ये लेख समर्पित है उन उल्लुओं के लिए जिन्होने टीवी पर टकटकी लगाते हुए अपनी रात काली की। बुरा मत मानिए, उन उल्लुओं मे मै भी शामिल था। इसका मतलब ये हुआ कि हम उल्लू एक डाल के। आइए आगे बढते है। पेय पदार्थ बनाने वाली एक कम्पनी (माफ कीजिएगा, मैने उसका नाम नही लिया, क्योंकि उन्होने मेरे को ब्लॉग मे विज्ञापन के पैसे नही दिए) ने जब ऊह! आह! इन्डिया का विज्ञापन बनाया था, मै तब ही समझ गया था, कि इस विज्ञापन का दोहरा इस्तेमाल होगा, मतलब कभी खुशी कभी गम।
विश्वकप क्रिकेट के शुरुवाती मैच मे ही जिस तरह का शर्मनाक प्रदर्शन भारतीय टीम ने किया है वो लाखो क्रिकेट प्रेमियों को निराश कर गया है। कम से कम बांग्लादेश की टीम से तो मैच ना हारते। बांग्लादेश की टीम ने फील्डिंग, बॉलिंग और बैटिंग हर मायने मे टीम इन्डिया से बेहतर प्रदर्शन किया। आज टीम इन्डिया को देखकर लग ही नही रहा था कि ये लोग लीग मैच से आगे भी जा सकते है। कहाँ विश्वकप जीतने की आस और कहाँ ला पटका इन पंद्रह जोकरों की टीम ने। गलती इनकी भी नही है, हम लोगों ने ही इनको सिर पर बैठा रखा है। हजारो जगह यज्ञ हवन हुए, ना जाने किस किस तरह का नाटक हुआ, लोग नाक के बल बजरंग बली के द्वारे गए, सैकड़ो लोगों ने बाल कटवाए, हजारों लोगो ने बीबीयों से लड़ झगड़कर टीवी के रिमोट को हथिआया, नतीजा? अरे वही जो होना था। हमने अपने (हरफनमौला) एक्सपर्ट मिर्जा साहब से पूछा आइए उनकी प्रतिक्रिया को जैसा का तैसा आपके सामने परोसते है:
मै : मिर्जा साहब, टीम इन्डिया तो पहले ही मैच मे लुढक गयी, बुरी तरह, क्या कहेंगे?
मिर्जा : अमां बरखुरदार! ये तो होना ही था। जब तक ये द्रविद अपना सहवाग प्रेम नही छोड़ता तब तक ऐसे ही रहेगा। पता नही क्या रखा है गंजे सहवाग मे, द्रविद है कि इसको हमेशा गले लगाए घूमता है, पता नही पत्नी भी कुछ कहती है कि नही। दूसरा ये टॉस जीतकर बल्लेबाजी काहे किए, कौनो डाक्टर बोले थे? और फील्डिंग, लगता है जैसे गली के लौंडे क्रिकेट खेलने की कोशिश कर रहे हो। और ये भज्जी, इसकी धार भी खतम हो गयी है, इसे घिसवाने के लिए भेजो कंही।
मै :लेकिन मिर्जा, सहवाग ने दो विकेट भी लिए थे
मिर्जा :तो कोई अहसान किया। ये तो वही बात हुई जैसे….(यहाँ मिर्जा ने यूपी इश्टाइल मे गाली वाला मुहावरा कहा, यहाँ नही छाप सकते।) वैसे भी उसक जगह अगर पठान को खिलाते तो शायद कुछ बेहतर होता।
मै : अब आगे क्या होगा, जो लोगो ने प्रार्थनाएं, हवन वगैरहा किए उसका क्या?
मिर्जा: उसका क्या, हवन कुन्ड की अग्नि जलाए रखो, बुझने मत दो, मै तो कहूंगा कि दिल्ली/मुम्बई एयरपोर्ट के बाहर की कोई बड़ा सा हवन कुंड बना दो, टीम इन्डिया इस हफ़्ते नही तो अगले हफ़्ते आ ही जाएगी, एक एक करके सभी खिलाड़ियों को इस हवन कुन्ड मे डाल दो।
मै: लेकिन मिर्जा ये तो गलत होगा ना, वे बेचारे तो पूरी मेहनत कर रहे है।
मिर्जा :क्या खाक मेहनत कर रहे है, देखते नही, बाल पकड़ने के लिए झुका तो जा नही रहा था किसी से। कैच पर कैच छोड़े जा रहे थे, पूरी रात काली कर दी सालों ने। दिमाग खराब करके रख दिया है। इससे अच्छा तो यही होता कि किन्नरों की टीम भेजते कुछ मनोरंजन तो होता।
मिर्जा का गुस्सा अब बढता जा रहा था, इसलिए मैने पतली गली से निकलना ही ठीक समझा। पता नही कब मिर्जा का गुस्सा और गाली गलौच टीम इन्डिया से हटकर मेरे ऊपर शिफ़्ट हो जाए। मिर्जा तो अपना गुस्सा निकाल लेगा, लेकिन हम कहाँ जाए? कैसे निकाले अपना गुस्सा? डिश टीवी पर या टाटा स्काई पर। टीम इन्डिया ने तो वर्ल्डकप की उम्मीदो की लाइफ़ को झिंगालाला कर दिया है। आइए मिलकर करें ऊह! आह! इन्डिया
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