क्या आपके द्वारा लिखे गए ब्लॉग सामग्री के लिए आपके प्यारे एग्रीगेटर जैसे नारद, हिन्दीब्लॉग्स, चिट्ठाजगत अथवा ब्लॉगवाणी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? क्या आपके द्वारा लिखे गलत सलत कंटेन्ट की वजह से किसी भी एग्रीगेटर को कटघरे मे खड़ा किया जा सकता है? निश्चय ही आपका जवाब होगा नही, कतई नही। एग्रीगेटर को क्या पता कि आपने अपने ब्लॉग पर क्या लिखा, कोई भी एग्रीगेटर आपके कंटेन्ट पर पहरा नही बिठा सकता, भले ही एक दो बार आपकी पोस्ट देख ले, लेकिन बार बार, लगातार आपकी पोस्ट नही पढी जा सकती। लेकिन जनाब ठहरिए, अगर भारत सरकार की मानें तो किसी भी वैबसाइट पर दिखायी जाने वाली सारी सामग्री के लिए साइट के मालिक को ही ठहराया जाएगा, भले ही वो आपका ब्लॉग हो, सर्च इंजिन, ब्लॉग/न्यूज एग्रीगेटर या आपके द्वारा चलाया गया कोई भी फोरम। आप उन सभी के प्रति सीधे सीधे जिम्मेदार ठहराए जाएंगे। अगर सरकार की चली तो आने वाले आईटी एक्ट २००० के अगले संशोधन मे इस तरह की जवाबदेही को भी जोड़ा जा सकता है।
लेकिन क्या यह अन्यायपूर्ण नही होगा? निसंदेह। क्योंकि वैब साइट भी कई तरह की होती है, यदि मेरी साइट पर मै कुछ सामान बेचता हूँ, तो यह मेरे इख्तियार मे होगा कि मै अपनी साइट कैसे बनाता हूँ, और उस पर कौन सा सामान रखता हूँ। लेकिन यदि मेरी साइट कोई एग्रीगेटर है अथवा मै कोई सर्च सेवा, फोरम अथवा कुछ अन्य तरह की वैब २.० की सेवाओं वाली साइट बनाता हूँ, जिसमे यूजर स्वयं आकर अपना कंटेन्ट डालते है, क्या तब भी मै ही इस सबके प्रति जवाबदेह ठहराया जाऊंगा। आने वाले दिनो मे यह मुद्दा गर्माएगा, कुछ लोगों ने तो विरोध दर्ज कराना शुरु भी कर दिया है, आप भी कमर कस लें।
यदि इस तरह का कोई कानून पास होता है गूगल और याहू जैसी कम्पनियां भी चपेटे मे आ जाएंगी, क्योंकि ये साइट अपने यहाँ जो कंटेन्ट दिखाती है, अक्सर वो दूसरों का होता है। याहू और गूगल वाले सरकार से स्वयं निबट लेंगे, आइए हम बात करते है अपने एग्रीगेटरों की, क्या आप चाहेंगे कि आपके एक ब्लॉग के कारण आपका प्यारा एग्रीगेटर बैन कर दिया जाए या उसे कुछ परेशानी भुगतनी पड़े? निश्चय ही हम सभी ब्लॉगर्स मे से कोई भी ऐसा नही चाहेगा, क्योंकि एग्रीगेटर आपके कंटेन्ट का सिर्फ़ एक संवाहक (carrier) है ना कि प्रदाता। फिर सरकार क्या करेगी। लेकिन अभी कई ऐसे सवाल है जिनका कोई जवाब नही:
- यदि साइट का डोमेन और होस्टिंग भारत से बाहर है, क्या तब भी सरकार इन साइटों पर लगाम कस सकेगी?
- यदि एक ब्लॉग मे कोई अवैध सामग्री पायी जाती है, तो क्या पूरी ब्लॉगिंग सेवा को बैन करना उचित होगा?
- क्या गारंटी है कि इन्टरनैट के जुगाड़ी कोई और तरीका नही ढूंढ लेंगे?
सवाल तो कई है, लेकिन जवाब अभी ढूंढे नही मिल रहे। सरकार भी मजबूर है, साइबर क्राइम इतने बढ गए है कि उनको समझ मे ही नही आता कि क्या करें। आधा समय तो जवाबदेही पता करने मे ही निकल जाता है, फिर वो साइट सरकार के अधिकार क्षेत्र मे है कि नही, उसमे ही काम अटक जाता है। कुल मिलाकर ढाक के तीन पात, सरकार को जो आसान समझ मे आता है वो कर देती है, यानि कि पूरी की पूरी सर्विस पर ही बैन। उदाहरण के लिए पिछले दिनो जब पता चला था कि आतंकवादी नैटवर्क ब्लॉग्स्पाट या दूसरी ब्लॉगिंग सर्विस का दुरुपयोग कर रहे थे, तो सरकार ने तुरत फुरत ब्लॉगस्पाट को ही बैन कर दिया। अब कुछ लोगों की गलती का खामियाजा हजारों लोगों ने भुगता। लेकिन क्या इस अधिनियम के आने से सरकार इन सभी पर लगाम लगा सकेगी?
आपका क्या कहना है इस बारे में?
सम्बंधित कड़िया ( अधिक जानकारी के लिए देखें)
इंडियन आई टी एक्ट २००
आईटी एक्ट 2000 (Modified 19th sept. 2002) पीडीएफ़ फाइल
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