अनुगूँज 24: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा – पाँच बातें

अनुगूँज 24: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा – पाँच बातें Akshargram Anugunj

लो जी, आलोक भाई तो बहुत ही फास्ट निकले, अभी आधा घन्टा पहले ही अनुगूँज की बात उठाए थे, अभी दन्न से अनुगूँज का आयोजन भी कर डाला, बहुत ते ही फास्ट है भई। तो भैया आज का विषय है अगर अपन हिन्दुस्तान अमरीका बन जाय तो कैसा रहे, अब आइडिया तो बहुत सारे है, लेकिन अब देने है कुल पाँच, अब फुरसतिया होता तो पाँच पन्ने तो लिख ही डालता, लिखेगा भी, लेकिन हम ठहरे कंजूस सिन्धी माढूं, इत्ते से ही काम चलाओ, हाँ तो लो भैया, अब छेड़ा है तो झेलो।

१. जीवनशैली
सबसे पहले जीवनशैली की बात कर ली जाए। बहुत सारे बदलाव आ जाएंगे। काम वाली गंगू बाई, अपनी टोयोटा कार को बाहर पार्किंग मे खड़ी करके, बर्तन मांजने आएगी। सारा काम घन्टे के हिसाब से होगा, पैमेन्ट भी हफ़्ते हफ़्ते लेगी, वो भी बैंक एकाउन्ट ट्रान्सफ़र से। अब तो उसकी तरफ़ मुस्कराकर देख भी नही सकते, छेड़ना तो बहुत दूर की बात है, नही तो दन्न से सेक्स उत्पीड़न का केस ठोक देगी। फिर लगे रहो, काटते रहो अदालत के आनलाइन चक्कर। बच्चे भी मा बाप के पैर वगैरहा छूना छोड़कर हाय हैलो करेंगे। अपनी गर्लफ्रेन्ड/ब्वायफ़्रेन्ड को घर लायेंगे और बड़ो से कहेंगे, प्राइवेसी प्लीज। बुजुर्गवार बेचारे, पार्क मे जाकर अपने हमउम्र साथियों से दुखड़े रोएंगे, या छत पर जाकर लैपटाप से अपनी व्यथा कथा अपने ब्लॉग मे लिखेंगे। अब बच्चे बड़ो को सिर्फ़ इन्फार्म करेंगे, आज्ञा नही लिया करेंगे। उदाहरण के लिए आपकी जवान बेटी फोन करके बताएगी:

डैडी, अब बच्चा बड़ा हो रहा है, अगले साल स्कूल जाने वाला है, इसलिए मैने डेनियल से शादी करने का फैसला ले लिया है।कल होटल मे रिसेप्शन है, आप और नयी वाली मम्मी आएं तो हमे खुशी होगी, नही तो फूल वाले का नम्बर ये रहा।

बड़े तो बड़े, मजाल है जो छोटे बच्चे पर आपने हाथ भी उठाया, तुरन्त ही पुलिस (अब नम्बर १०० की जगह ९११ हो जाएगा) को फोन करके मजमा इकट्ठा कर देंगे।वो दिन गए जब आप पड़ोसी से घन्टो बतियाया करते थे, अब तो एक एक शब्द सम्भल सम्भल कर बोलना होता है, पता नही कौन सी बात किसको बुरी लग जाए, और वो आप पर चढ बैठे। अलबत्ता एक फायदा जरुर हो जाएगा, पड़ोसी और रिश्तेदार बिना फोन किए आपके घर नही आएंगे। अगर गाँव से कोई आ भी गया तो उसको फ्रिज मे क्या क्या रखा है, फोन पर खाना कैसे आर्डर करते है, बताकर आप तो निकल लेंगे, आपकी जरुरी मीटिंग जो होगी। पड़ोसी भी बार बार चाय की पत्ती और प्याज/आलू मांगने नही आएगा, आए भी क्यों, गली नुक्कड़ पर वालमार्ट जो खुल गए होंगे।

२. खानपान
अब समोसे के साथ चटनी की जगह हॉट-सास या मायोनीज डिप मिला करेगा। अब समोसे भी एक अमेरिकन कम्पनी ’खा-खा-खा’ ने पेटेन्ट करवा लिए है, अब समोसे के ऊपर खा-खा-खा के प्रतीकचिन्ह यानि लोगो (लालू) का होना जरुरी है, साइज और डायमीटर वगैरहा सब फिक्स है, मजाल है जो आपने इसमे अपनी तरफ़ से खुरपैंच करने की कोशिश की। इस कम्पनी के वकीलों की टीम बस इसी काम मे जुटी है, सारी जिन्दगी की जमा पूँजी से हाथ धो बैठोगे। पिज्जा बर्गर काहे नही खाते, वैसे भी अब एक के साथ दो फ्री मिलते है। वैसे भी समोसे बहुत महंगे मिलते है, फिर हाइजीन का भी लफ़ड़ा है।वैसे किसी डाक्टर ने तो कहा नही कि समोसे खाओ, बड़े आए समोसे खाने वाले।

३. चिकित्सा

वो दिन गए जब आप टहलते हुए मोहल्ले के डाक्टर के क्लीनिक मे जाकर सरदर्द की दवाई ले आते थे। अब अगर आप डाक्टर के पास जाते है, भले ही आपको हल्का सा पीठदर्द हो, पूरे टेस्ट होंगे, जिनकी रिपोर्ट तीन दिन बाद आएगी, डाकटर खुद दो बार आपके पूर्ण रुप से चैकिंग करेगा, फिर जाकर आपको दवाई मिलेगी। आप कहेंगे कि मेडिकल स्टोर से ले आएंगे, अमां यार किस जमाने की बात कर रहे हो, अब सिर्फ़ एक या दो मेडिकल स्टोर की चेन्स है, वहाँ पर भी आपको दवाई बिना डाक्टर की पर्ची के नही मिलने वाली। लगे रहो…..और डाक्टर के यहाँ जाने के लिए इस पैरा को फिर से पढो। आप कहोगे आयुर्वैदिक, होम्योपैथिक….. सब कुछ बिक गया है, सारी कम्पनिया अपने हिसाब से चलती है। वहाँ पर तो पहले आपकी केस स्टडी होगी, फिर दवाई के लिए सोचेंगे वे लोग। डाक्टर भी आजकल, बहुत टेन्शन मे है, किसी ने गलत आप्रेशन किया नही कि लोग दन्न से अदालत मे घसीट लेते है। लेने के देने पड़ जाते है।

आप कहेंगे कि योगा, ध्यान कर लेंगे? नही भाई उसके लिए भी आपको पैसे देने पड़ेंगे। स्वामी ध्यानदेव के पोते ने अपनी दादा के सारी योगविद्या एक चीनी कम्पनी को बेच दी और खुद सेन्ट किट्स के पास एक द्वीप खरीदकर ऐशोआराम की जिन्दगी बिता रहा था, सुना है पिछले दिनो एक छींक आने से उसकी मौत हो गयी। चीनी कम्पनी ने इस योगा/ध्यान को पेटेन्ट करा लिया है, अब आप बिना इसकी फीस दिए, कुछ भी नही कर सकते। इसलिए अपना क्रेडिट कार्ड निकालो, स्वाइप करो, फिर करो जी भर के योगाभ्यास, वो भी सिर्फ़ १ घन्टा, नही तो दोबारा क्रेडिट कार्ड….स्वाइप…समझे ना?

४. अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता
अब आपको अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतन्त्रता मिली हुई है, आप कहेंगे तो वो हमे पहले भी मिली हुई थी, जब हम भारत मे रहते हुए नारद को गालिया देते थे, तब तो किसी ने हमे नही रोका। वो भी तो अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता थी। अरे नही भाई, वो बात और थी, नारद तो अपने ही थे, इसलिए गालिया सुन लिए थे, बाहर के किसी को सुनाते तो वो भी अभिव्यक्ति की शाब्दिक और शारीरिक स्वतन्त्रता का पाठ पढाता। लेकिन अब आप किसी को भी गरिया सकते है, चाहे प्रधानमन्त्री, अरे वो तो अब है ही नही, मतलब राष्ट्रपति हो या कोई पुलिस आफिसर। टीशर्ट पर राष्ट्रीय झंडा हो या पैंटी या जूते के सोल पर, कोई कुछ नही कहेगा। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है भई।अब तो कई लोगो का तकिया कलाम ही F**k हो गया है, हर व्यक्ति बस देखो इसी शब्द के संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विश्लेषण और अलंकार प्रयोग करता दिखाई देता है।

५. वित्तीय स्वावलम्बन

अब आप फाइनेन्श्यली इन्डिपेन्डेन्ट हो गए है, आप भी पिताजी भी। अब पिताजी आपको पालते पोसते नही, स्कूल पूरा करते ही, घर से लात पड़ती है, आप खुद पढो खुद कमाओ। स्कूल तक भी इसलिए पढाया कि सरकार फीस भरती है, नही तो वो भी सोचते, यहाँ अपनी जान को लाले पड़े है तुमको कहाँ से खिलाए?वो दिन गए जब आप पिताजी से पैसे लेकर धन्धे मे डुबोते थे, अब पिताजी भी क्रेडिट कार्ड की किश्तों मे पूरे हो जाते है और आप भी। दोनो स्वावलम्बी हो गए है। अगर किश्त ना दे सके तो, कोई दिक्कत नही, दूसरी क्रेडिट कार्ड कम्पनी लोन देगी ना इस किश्त का पैमेन्ट करने के लिए। लगे रहो मुन्ना भाई, लोन ले, खा पी और मौज कर।

वैसे तो बकिया भी प्वाइन्ट थे लिखने को, लेकिन पाँच बोले थे, इसलिए पाँच ही लिखे, वो क्या है कि अब सिस्टम बदल गया, पाँच तो पाँच, छ: नही लिखने का, नही तो फेल कर दिए जाओगे। और हाँ समय का ध्यान रखना, पाँच दिन का टाइम मिला है, छटवे दिन इन्ट्री एक्सेप्ट नही करेंगे आलोक भाई। बहुत कड़क आदमी है। वो दिन लद गए, जब अनुगूँज की एक पोस्ट लिखने के लिए १५ दिन या कभी कभी एक महीना मिला करता था, अब तो सिर्फ़ पाँच दिन, सचमुच भारत अमरीका होता जा रहा है….आपका क्या कहना है?

12 responses to “अनुगूँज 24: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा – पाँच बातें”

  1. arun Avatar

    जे गलत बात है इहा घोषणाओ नाही भई उहा तड से ठेल दिये हो पूरा लेखवा, अब जे पुरानो इंडिया तो अब है नाही ,तो अब हम तुमाये उपर केसवा करन जाये रहे है…:)

  2. श्रीश शर्मा Avatar

    हा हा, मजेदार। 🙂

    काफी दिनों बाद रंग में आए।

    स्वामी ध्यानदेव के पोते ने अपनी दादा के सारी योगविद्या एक चीनी कम्पनी को बेच दी और खुद सेन्ट किट्स के पास एक द्वीप खरीदकर ऐशोआराम की जिन्दगी बिता रहा था, सुना है पिछले दिनो एक छींक आने से उसकी मौत हो गयी।

    टीशर्ट पर राष्ट्रीय झंडा हो या पैंटी या जूते के सोल पर, कोई कुछ नही कहेगा। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है भई।अब तो कई लोगो का तकिया कलाम ही F**k हो गया है, हर व्यक्ति बस देखो इसी शब्द के संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विश्लेषण और अलंकार प्रयोग करता दिखाई देता है।

  3. Pratishtha Avatar
    Pratishtha

    Excellent

  4. समीर लाल Avatar

    बेहतरीन और मजेदार कल्पनाशीलता. 🙂

  5. अनुराग श्रीवास्तव Avatar

    बड़ा भयावह चित्र खींचा है भाई.

  6. Prem Piyush Avatar

    वैसे तो धड़ाक से चिपका दिया आपने पर आज आराम से पढ़कर लगता है काफी चिंतन मनन कर , पहलुओं को छुने की अच्छी कोशिश है ।

  7. अनूप शुक्ल Avatar

    सही है। बहुत डर लग रहा है क्या?

  8. प्रियंकर Avatar

    दारुण लिखेछो जीतू कॉमरेड!

    किंतु भारत के अमेरिका कोरते हौबे ना , किछु बछोर पौरे निजेइ होये जाबे . ‘प्रोसेस’ टा ‘स्टार्ट’ होएछे .

  9. amit jain Avatar
    amit jain

    u have excellent mind. use it again in same manner

  10. सूर्य Avatar
    सूर्य

    वाह क्या लिखा है !
    अमरीका को तो गटर बना के रख दिया है। और अमरीकियों को नाली का कीड़ा

  11. ह्थिक rajendra Avatar
    ह्थिक rajendra

    हिन्दुस्तन मै एसा होना मुन्किन हि नहि नमुन्किन है । अमेरिका जैसा व्यवाहर -दुर करने के लिए अपने देश को दुबारा जनम लेना पदेगा ।

  12. Mukta Avatar

    yah lekah bhout hi majedaar hain.halan ki hindusthan aesa nahi ho sakta,bt padne me accha laga.tnx

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