स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में कदम रखते ही ऐसा लगता है मानो आप अतीत में लौट गए हों—घुमावदार गलियां, रंग-बिरंगी मूर्तियां, शानदार फव्वारे और आलीशान इमारतें। ऐसा लगेगा जैसे आप किसी प्रदर्शनी में आए हैं। जिधर नजर उठाओ, उधर ही कलाकृति या वास्तुकला का नायाब नमूना। शहर से जरा सा बाहर निकलकर देखिए प्राकृतिक सुंदरता आपका मन मोह लेगी।
बर्न शहर 1191 में बसाया गया था, तब से लेकर अब तक, लगता है जैसे समय ठहर सा गया है। यूनेस्को ने भी इसे विश्व धरोहर घोषित किया है। लेकिन एक बात अजीब लगती है, बर्न में भारतीय पर्यटक बहुत कम दिखते हैं, शायद यश चोपड़ा जी इधर नहीं आए, इसलिए। अलबत्ता, चीनी, जापानी और कोरियन पर्यटक काफी मिलते हैं।
इस शहर के नाम के साथ भी एक रोचक किस्सा जुड़ा है। कहते हैं बर्न के संस्थापक और शासक ड्यूक बर्ट्रल, पहली बार शिकार करने गए थे। उन्होंने एक भालू का शिकार किया, जिसका नाम बर्न था। शिकारी भी नया था, शिकार भी पहला, तो जनाब ने इस शिकार को इतिहास में दर्ज कराने के लिए, शहर का नाम ही बर्न रख दिया। आज भी शहर का प्रतीक चिन्ह वही भालू है। है ना मजेदार! आप कहेंगे कोई ऐसा कैसे कर सकता है? अब भाई, पुराने ज़माने के राजा-रजवाड़ों में ऐसे ही होता था—जिसको चाहा, इनाम दिया; जिसका चाहा, नाम बदल दिया। जिसने भी इसके खिलाफ़ आवाज उठाई, वो खुद ही उठ जाता था। अब बताइए, किसको इसके खिलाफ आवाज़ उठानी है? बुलाएं क्या उनके सिपाहियों को? 😜
बर्न का 13वीं सदी का ज़्यिटग्लॉगे (Zytglogge) क्लॉक टॉवर शानदार है, उसे जरूर देखियेगा। खाने में यहाँ की मशहूर आलू की ‘रॉस्टी’ डिश और ‘बुंडनरनुस्टोर्टे’ मिठाई जरूर ट्राई करें। और स्थानीय चॉकलेट का तो कहना ही क्या! स्विट्ज़रलैंड के हर क्षेत्र की चॉकलेट का अपना अलग स्वाद होता है।
तो अगली बार जब आप स्विट्जरलैंड आएं, तो बर्न को मत भूलें। मिलते हैं जल्द ही, किसी और सफ़र पर। उम्मीद है आपको लेख पसंद आया होगा। लेख पढ़ने के लिए शुक्रिया, आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा रहेगी। घुमक्कड़ी का सफ़र यूँ ही जारी रहेगा, मेरे हमसफ़र बनने के लिए मुझे फॉलो करना मत भूलिएगा। मेरी
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