गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .
माता जाकी पारवती पिता महादेवा ..
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी .
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ..
अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया .
‘ सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
यदि आप महाराष्ट्र से किसी भी प्रकार से सम्बंधित है तो आपको पता होगा गणेश चतुर्थी का क्या महत्व होता है. कितनी खुशी और उल्लास के साथ हम गणेश स्थापना करते है और फ़िर जब घड़ी आती है विसर्जन की…..तब? कितने लोग है जो उस समय भी अपने आंसू रोक पाते है?
गणपति बाबा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ……….
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