फुरसतिया जी ने अपनी पोस्ट ठग्गू के लड्डू पर हमरी तरफ़ कुछ सवाल दागे है, अब हम जवाब देने की कोशिश तो किए, लेकिन शायद टिप्पणी माडरेशन मे चली गयी है, इसलिए हम यहाँ भी छाप देते है ताकि बाकी जनता का भी ज्ञानवर्धन हो सके। तो लो जी झेलो आप भी फुरसतिया के साथ साथ:
अरे सुकुल, तुम तो ऐसे ही टरक लिए। सवालों के जवाब भी लिए जाओ भाई, ताकि सनद रहे और वक्त जरुरत काम आएं। बड़ी मुश्किल से तो कोई हमारा इन्टरव्यू लेने को राजी हुआ, वो भी बिना सवालों के जवाब लिए भाग रहा है। बहुत नाइन्साफ़ी है भाई।
१. कैसा लग जब पहली बार तानाशाह, मनमानी करने वाला और इसी तरह की तमाम बातें लोगों ने तुम्हारे बारे में करीं?
सच पूछो तो बहुत अच्छा लगा, तानाशाह मतलब गद्दी पर बैठा कोई व्यक्ति, कम से कम किसी ने गद्दी पर बैठाने लायक तो समझा।
२. पहले हर एक के साथ ई-मेल की दूरी पर रहते थे। अब दूरियां बढ़ाने की कोशिश क्यों हो रही हैं?
हमारी तरफ़ से या उनकी तरफ़ से? हम तो हमेशा से ही एक इमेल की दूरी पर रहते है। फिर मूड, मौका और मौसम देखकर, यथासम्भव चिपकने की भी कोशिश करते है लेकिन आज कल ’कुछ’ लोगों को एलर्जी हो गयी है। लेकिन ये ’छिटकना’ थोड़े दिन का ही है वो गाना नही सुने “आखिर तुम्हे आना है, जरा देर लगेगी…”
३. लोग सही में तुम्हारे नाम से अपनी टिप्पणी कर जाते थे कि ये भी पब्लिसिटी स्टंट था?
वो कोई जुगाड़िया नाटकबाज था, थोड़े दिन का खेला किए था, लेकिन फिर भी लोग-बाग काफी लाभान्वित और प्रोत्साहित हुए थे। है ना?
४. ऐसी क्या बात है कि तुम अपनी तमाम महिला दोस्तों से बात करने के लिये हमारे नाम इस्तेमाल करते हो? क्या तुम्हारा नाम देखते ही वे भी नारद विरोधियों की तरह भड़क जाती हैं।
नही ऐसा नही है, तुम्हारा आईडी ही इत्ता “कूल” है कि का करें। और हाँ वो मिशीगन(अमरीका) वाली का तीसरा हसबैंड भी छोड़ कर चला गवा। वो भारत यात्रा पर आना चाहती है….कानपुर भी आएगी, हम उसको तुम्हारे नाम से लैदर की जैकेट गिफ़्ट करवाने का वादा कर आए है। अब का करोगे?
५. सितम्बर में जन्म लेने वाले लोग आम तौर पर कलाकार होते हैं। तुम अपवाद कैसे हो?
गलतियां हर जगह होती है, ऊपर वाले के कम्प्यूटर मे भी वायरस आ गया होगा, तभी तो हमे ला पटका इधर। वैसे कलाकार हम भी कम नही है, लेकिन क्या है पारखी नज़रों की तलाश है बस।
६. ऐसे कैसे हुआ कि ऐन तुम्हारे जन्मदिन के दिन सुकुल तुम्हारी खिंचाई किये बिना दिल्ली फूट लिये?
ये सुकुल का बड़प्पन है या कहो तो गिव-एन्ड-टेक का आफर है, कि अब मेरे जन्मदिन पर तुम मेरी खिंचाई मत करना।
खिचाई सही किए हो, नोट किया गया।
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