अभी आज ही किसना देखने का मौका मिला, पेश है मेरी तरफ से इसकी समीक्षा.सुभाष घई, जो अनेक जानी मानी फिल्मो के लिये जाने जाते है, इस बार किसना लेकर आये है. कहते है कि भारत के स्वतन्त्रता संग्राम की कहानी मे प्रेम कहानी है. दरअसल यह सिर्फ एक प्रेम कहानी है तो गुजरे जमाने की है.कहानी मे दम था, लेकिन पटकथा इसको ले डूबी. और सुभाष घई जैसा निर्देशक इतनी भयंकर भूल कर बैठा, विश्वास नही होता.
कलाकारो मे सिर्फ कैथरीन यानि कि एंटोनिया बर्नाथ ही कुछ प्रभाव छोड़ पायी. बाकी कलाकारो ने बस अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. हीरो किसना यानि विवेक ओबराय, कुछ खास प्रभाव नही छोड़ पायें और इस फिल्म का असफल होना उनके कैरियर के लिये घातक भी हो सकता है.
तकनीक पक्ष कुछ हद तक ठीक ही है. अशोक मेहता का छायांकन काफी अच्छा है, कुछ दृश्य तो काफी अच्छे बन पड़े है, खास कर पहाड़ियों के. संगीत के मामले मे ए.आर रहमान और इस्माइल दरबार ने पूरा पूरा न्याय किया है. सारे गीत अच्छे है और काफी लोकप्रिय होंगे, ऐसा मेरा मानना है.
कुल मिलाकर किसना के बारे मे कहा जा सकता है…एक बार देखने लायक है, लेकिन बाक्स आफिस पर इसका भविष्य उज्जवल नही है.
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