लालू और नितीश का वाकयुद्द

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अभी कल ही स्टार न्यूज चैनल के सौजन्य से लालू और नितीश का वाकयुद्द देखने का हसीन मौका मिला. दोनो ही महारथी है, लालू वाकयुद्द मे पारंगत है तो नितीश कुमार शान्त रहते हुए फुलझड़ियां छोड़ने मे माहिर है. दोनो ही एक ही माहौल मे पले बढे,दोनो ने ही राजनीति की शुरुवात जेपी आन्दोलन से की. और एक ही झन्डे के नीचे साथ साथ काम किया,साथ साथ राजनीति की और फिर किन्ही बातो पर विवाद होने पर अलग अलग राहे पकड़ ली.

बिहार की राजनीति अक्सर लालू यादव के इर्द गिर्द घूमती रहती है, लेकिन नितीश कुमार का अपना अलग मकाम है, वे बिहार मे पिछले दस सालों से लालू के खिलाफ मुहिम चलाये हुए है. जबकि तीसरे महारथी रामबिलास पासवान अभी तक सिर्फ पाला बदल के खेल मे ही जमे रहे.

एक बात तो माननी ही पड़ेगी कि लालू यादव अपने आप मे एक चलता फिरता मनोरंजन केन्द्र है, कोई चाहे कुछ भी कहे, कुछ भी पूछे, लालू का जवाब सिर्फ एक ही था, बिहार के साथ नाइन्साफी हुई है.बढते अपराध पर पूछे जाने पर उन्होने सारा का सारा दोष रामबिलास पासवान की पार्टी के मत्थे जड़ दिया. अब पासवान वहाँ मौजूद होते तो ही जवाब देते ना. लालू की हाजिरजवाबी और भीड़ को हँसाने की कला बेमिसाल है, भोजपुरी कहावते और बातो बातो मे विपक्षी को लपेटना और गोल मोल बाते करना तो कोई लालू यादव से सीखे. लेकिन फिर भी लालू कुछ सवालो पर असहज दिखे जैसे कांग्रेस से दोस्ताना मुकाबला, बिहार की बदहाली और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर उनके पास कोई भी माकूल जवाब नही था.बातो बातो मे लालू ने बताया कि अटल बिहारी ने बिहार मे सहायता के नाम पर ठेंगा दिखाया था.

उधर नितीश कुमार ने अपनी बात काफी जोरदार तरीके से रखी और बिहार की बदहाली के लिये सिर्फ और सिर्फ लालू यादव को दोषी ठहराया. साथ ही उन्होने अपने बीजेपी से रिश्ते के बारे मे भी खुलकर बात की.नितीश ने लालू को याद दिलाया कि केन्द्र की अटल बिहारी सरकार ने बिहार के लिये काफी परियोजनाये और धन मंजूर किया था, साथ ही धन उपलब्ध भी कराया था, लेकिन यूपीए की सरकार ने नौ महीने मे सिर्फ वादे ही किये है, अभी तक कुछ भी नही दिया है.
उस समय लालू यादव बगले झांक रहे थे.

हमारे मिर्जा की प्रतिक्रिया “देखो बरखुरदार, गाँव मे रहने वाला अनपढ बिहारी को कुछ भी पता नही होता, उसको तो बस इस बात से मतलब है कि कौन उसकी बोली बोलता है और कौन उसके दिल को छू जाता है, उसको भी पता है कि बिहार हमेशा बिहार ही रहेगा, चाहे जो आये और चाहे जो जाये. कोई भी बिहार के बारे मे नही सोचता, बस जबानी जमाखर्च करता है.और रही बात लालू की सो लगता है कि विपक्ष के एकजुट ना रहने की वजह से इस बार भी अच्छी सीटे निकाल लेंगे. हालांकि त्रिशंकु विधानसभा के होने पर, एक दूसरे को गालिया देने वाले लालू और पासवान फिर एकजुट हो जायेंगे और किसी फार्मूले के तहत मिलजुल कर सत्ता का सुख भोगेंगे. और यदि लालू के पास ज्यादा सीटे आयी ‍और राजद ने झाड़खन्ड मे भी अच्छा परफार्म किया तो यूपीए सरकार मे कांग्रेस के लिये मुश्किले खड़ी होना स्वाभाविक है. फिर तो लालू को सम्भालना मुश्किल हो सकता है, और कांग्रेस लालू को नाराज करने का जोखिम नही ले सकती, क्योंकि मुलायम पहले से ही तलवार भांज रहे है.”

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