खैर ब्लाग में सक्रिय रहें तो अच्छा लगेगा..फेसबुक औऱ ट्वीटर तो खैर हैं ही फास्ट फूड की तरह

  3. Sahayogi Avatar

    सिर्फ यही निर्णय क्यों साहब, सी.एन जी भी तो उन्हीं की मेहेरबानी से दिल्ली में आई थी. शीला दीक्षित ने तो कह दिया था अभी और ५ साल चाहिए हमको! देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट ही चला रहा है देश को! हां, यदि उसे थोडे और पावर्स दे दिए जाएं तो बात ही कुछ और हो जाएगी.
    आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है, यदि फोंट थोडा बडा हो जाए तो अधिक मजा आएगा. धन्यवाद!

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