सचमुच काफी दिनो बाद कुछ कुछ रिलेक्स महसूस कर रहा हूँ। आज अपनी मर्जी से दस बजे के बाद उठा, सब कुछ अच्छा अच्छा सा लग रहा है। इतने दिनो मे तो मै देर से उठना ही भूल गया था। इन सभी बदलावों का कारण ये है कि मुझे अपनी वार्षिक छुट्टियों के बचे दिन 31 मार्च तक समाप्त करने थे। हिसाब लगाया तो पता चला कि हमे कम से कम 9 दिन इसी महीने खर्च करने होंगे। सो जनाब नेकी और पूछ पूछ, हमने तपाक से छुट्टियों की अर्जी दी और अब हम मजे से बैठे है, अपनी छुट्टियों को इन्जाय करने। ( वैसे छुट्टिया तो नाम मात्र की है, आफिस से हर घंटे दो घंटे मे फोन आ जाता है, लेकिन फिर भी इस समय जवाब देना ना देना, अपनी मर्जी पर निर्भर करता है। ) खैर जनाब अब 31 मार्च (सभी चीजे सामान्य रहने पर) तक तो आपको हमे रोजाना झेलना ही पड़ेगा।
इस बीच दुनिया मे काफी कुछ बदल गया है। बेचारी जेड गुडी इस दु:ख भरी दुनिया को अलविदा कह गयी, हालांकि जाते जाते ब्रिटेन के अखबारों ढेर सारा मसाला और कमाई का जरिया दे गयी। अलविदा जेड गुडी, हम सभी तुमको ’मिस’ करेंगे।
आज सुबह सुबह ही पता चला कि आईपीएल का टूर्नामेंट भारत के बाहर (शायद ब्रिटेन) मे होगा। अब बेचारे ललित मोदी भी क्या करते, चिदम्बरम अड़ गए थे। गलती चिदम्बरम की भी नही है, सरकार का यह मानना था कि आईपीएल अगर चुनावों के साथ साथ होता है तो चुनाव सभाओ मे भीड़ नही जुटेगी, इसलिए कई कई कांग्रेसी मुख्यमंत्री आयोजन के लिए हाँ हाँ करते करते आखिरी मे मुकर गए। खैर अब आईपीएल देश के बाहर हो रहा है, लेकिन नेताओं की समस्याएं ज्यों की त्यों रहेगी, भीड़ जुटाने मे तो उनको भी नाको चने चबाने पड़ेंगे, क्योंकि इस नेता भले ही यह समझे चुनाव, क्रिकेट से ज्यादा महत्वपूर्ण है, लेकिन देश के आम आदमी के लिए मनोरंजन का बेहतर जरिया क्रिकेट ही है। खैर देखें ऊँट किस करवट बैठता है, बीसीसीआई ने अपना आखिरी दांव तो खेल दिया है, देखते है सरकार का क्या रिएक्शन आता है।
अब आईपीएल की बात हुई है तो टीमों मे भी फेरबदल चालू हो गए है। राहुल द्रविड (जो इस वर्ष आईपीएल नही खेल रहे है) की जगह पीटरसन को रॉयल चैलेंजर्स का कप्तान बनाया गया है। अब माल्या भी बेचारे क्या करते, पिछली बार टीम का प्रदर्शन किसी से छिपा नही है। इस बार कप्तान बदलकर ही देखें, शायद कुछ बदलाव हो। चले देखते है कि आगे क्या होता है।
जहाँ बदलाव की बात है एक और बदलाव हुआ है, एक और टीम का कप्तान बदला गया है, अरे यार किसी आईपीएल की टीम का नही। रुको यार बताते है, पहले प्रस्तावना तो पढ लें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक सुदर्शन साहब अक्सर अपने बयानों के कारण चर्चा मे बने रहते थे, कई कई बार तो संघ के पदाधिकारियों को उनका बचाव करने मे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। खैर अब उनकी मुश्किलों का सीधा सीधा हल मिल गया है, सुदर्शन साहब की रुखसती से। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कमान एस सुदर्शन की जगह मोहन भागवत को दी गयी है। लेकिन भई सुदर्शन होते थे तो काफी मनोरंजन हुआ करता था। अब मनोरंजन तो शायद थोड़ा कम ही दिखेगा। मोहन भागवत के आने से RSS की भाजपा नीति मे कुछ क्रांतिकारी परिवर्तन आएंगे, ऐसा लग रहा है। खैर ये चुनाव बीच जाने दीजिए, इस बीच मोहन भागवत भी सैट हो जाएंगे, फिर देखिएगा…।
अब अकेले मोहन भागवत ने काम सम्भाला हो, ऐसा नही है, पाकिस्तान मे मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने भी काम सम्भाल लिया है। अब चौधरी साहब भले ही राजनीति से कोई सारोकार ना रखें, लेकिन सभी सियासी पार्टियों ने उनके नाम पर लगातार सियासत की है। अब जरदारी के दिन गिने चुने रह गए है। क्योंकि चौधरी साहब के आने से जरदारी को कई मोर्चों पर मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। खैर पाकिस्तान मे तो यह सब होता ही रहता है, देखते है आगे क्या होता है।
आपके आसपास भी बहुत कुछ घटित होता रहता है, चुप मत बैठिए, लिख डालिए…तो फिर मिलते है, कल कुछ इसी समय, कुछ नया लेकर। तब तक आते रहिए पढते रहिए, आपका अपना पसंदीदा ब्लॉग।
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