जुलाई 2015, कुवैत में जुलाई से सितंबर गर्मियों की छुट्टियों का समय होता है। मेरा परिवार जून से ही भारत में छुट्टियां मना रहा था, लेकिन मुझे सिर्फ़ 12 दिन की छुट्टी मिली थी, मेरे लौटते ही बॉस को अपनी छुट्टियों पर जाना था। साथ ही मुंबई का एक काम भी टिका दिया गया। अब दिल्ली जाने का समय नहीं था, इसलिए परिवार को मुंबई बुलाया और मुंबई के पास ही लोनावला में समय बिताने निश्चय किया गया। फटाफट क्लब महिंद्रा वालों से संपर्क किया और हम निकल पड़े लोनावला के तुंगी रिसॉर्ट की ओर। मैं आपका साथी, जितेंद्र चौधरी, आज आपको लेकर चलता हूँ खूबसूरत लोनावला की सैर पर।
लोनावला, जो मुंबई से सिर्फ 80 किलोमीटर दूर है, पुणे जिले में पश्चिमी घाट (Western Ghat) का हिस्सा है और बेहद खूबसूरत जगह है। खासकर बारिशों में तो इसकी खूबसूरती और भी निखर जाती है। पहाड़ों से निकलते छोटे-छोटे झरने, हरियाली और बदलते मौसम का नजारा बेमिसाल होता है।
मुंबई से निकलते ही हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई, मौसम काफी खुशगवार था।पहाड़ों में वैसे भी मौसम हर मोड़ पर बदलता रहता है।क्लब महिंद्रा अपने शहर से दूर-दराज बसे रिसॉर्ट्स के लिए बदनाम है, लेकिन तुंगी रिसॉर्ट, इस बदनामी में चार चांद लगा देने वाला था।रास्ता ऐसा कि जैसे जंगल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। ऊपर से मोबाइल नेटवर्क भी कमाल का था—लगातार गायब! फिर शादीशुदा लोग जानते ही होंगे, श्रीमती जी की नॉन-स्टॉप उलाहने। बस प्रार्थना यही थी कि मोबाइल की बैटरी खत्म होने से पहले रिसॉर्ट तक पहुँच जाएँ। रास्ता इतना सुनसान और घना था कि कई बार मन किया कि हनुमान चालीसा पढ़ लें!
अगर आपको दुनिया, रिश्तेदारों, और ऑफिस की टेंशन से दूर भागना है, तो ये जगह आपके लिए ही है। अव्वल यहाँ नेटवर्क नहीं आता, और यदि कोई आपको ढूँढने की हिम्मत करेगा भी तो खुद खो जाएगा! जब हिम्मत हारने को थी, तभी हमें क्लब महिंद्रा का एक छोटा सा बोर्ड दिखा, जो एक पतली पगडंडी की ओर इशारा कर रहा था। अंधेरा घिर रहा था, सो हमने कहा—जो होगा, देखा जाएगा! थोड़ी दूर चलते ही रिसॉर्ट का गेट नजर आया, तब जाकर चैन की सांस ली।
रिसॉर्ट पहुँचते ही शानदार स्वागत हुआ, ऐसा लगा जैसे किसी कबीले में दूर देश के मेहमान आए हैं। खूब आवभगत हुई, सारी थकावट दूर हो गई। यहाँ विला काफी दूर-दूर बने हुए थे, और सभी एक से बढ़कर एक। बड़े-बड़े कमरे, शानदार इंटीरियर्स—क्लास और कम्फर्ट का बेहतरीन मेल था। थोड़ा बहुत इधर उधर देखने के बाद, सबसे पहले पेट पूजा की गई, क्योंकि यहाँ डिनर जल्दी मिलता है। बच्चों ने स्पोर्ट्स रूम का रुख किया, और हम कैफे में अन्य पर्यटकों से गपशप करने लगे। रिसॉर्ट लगभग 40% भरा हुआ था, शायद इसी कारण हमें बुकिंग मिल गई थी।
रिसॉर्ट की सुरक्षा कड़ी थी, और स्टाफ की संख्या ठहरे हुए गेस्ट से भी ज्यादा थी। वे इतने मिलनसार थे कि रास्ता पूछो तो खुद छोड़ने आ जाते थे। जगह-जगह छाते, रेनकोट, और साइकिल उपलब्ध थे, क्योंकि मौसम का भरोसा नहीं था—कोहरा हर जगह घिरा रहता था। बच्चों को भी यहाँ मनपसंद जगह मिल गई थी; उनके लिए हर तरह की सुविधा जो मौजूद थी, वो भी बिना रोकटोक।
यहाँ का स्विमिंग पूल झील की ओर खुलता है, जहाँ तैरते हुए बेहतरीन नज़ारे का आनंद लिया जा सकता है। मेरा ज़्यादातर समय इसी पूल के पास बीता। स्पा में जाकर विभिन्न प्रकार की थैरेपी का आनंद भी लिया—शानदार से भी ऊपर का अनुभव था।
खाने-पीने का अनुभव भी शाही था। क्लब महिंद्रा के रिसॉर्ट्स चाहे कितने भी दूर हों, उनके रेस्टोरेंट्स और शेफ हमेशा उम्दा होते हैं। महाराष्ट्रीयन थाली से लेकर इटैलियन पास्ता तक, हर चीज़ बेहतरीन थी।
सबसे खास बात थी यहाँ की शांति। यदि आप आत्मचिंतन या आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं, तो ये जगह आपके लिए एकदम सही है। सुबह-सुबह योगा और मेडिटेशन के साथ प्रकृति की गोद में खुद से जुड़ने का जो मौका मिला, वो वाकई अविस्मरणीय था।
चूँकि रिसॉर्ट शहर से बहुत दूर था, इसलिए तय किया गया कि लौटते समय आसपास की जगहों की सैर की जाएगी। भुशी डैम, जो मानसून में सभी पर्यटकों की पहली पसंद होता है, सूर्यास्त देखने के लिए टाइगर और लायन पॉइंट्स, जहाँ से घाटी का खूबसूरत नजारा मिलता है, सब प्लान में थे। लौटते वक़्त पुणे की ओर का रुख किया गया उसके बारे में फिर कभी।
लोनावला की प्रसिद्ध मगनलाल की चिक्की जरूर खरीदने की सलाह दी गई थी, लेकिन वहाँ आकर पता चला कि मगनलाल खुद बड़े रंगीन इंसान थे! हर दूसरी दुकान पर ‘मगनलाल की असली दुकान’ लिखा था। अब इतने सारे बेटे-पोते, तो अंदाजा लगाया कि मगनलाल साहब खुद भी मस्तमौला टाइप के रहे होंगे 🤣😂
यह जगह मुंबई के पास होते हुए भी उसकी भीड़-भाड़ से कोसों दूर है। यदि आप अपने लिए कुछ सुकून के पल चाहते हैं, तो लोनावला जरूर आएं। यकीनन आपको यह जगह बहुत पसंद आएगी। उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा, धन्यवाद। मैं यात्रा से जुड़ी कोई सेवा या सामग्री नहीं बेचता। अपने यादों के झरोखों से, शौकिया अपने यात्रा अनुभवों को शब्दों में पिरोने की कोशिश करता हूँ।सफर यूँ ही जारी रहेगा मुझे फॉलो करना न भूलें, मेरी वॉल पर मेरे सारे लेख ज्यादा चित्रों और रील्स के साथ मिलेंगे। जल्द मिलते हैं, किसी नए अनजाने सफ़र पर।
Photo : Lonavala July 2015
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