मरहूम धीरूभाई अंबानी, अपने बेटों को सफ़लता का मूलमंत्र देकर गए थे "कर लो दुनिया मुट्ठी में।" छोटे बेटे अनिल ने इस मूलमंत्र को गाँठ बांध लिया और रिलायंस पावर के आईपीओ से पूरे भारत की जनता के पैसे अपनी मुट्ठी मे कर लिए। मुझे पता लगा कि कई कई लोग अपने गहने वगैरहा बेच-बाच कर, ब्याज पर पैसा लेकर, मकान को गिरवी रखकर इस आईपीओ पर पैसा लगाने के लिए दौड़े थे। हुआ भी यही, आईपी सैकड़ो गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ। शेयर इत्ता ओवरसब्स्क्राइब हुआ कि बाजार मे लिक्विडिटी क्रंच (यानि पैसे की तंगी) हो गयी, रही सही कसर संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने बिकवाली करके, पूरी कर दी। बाजार धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। सारे निवेशक गिरे हुए बाजार मे खरीद नही कर पा रहे थे, क्योंकि सबके पैसे तो छोटे अंबानी के पास थे ना।इसे कहते है कर लो दुनिया मुट्ठी में।
लोगों ये सोचकर पैसा लगाया था कि शेयर आने पर तुरन्त बेचकर मुनाफ़ा कमाएंगे। जहाँ इस आईपीओ के समय ग्रे बाजार मे प्रति शेयर मुनाफ़ा लगभग 450 रुपए चल रहा था और हर निवेशक एक लाख लगाकर, पंद्रह दिन मे एक लाख कमाने (225 Shares X Rs.450 profit = 101,250) की सोच रहा था। वो घटकर 180 या कहो 160 रुपए प्रति शेयर रह गया है। जिन लोगों ने एक लाख रुपए से कम लगाएं उनको कुछ नही मिला और जिन लोगों ने एक लाख रुपए (रिटेल निवेशक की अधिकतम लिमिट) के शेयर लगाए उनको सिर्फ़ 15-16 शेयर ही मिले। यानि कि हरेक को लगभग सात हजार रु के शेयर ही एलाट हुए। अब 15 शेयर को बेचकर आदमी कुल मिलाकर 2500 के आसपास ही कमाएगा। लगभग 80% प्रतिशत लोगों ने लिस्टिंग गेन्स के लिए ही अप्लाई किया था। अब ये शेयर 11 फरवरी के दिन लिस्ट हो रहा है। उस दिन भी लोग येन केन प्रकारेण अपने एलाटेड शेयर बेचने की चेष्टा करेंगे और उस दिन भी बाजार का गिरना लगभग तय है। लोग तो आईपीओ के नाम से ही डरने लगे है, ना मानो तो नए आईपीओ का हाल देख लो, सभी अपनी प्राइस बैंड घटा रहे है फिर भी लोग पास नही फटक रहे।
छोटे अंबानी ने सेबी को बताया कि हम लोगों को पैसा जल्दी वापस करना चाहते है, लोगों मे आस बंधी की ये बंदा काफी अच्छा है, लेकिन किसे पता था कि छोटे बाबा, अपना नया खेल खेलना चाहते थे। छोटे अंबानी तुरन्त अपना नया NFO (रिलायंस नैचुरल रिसोर्सेस फ़ंड) लेकर आए, ताकि लोग पैसे उधर डाल सकें। सुना है लोगों के रिफ़ंड आने लगे है अभी लोग अपने नोट गिन भी ना पाए थे कि छोटे अंबानी अब अपना दूसरा आईपीओ ला रहे है, रिलायंस कम्यूनिकेशक के टावर बिजीनेस को अलग कम्पनी मे ट्रांसफ़र करने का आईपीओ, रिलायंस इंफ़्राटेल। इस बार भी लोग दौड़ दौड़ कर लाइन लगाकर आवेदन करेंगे, फिर लिक्विडिटी क्रंच और फिर बाजार धड़ाम………..
इधर दोनो भाइयों मे सुना है गैस के बंटवारे को लेकर सुलह हो गयी है। (वैसे कुछ जानकार पूछते है, झगड़ा हुआ ही कब था, ये सब तो अंबानी बंधुओं का खेल है, सबके साथ मिलकर खेल रहे है।) तो अब समझो RNRL जैसे शेयर के दिन भी बहुरेंगे। हर तरफ़ हरियाली छाएंगे और रिलायंस के शेयर हर तरफ़ चमकेंगे। लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि क्या रिलायंस पावर के कड़वे अनुभवों से लोग कुछ सीखेंगे?
आप का क्या कहना है इस बारे में?
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