कुछ समय पहले किसी जगह मे एक गरीब मगर ईमानदार कम्पयूटर प्रोग्रामर रहता था, जो अपने पुराने से पेन्टियम कम्पयूटर पर नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे अपनी प्रोग्रामिंग मे बिजी रहता था.एक दिन वो अपने प्रोग्रामिंग मे खोया हुआ था कि उसकी टेबिल कुछ हिली और और उसका कम्पयूटर नदी मे जा गिरा. अब इस प्रोग्रामर ने पंचतन्त्र की कहानी पढ रखी थी, तो तन मन से जुट गया, जल देवता को प्रसन्न करने मे.
जल देवता प्रसन्न हुए और प्रकट हुए, प्रोग्रामर ने उनको रोते रोते अपनी समस्या बतायी, देवता उसकी सादगी से प्रसन्न हुए और उन्होने अपना हाथ पानी के अन्दर डाला, और कोई माचिसनुमा चीज लेकर बाहर प्रकट हुए और पूछा कि “क्या तुम्हारा क्म्पयूटर ऐसा है?”
प्रोग्रामर ने बड़े ही बेरूखी से ना मे सर हिलाया.
देवता फिर ने फिर पानी के अन्दर हाथ डाला और इस बार कैलकुलेटर की तरह का एक यन्त्र निकाला और पूछा “क्या तुम्हारा क्म्पयूटर ऐसा है?”
इस बार भी प्रोग्रामर ने उस चीज को देखकर, मन ही मन भुनभुनाते हुए इस बार भी ना मे सर हिलाया.
देवता ने कहा “अच्छा फिर ट्राई करता हूँ” इस बार जब वो पानी से बाहर निकले उनके हाथ मे प्रोग्रामर का वही पुराना कम्पयूटर था.जिसको देखते ही प्रोग्रामर बोला “हाँ हाँ यही है मेरा क्म्पयूटर, यही है”
देवता प्रोग्रामर की सादगी और ईमानदारी से बहुत खुश हुए और आलमोस्ट सोच लिया कि अब तीनो चीजे इस गरीब को दे ही देता हूँ.अभी देवता ने चीजे देने के लिये हाथ बढाया ही था कि प्रोग्रामर पूछ बैठा “देवता जी, आप मेरे को पेन्टियम से अच्छे कम्पयूटर नही दिखायेंगे क्या? जैसे कोई लैपटाप वगैरहा……पुरानी कथा मे तो ऐसा होता था, क्या आप कथा भूल गये है?”
देवता बहुत कुपित हुए और बोले “हे मूर्ख! मैने तुमको जो माचिसनुमा चीज दिखायी थी वो ट्रिलेनियम था, और जो कैलकुलेटर नुमा चीज थी, वो बिलेनियम था, और मै तुमको तीनो चीजे देने ही वाला था, लेकिन तेरी नासमझी और बेअक्ली ने सब कुछ गँवा दिया, इसलिये अब झेलो तुम…..गुडबाय” और यह कहकर देवता तीनो चीजो के साथ नदी मे समा गये. और तब से वह प्रोग्रामर इन्टरनैट कैफे मे बैठकर प्रोग्रामिंग करता है.
कहानी से सीखः अगर हम किसी टैक्नोलोजी या ट्रेन्ड मे अपडेटेड नही है तो चुप रहने मे ही समझदारी है..
यह कहानी किसी अग्रेजी ब्लाग से पूर्वानुमति लेकर मारी गयी है,इस कहानी का अग्रेजी संस्करण यहाँ पर मौजूद है
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