आप सभी साथियों द्वारा मेरे जन्मदिन पर दी गयी बधाईयों का बहुत बहुत धन्यवाद। आप सभी का प्यार और स्नेह पाकर मुझे बहुत अच्छा लगा। निश्चय ही हम सभी चिट्ठाकारों को अपने साथियों का जन्मदिन इसी तरह मनाना चाहिए। फु्रसतिया की जितनी तारीफ (वैसे खिंचाई शब्द ज्यादा उपयुक्त होता) की जाए कम है। इन्होने अपना अपार स्नेह और कुछ विशेष खिंचाईयुक्त स्नेह मेरे पर बरसाया है, उसके लिए उनका बहुत बहुत धन्यवाद, ईश्वर करे पूरा ब्लॉगजगत इनको सामूहिक खिंचाई से नवाजे, वैसे मौका भी है दस्तूर भी, 16 सितम्बर को फुरसतिया का जन्मदिवस है,आप लोग मौका मत चूकिएगा।
शु्कुल ने जन्मदिन के बहाने ढेर सारी बातों को छाप दिया है, ये इन्टरव्यू थोड़ा जल्दी जल्दी मे लिया गया, इसलिए विस्तार से चर्चा नही की जा सकी, यदि कभी मौका मिला तो हर सवाल के लिए एक पोस्ट लिखी जाएगी। पिछले कई दिनो से हिन्दी ब्लॉगजगत मे वो चहल-पहल नही थी, जो पहले हुआ करती थी। लेकिन जन्मदिन सीजन आने से वो चहलपहल लौट आयी है, ईश्वर करे हिन्दी ब्लॉगजगत का यह अपनापा और चहल पहल लगातार बनी रहे।
डा. अमर कुमार ने सवाल पूछा है:
मेरा एक प्रश्न अनुत्तरित है.. जरा पूछ कर बताओ गुरु,
जितेन्दर छाँ खराबी थियों, हेड्डे इंडिया केड़ी… बुधाँय ?
तहाँ खे इंडिया केड़ी तकलीफ़ आहे, यो बुधाँयोजी.. मेहरबाणी ।
साथ में यह शुभकामनायें भी दे देना..
तहाँ खे जनमडिण दियों जी लख लख वाधायूँ ।
ये रहा मेरा जवाब:
अमर भाई, मुखे हिन्दुस्तान मे भी का तकलीफ कोन हुई, हिते कुवैत मे भी कोई तकलीफ कान आहे। हो चवंदा आहिन ना कि जिते जैतरो दाणो पाणी आहे, ओतरा दिह्य आसा खे उते रहणा ही पएंदा आहिन। हाणे दिसऊ ता कि कुवैत मे घणा दिहिएं रहणो थे तो। जन्मदिन जी वाधाइन जे लाए तव्हांजो धन्यवाद।
( अमर भाई सिंधी मे सवाल पूछा है, लेकिन शायद जल्दबाजी मे एक आध शब्द टाइप/पेस्ट करना भूल गए है। उनका पूछना है कि इंडिया मे क्या खराबी है जो आप बाहर है (यदि मे सही समझा हूँ तो।) अमर जहां जितना दाना पानी लिखा होगा, उतने ही दिन वहाँ रहेंगे। देश मे रहकर भी मै खुश था, यहाँ भी जब तक खुश हूँ, उतने दिन ही रहूंगा। अब देखते है, कितने दिन यहाँ पर बसेरा रहेगा।)
एक बार फिर से आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
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