साथियों, आज चिट्ठा चर्चा अपनी 1000वी पोस्ट लिख रहा है, इस अवसर पर चिट्ठा चर्चा की टीम को ढेर सारी बधाईयां एवं भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। जैसा कि आपको पता है कि मै भी चिट्ठा चर्चा से जुड़ा रहा हूँ, ढेर सारे चिट्ठों की चर्चाएं की है। आइए कुछ अवलोकन करें उन पुराने अनुभवों का।
चिट्ठा चर्चा की शुरुवात
मेरे ख्याल से 2004 की बात है, उस समय हिन्दी ब्लॉगजगत मे गिने चुने ब्लॉगर ही हुआ करते थे। उस समय हिन्दी ब्लॉगिंग को आगे बढाने और उसका प्रचार प्रसार करने पर पूरा जोर था। हम लोग कोई भी मंच और कोई भी अवसर, हिन्दी ब्लॉगिंग को प्रचारित प्रसारित करने के लिए नही छोड़ते थे। अक्सर भाई लोग अंग्रेजी ब्लॉगों पर हिन्दी मे टिप्पणियां कर आया करते थे, जिसे कुछ अंग्रेजी ब्लॉग वाले अपनी तौहीन समझकर हटा दिया करते थे, लेकिन कुछ अच्छे ब्लॉगर भी होते थे, उन टिप्पणियों को अपने ब्लॉग पर लगाए रखते थे, इस तरह से लोगों को पता चलता था कि हिन्दी में भी ब्लॉगिंग हुआ करती है।
बात शुरु हुई थी ब्लॉग मेला से। यजद ने अपने ब्लॉग पर ब्लॉग मेला आयोजित किया था, जिसमे हम लोगों ने भी शिरकत की थी। इस तरह से हम लोगों अंग्रेजी ब्लॉग वालों के साथ सब कुछ सही चल रहा था। फिर बारी आयी मैडमैन के ब्लॉग मेले की, जिसमे हम लोगों ने शिरकत की थी, वहाँ पर मैडमैन ने हिन्दी चिट्ठों की समीक्षा करने से साफ़ साफ़ मना कर दिया। ऊपर से एक जनाब, जो अपने को सत्यवीर कहते थे ने हिन्दी को एक क्षेत्रीय भाषा कह दिया और सुझाव दिया कि आप लोग अपना अलग से मंच तलाशो। बस फिर क्या था, इस पर मुझे, अतुल, देबाशीष और इंद्र अवस्थी को ताव आ गया, हम लोगों ने उनको अंग्रेजी मे ही पानी पी पी कर कोसा। काफी कहासुनी हुई, मेरे विचार से अंग्रेजी-हिन्दी ब्लॉगिंग का वो सबसे बड़ा फड्डा था। नतीजा ये हुआ कि मैडमैन ने अपनी उस पोस्ट पर कमेन्ट ही बन्द कर दी।
उनकी नजर मे मसला वंही समाप्त हो गया, लेकिन हमारे दिलों मे एक कसक रह गयी थी। जिसका नतीजा चिट्ठा चर्चा की नीव के रुप मे सामने आया। चूंकि चिट्ठे कम थे, इसलिए मासिक चर्चा हुआ करती थी, फिर ब्लॉग बढने के साथ साथ इसको पंद्रह दिनो, सप्ताह मे और अब तो रोज (कई कई बार तो दिन मे कई कई बार) ही चिट्ठा चर्चा होती है। काफी दिनो तक चिट्ठा चर्चा, चिट्ठा विश्व के साथ जुड़ी रही, फिर चिट्ठा विश्व मे कुछ समस्याएं आयी, तब नारद का उदय हुआ, धीरे धीरे और भी एग्रीगेटर आएं। लेकिन चिट्ठा चर्चा लगातार जारी रही। इसकी पूरी कहानी शुकुल की जुबानी ये रही।
चर्चाकारों के छिटकने की कहानी
चूंकि चिट्ठा चर्चा मे सिर्फ़ ब्लॉग की पोस्ट के बारे मे संक्षेप मे लिखकर उसका लिंक दे दिया जाता था। इसलिए धीरे धीरे इसमे नयापन जाता रहा। इससे चर्चा करने वालों का मन उचट गया, फिर नयी टीम की खोज शुरु हुई, कई नए लोग आए, चर्चा मे विविधिता लाए। यदि आपको चिट्ठा चर्चा के विभिन्न रंग देखने है तो पुरानी चर्चाओं को पढिए, सचमुच दिल खुश हो जाएगा। हमने भी काफी दिन चर्चाएं की थी, शुकुल ने हमारा दिन मुकर्रर कर दिया था, हर तारीख पर गवाही देने जाना पड़ता था। अगर नही जाते तो शुकुल का तगादा शुरु हो जाया करता था। तगादा भी ऐसा वैसा नही, इस तगादे में उलहाना और उँचे स्तरों का गाली गलौच (ऐसी गालियां जो सुनने मे तारीफ़ लगें) भी शामिल हुआ करता था। कभी कभी तो लगता था जीटॉक खोलें ही ना। मेरे विचार से ठलुवा (इंद्र अवस्थी) ने ब्लॉगिंग से सन्यास इसलिए लिया कि शुकुल उसको चिट्ठा चर्चा का सोमवार का ठेका दिए हुए था। बंदे ने सोचा ना ब्लॉगिंग करेंगे और ना ही चर्चा। यही कुछ हाल अपने अतुलवे का भी हुआ। खैर शुकुल डटा रहा और बाकायदा आज तक मोर्चे पर डटा हुआ है, डंडा हाथ मे लेकर सबसे तगादा करता रहता है। शुकुल के इस ज़ज्बे को सलाम।
मौजूदा स्वरुप और भविष्य के लिए सुझाव
मेरे विचार से चिट्ठा चर्चा का मौजूदा स्वरुप काफी अच्छा है, चूंकि एक ब्लॉग पोस्ट का अस्तित्व अगली पोस्ट आने तक ही होता है, इसलिए चिट्ठा चर्चा की अहमियत काफी बड़ी है। चिट्ठा चर्चा को वर्तमान स्वरुप मे चर्चा करते रहने के साथ साथ कुछ और भी करना चाहिए। मेरे कुछ सुझाव है :
- चिट्ठा चर्चा का मासिक अंक निकालना चाहिए, जिसमे उस महीने के अच्छे चिट्ठों के बारे में उल्लेख हो।
- यदि सम्भव हो तो, हिन्दी अखबारों से सम्पर्क करके उन्हे साप्ताहिक चिट्ठा चर्चा की पीडीएफ़ फाइल भेज दी जानी चाहिए।
- ब्लॉग मेला, कहानी लेखन प्रतियोगिता टाइप के आयोजन चिट्ठा चर्चा के तत्वावधान मे किए जाने चाहिए।
- नए चिट्ठाकारों को आगे लाने के लिए उनको चिट्ठा चर्चा मे शामिल किया जाना चाहिए।
- चर्चाकारों की टीम बी(Team B) बनायी जानी चाहिए, ताकि यदि एक टीम चूक गयी तो दूसरी टीम अपनी चर्चा के साथ तैयार रहें।
एक बार फिर चिट्ठा चर्चा की टीम को बहुत बहुत शुभकामनाएं। चिट्ठा चर्चा इसी तरह पाँच हजार, दस हजार, लाख…… का आँकड़ा छूती रहे और आगे बढती रही। इन्ही शुभकामनाओं के साथ…….
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