लीजिए पेश है आतंकवाद पर कुछ सरकारी वक्तव्य और उनपर हमारे एक्सपर्ट मिर्जा साहब की प्रतिक्रिया। मिर्जासाहब हमारे ब्लॉग सबसे पुराने पात्र है। नए लोगों को मिर्जा साहब का थोड़ा परिचय दे दिया जाए। मिर्जासाहब लखनऊ से है, जुबान अवधी लेकिन गालियां देने मे कानपुरियों को भी मात करते है। उनका ऐसा कोई वाक्य नही होता जिसमे गाली नही होती। अलबत्ता ये गालियां देने मे इत्ता जरुर ध्यान रखते है कि गालियां लोगो को ना दी जाएं, मतलब बात करते करते वे कभी एसी, कभी गाड़ी और कभी सोफे को ही गालिया दे देते है। व्यक्ति विशेष (अगर वो उपस्थित हो तो) उसको गालियां देने से परहेज किया जाता है। मिर्जासाहब नेताओं से बहुत चिढते है, बस आप चर्चा छेड़ दो, उसके बाद माहौल मे रह जाती है मिर्जा की बाते, नेता और गालियाँ। यहाँ पर मिर्जा की प्रतिक्रियाओं को सेंसर (गालीमुक्त) करके छापा जा रहा है।
तो जनाब बात हो रही थी आतंकवादी घटना के पहले और बाद की सरकारी प्रतिक्रियाओं की और इन प्रतिक्रियाओं का मिर्जा द्वारा पोस्टमार्टम।
किसी आतंकवादी घटना के पहले
- हमारी सीमाए सुरक्षित है। (फिर भी आतंकवादी टहलते हुए आ जाते है।)
- देश मे सभी आतंकवादियों की गतिविधियों पर कड़ी निगाह है। (निगाहो से निगाहे मत मिला, हमले के पहले धर दबोचो।)
- हम जमीन के हर इंच की रक्षा करेंगे। (इंचीटेप के आर्डर के लिए टेंडर अगले महीने मंगाए जाएंगे)
- हर संवेदनशील जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। (कैमरे का ठेका, नेताजी के साले को दिया गया है।)
- आतंकवादियों का हौसला पस्त है। (पस्त नही, वे लोग व्यस्त है, आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत मे सर डालकर खतरा टल जाने का सोच रहे हो)
- कड़ी चौकसी के कारण आतंकवादी किसी नयी योजना को अंजाम नही दे पा रहे। (अलबत्ता हैडली जैसे लोग आराम से रेकिंग कर पा रहे है, और हमें हवा भी नही लगती।)
- केंद्र और राज्यों के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान का अच्छा तालमेल है। (यही तालमेल हमले के बाद के परस्पर विरोधी बयानों से जाहिर हो जाता है।)
- हम पाकिस्तान से तब तक बातचीत नही करेंगे जब तक वहाँ पर आतंकवादी कैम्प बन्द नही होते। (जिस दिन अंकल सैम ने आदेश किया, हम दंडवत वार्ता को राजी हो जाएंगे।)
- पाकिस्तान से बातचीत की जा सकती है, आखिरी फैसला कैबिनेट लेगा। (अंकल सैम ने लगता है फोन कर दिया है।)
- पाकिस्तान से बातचीत मे अगले महीने होगी। (लगता है अंकल सैम ने दबाव बढा दिया है।)
किसी आतंकवादी घटना के समय/उपरान्त
- लश्कर ने इसको अंजाम दिया है। (किसी का भी नाम लगा दो, कौन सा प्रूव करना है।)
- आतंकवादियों को बख्शा नही जाएगा। (पहले पकड़ो तो, जिनका पकड़ा है उनको ही दमाद बनाकर रखा है।)
- सभी देशवासी एकजुट है। (और कोई विकल्प है क्या? )
- आतंकवादी काफी समय से प्लानिंग कर रहे थे। (और हमारा सूचनातंत्र सो रहा था।)
- ये राज्य सरकार की चूक है। (अक्सर ठीकरा राज्य सरकार पर ही फूटता है।)
- केंद्र सरकार से हमले की आशंका की सूचना थी, लेकिन सटीक जानकारी नही दी गयी थी। (अगली बार आपको पूरा कार्यक्रम पहले फैक्स किया जाएगा, तब तक आप हाथ पर हाथ धरकर बैठिए।)
- ये केंद्र सरकार की चूक है। (हम पहले ठाकरे जैसे नेताओं से फुरसत मिले तब तो सुरक्षा व्यवस्था देखें।)
- सीसीटीवी कैमरे नही थे। (नेताजी के साले साहब पैसा डकार गए।)
- सीसीटीवी कैमरे काम नही कर रहे थे। (किसी ने स्विच हटाकर मोबाइल चार्जर लगाया हुआ था।)
- हम आतंकवादियों को जल्द पकड़ लेंगे। (बस खबर लग जाए, कि ये लोग कहाँ छिपे है।)
- कुछ संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया है। (नही भई, वे लोग बेकसूर है, ये तो हमारे वोटबैंक है, दिग्विजय सिंह जल्द ही उन लोगों से मिलकर उनकी रिहाई की आवाज उठाएंगे।)
- आगे से ऐसी कोई घटना होगी तो भारत चुप नही बैठेगा। (यानि जैसे पहले एक्शन लिया था, वैसा ही लेंगे।)
यदि आपके पास भी ऐसी कोई प्रतिक्रिया है तो लिख डालिए, चुप मत बैठिए, कम से कम ऐसे ही भड़ास तो निकले। आते रहिए पढते रहिए आपका पसंदीदा ब्लॉग।
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