लद्दाख Day #5 and #6
नुब्रा घाटी: प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम
दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान के बीच जब हरियाली की एक झलक मिलती है, तो दिल के कोनों में एक अनोखी खुशी जाग उठती है। सूखे धोरों के बीच हरियाली की वो नर्म चादर, जैसे उम्मीद की एक किरण बनकर आती है। ऐसा लगता है मानो बंजर धरती ने फिर से जिंदगी को गले लगा लिया हो। यही एहसास तब होता है जब आप हंडर रेगिस्तान के बाद नुब्रा घाटी का दीदार करते हैं। मैं आपका हमसफ़र जितेंद्र, आइए आज इस कुदरती करिश्मे, नुब्रा घाटी की सैर पर चलते हैं।
लद्दाख की गोद में बसी नुब्रा घाटी को उसके ठंडे रेगिस्तान और रेत के टीलों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहाँ की हरियाली भी उतनी ही खास और अद्वितीय है। सिल्क रूट का एक महत्वपूर्ण पड़ाव, नुब्रा घाटी आपको बर्फीली चोटियों, रेतीली धरती और घने हरे-भरे बागानों का अनोखा मेल दिखाती है। घाटी का नाम “नुब्रा” तिब्बती शब्द “ल्दुंब्रा” से निकला है, जिसका अर्थ है “हाथों से सजा हुआ फूलों का बगीचा।” यहाँ की अद्वितीय सुंदरता देखकर लगता है कि कुदरत ने इस घाटी को अपने हाथों से सँवारा है।
10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित नुब्रा घाटी को श्योक और नुब्रा नदियाँ सींचती हैं, जिनके चलते यहाँ हरे-भरे खेतों और बागानों की भरमार है। रेत भरी धरती के बीच नदी किनारे हरियाली की चादर फैली रहती है। इन नदियों का ठंडा और शुद्ध पानी इस इलाके को जीवन प्रदान करता है। घाटी में सेब, खुबानी और अखरोट के बागान भी दिखते हैं। इन फलों का स्वाद अनोखा होता है क्योंकि यह ठंडे पर्वतीय मौसम में पनपते हैं।
यहाँ के लोग छोटे-छोटे खेतों में जौ, आलू, मटर और अन्य सब्जियाँ उगाते हैं। पारंपरिक खेती के तरीके अब भी वही पुराने हैं, जहाँ रासायनिक उर्वरकों का न्यूनतम उपयोग होता है। इन खेतों के बीच से गुजरते हुए आपको ऐसा महसूस होगा मानो आप किसी स्वर्ग की वादियों में चले आए हों। गर्मियों में घाटी हरियाली की चादर से ढकी रहती है, जबकि सर्दियों में बर्फ की सफेद परत इसे अपनी आगोश में ले लेती है।
हरे-भरे गाँवों की खूबसूरती
नुब्रा घाटी में बसे गाँवों की हरियाली और संस्कृति इस घाटी की सुंदरता को और भी निखार देती है। हुंदर, दिस्कित और तुर्तुक जैसे गाँवों में आपको हरियाली से घिरे घर, खेत और बागान मिलेंगे। खासकर तुर्तुक गाँव, जो पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है, अपनी हरियाली और जीवंत संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। अगर आपको मौका मिले, तो इन गाँवों की सैर जरूर करें।
सरल और सादगीपूर्ण जीवन
यहाँ के लोग बेहद सादगीपूर्ण और दिल से जुड़े होते हैं। ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं और उनकी जीवनशैली में तिब्बती और लद्दाखी संस्कृति की झलक मिलती है। यहाँ का खान-पान भी खासा अलग है। ‘थुकपा’, ‘मोमोज़’, ‘स्क्यू’ (चावल और सब्जियों का सूप), और स्थानीय जौ से बनी बियर ‘चांग’ यहाँ के प्रमुख व्यंजन हैं। ये ठंडे मौसम में शरीर को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करते हैं। स्थानीय ‘गुर-गुर चाय’ जो मक्खन और नमक के साथ बनाई जाती है, शुरू में आपको अजीब लगेगी, लेकिन धीरे-धीरे ये आपकी जुबान पर चढ़ जाएगी।
नुब्रा की अद्वितीयता
हरे-भरे बागानों के बीच बैठकर पहाड़ों से आती ठंडी हवाओं का आनंद लेना, एक ऐसा अनुभव है जो आपको लंबे समय तक याद रहेगा। नुब्रा की हरियाली और उसके बीच बहती शीतल नदियाँ आपको तरोताजा कर देंगी। यह घाटी न केवल एक रेगिस्तान है, बल्कि एक हरी-भरी जन्नत भी है, जो आपको प्रकृति से जोड़ती है।
इन्हीं यादों के साथ हमारा सफर यहीं थमता है, बहुत जल्द मिलेंगे और भी दिलचस्प किस्सों और यात्राओं के साथ। तब तक के लिए, सफर जारी रहे।
Photo : Nubra Valley 2012
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